क्यों हड़ताली शिक्षक सीएम नीतीश कुमार को वोट नहीं देने की खा रहे हैं कसम
सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में नियोजित शिक्षकों की हड़ताल लगातार जारी है। इस हड़ताल से राज्य के बच्चों का भविष्य दांव पर लग चुका है। जाहिर सी बात है कि पढ़ने-लिखने वाले बच्चों की किस्मत पर ग्रहण लग गया है। राष्ट्र के निर्माता कहे जाने वाले शिक्षक अपनी मांग “समान का सामान वेतन’को लेकर डटे हुए हैं। हद की इंतहा तो यह है कि इनलोगों को सिर्फ अपने भविष्य की चिंता है ।इन गुरु जी को, पढ़ने-लिखने वाले बच्चों की थोड़ी सी भी फिक्र नहीं है। हड़ताली शिक्षकों ने अब अपने हड़ताल और आक्रोश का रुख मोड़ते हुए, नीतीश कुमार को आगामी विधानसभा चुनाव में अपना मतदान नही देने की पुरजोर कसम खाई है।
नियोजित शिक्षकों की ये कैसी कसम? जिस नीतीश कुमार ने इन लोगों को जन्म दिया, उन्हीं के खिलाफ अब ये जंग छेड़ चुके हैं हर एक माता-पिता बच्चे को इस उम्मीद में जन्म देते हैं कि उन्हें बुढ़ापे में एक मजबूत लाठी के रूप में उनकी संतान मिलेगी। ठीक उसी तरह सूबे की सरकार ने भी इन बेरोजगार युवकों।को सड़क से उठाकर विद्यालय तक पहुँचाया ।सरकार को यह उम्मीद थी कि आगामी चुनाव में, ये सभी मिलकर फिर से अपना मतदान, नीतीश कुमार के पक्ष में कर के, उन्हें जीत का सेहरा बंधवाएँगे ।लेकिन इसबार नीतीश कुमार को ठीक उल्टा पर गया है कि हड़ताली शिक्षक अपना वोट, उन्हें नही देगें। यहाँ तक कि ये आक्रोशित शिक्षक अपने घर-परिवार और अगल बगल पड़ोसियों से भी, नीतीश कुमार को वोट नही देने की। अपील कर रहे हैं ।
बताते चलें मधुबनी के दौड़े पर आए पीएचईडी मंत्री ने हड़ताली शिक्षक के इस कारनामे और हरकत पर विवादित बयान दिया है। उन्होंने हड़ताली शिक्षकों की तुलना डॉक्टर और पैसेंट के तौर पर की है। नीतीश कुमार को इस मामले को बेहद गम्भीरता से लेना चाहिए और शिक्षक नेताओं से संवाद करने चाहिए। बच्चों के भविष्य के साथ हो रहे खिलवाड़ को इस तरह से देखते रहना, कहीं से भी जायज नहीं है। नीतीश कुमार को चाहिए कि वे त्वरित गति से इस मसले पर अपना स्टैंड साफ करते हुए,इस मामले का पटाक्षेप करें।
सिटी पोस्ट के मैनेजिंग एडिटर कुमार सिंह की रिपोर्ट
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