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मसानजोर डैम मसले पर झारखंड-बंगाल के बीच वार्ता सकारात्मक पहल : लुईस मरांडी

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मसानजोर डैम मसले पर झारखंड-बंगाल के बीच वार्ता सकारात्मक पहल : लुईस मरांडी

सिटी पोस्ट लाइव : झारखंड की समाज कल्याण,महिला एवं बाल विकास मंत्री सह दुमका की विधायक डाक्टर लुईस मरांडी ने मसानजोर डैम के मसले पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास के बीच हुई वार्ता को सकारात्मक पहल बताते हुए कहा कि उनकी पार्टी ने मसानजोर डैम के विस्थापितों की लड़ाई शुरू की है। उन्हें उनका हक दिलाकर रहेगी। डाक्टर मरांडी आज दुमका में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि कल कोलकता में पूर्वी क्षेत्र की बैठक में झारखंड के दुमका जिले में अवस्थित मसानजोर डैम के मुद्दे पर झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच हुई साकारात्मक वार्ता हुई है। इससे डैम के कारण इस इलाके में उत्पन्न समस्याओं का निदान शीघ्र होने की उम्मीदें बढ़ी है। इसी क्रम में उन्होंने कहा है कि भाजपा सरकार दुमकावासी मयूराक्षी डैम के विस्थापितों को उनका हक दिलाकर रहेगी। उन्होने कहा कि उनकी पार्टी ने मसानजोर डैम से संबंधित समस्या के निदान को लेकर पहल की है। अब शीघ्र ही उसका परिणाम भी दिखेगा। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता दीदी और मुख्यमंत्री रघुवर दास के बीच कोलकाता में हुई साकारात्मक वार्ता हुई इस क्षे़त्र के लोगों के लिए सुखद संकेत है.। उन्होंने कहा कि सभी समस्या का हल बातचीत से निकल सकता है। इसलिए दोनो ही सरकार ने इसे बातचीत के जरिये सुलझाने की जरुरत पर बल भी दिया है। डॉ मरांडी ने पुनः दावा किया कि जमीन हमारी है, पानी भी हमारा है। इसलिए पर्याप्त और समुचित लाभ झारखंड को भी मिलना चाहिए। डैम निर्माण के दौरान विस्थापित हुए लोगों को उनका बाजिब हक और न्याय मिलना चाहिए। उन्हांने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री के बीच सौहार्दपूर्ण हुई वार्ता से इस राज्य की जनता में उम्मीद जगी है । उन्होंने दावा किया कि भाजपा ही इस क्षेत्र के लोगों को उनका बाजिब हक और न्याय दिला सकती है. डा. मरांडी ने बातचीत के क्रम में बिना नाम लिये कहा कि झारखंड राज्य गठन के बाद इस क्षेत्र से तीन-तीन सीएम बने यदि चाहते तो चिर लंबित इस समस्या का समाधान करा सकते थे।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री रघुवर दास के नेतृत्व में राज्य सरकार इस मसले पर जिस तरह गम्भीर रूप से पहल रही है। इस तरह पहल पूर्व की सरकारों के कार्यकाल में भी हो सकती थी। उन्होंने कहा कि यहां से निर्वाचित जनप्रतिनिधि तीन बार मुख्यमंत्री के पद आसीन हुए। यहां से निर्वाचित जनप्रतिनिधि उपमुख्यमंत्री भी बने। झामुमो को लंबे अर्से तक इस इलाके का प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिला, पर सदन में यहां के लोगों की समस्याओं की बात नहीं उठायी गयी। उस समय निर्वाचित यहां के जनप्रतिनिधियों को यहां की जनता से सरोकार नहीं रहा। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि वोट की राजनीति करने वालों को यहां के विस्थापितों के दर्द का अहसास भी नहीं रहा। उन्होंने कहा कि 1955 के एग्रीमेंट की भी सारी बातें बातचीत से सामने आयेंगी और उसका अनुपालन सुनिश्चित होगा। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार विस्थापितों के दुख-दर्द के निदान के लिए विभिन्न परियोजना के कारण विस्थापन आयोग बनाने पर विचार कर रही है। राज्य सरकार की सोच विस्थापितों की समस्या को गंभीरता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि झामुमो को नेतृत्त्व का अवसर मिला था,लेकिन उन्होंने तब जिम्मेदारी नहीं समझी। समाधान का प्रयास नहीं किया। अब चुनाव नजदीक आता देख इस मुद्धे पर राजनीति की जा रही है। जब सत्ता में रहे तो जनता की तकलीफें नहीं दिखी। अब जब सत्ता से दूर हैं, तो जनता की समस्यायें उन्हें नजर आ रही है। उन्होंने कहा कि झामुमो इस मुद्दे पर केवल घड़ियाली आंसू बहा रही है। पत्रकार सम्मेलन में जिला अध्यक्ष निवास मंडल, जिला उपाध्यक्ष मुकेश अग्रवाल, अमित रक्षित एवं विजय कुमार दास मौजूद थे।

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