सिटी पोस्ट लाइव : सवर्ण सेना के राष्ट्रीय संयोजक भागवत शर्मा ने 6 सितंबर के भारत बंद का समर्थन कर बीजेपी की चिंता बढ़ा दी है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार पूरे देश को तोड़ने का प्रयास कर रही है. सरकार SC-ST एक्ट के माध्यम से सवर्ण समाज एवं पिछड़ा समाज का शोषण करने में लगी है. आज 75% से भी अधिक केस हरिजन एक्ट फर्जी निकलते हैं. उन्होंने बताया कि हमें सुप्रीम कोर्ट का कानून चाहिए ना कि किसीं पार्टी के द्वारा वोट बैंक के लिए बनाया हुआ कानून चाहिये. आज के समय में दबंग नेता से लेकर हर छोटे बड़े मामले में इस एक्ट का इस्तेमाल करते हैं जो पूरी तरह से फर्जी है.
केंद्र सरकार 22% के चक्कर में 78% को भूल रही है जिसका परिणाम उसे आगामी चुनाव में भुगतना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि आज पूरे देश में सवर्ण संगठनों के द्वारा गरीब सवर्णों के आरक्षण की मांग के लिए बड़े स्तर पर आंदोलन किये जा रहें हैं. इन्होंने बताया कि बिहार सरकार अतिपिछड़ा समाज के BPSC और UPSC पास अभ्यर्थियों को 1 लाख रुपये की प्रोत्साहन राशि देती है.
उन्होंने सवाल किया है कि सिर्फ अतिपिछड़ा समाज को ही क्यों ? गरीब सामान्य वर्ग के छात्रों को क्यों नहीं प्रोत्साहन राशि मिलनी चाहिए ? केंद्र और राज्य सरकार जल्द से जल्द हमारी मांगो पर विचार नहीं करेगी तो आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव में इसका परिणाम भुगतना पड़ेगा.
गौरतलब है कि सोशल मीडिया में छह सितंबर को भारत बंद की खबर वायरल हो रही थी. लेकिन पता नहीं चल पा रहा था कि कौन संगठन ऐसा कर रहा है. बंद का आह्वान करनेवाला संगठन कौन है और सूत्रधार कौन है, स्पष्ट नहीं हो रहा है. अब सवर्ण सेना के राष्ट्रीय संयोजक भागवत शर्मा ने 6 सितंबर के भारत बंद का समर्थन कर साफ़ कर दिया है कि उनका समर्थन है भारत बंद को. भारत बंद के वायरल सन्देश को धयन में रखते हुए पूरे देश में चौकसी बढ़ाई जा रही है. बिहार में 30 अगस्त को भी सवर्ण सेना ने विरोध पूरे बिहार में किया था. 6 सितंबर की भारत बंदी को लेकर मध्य प्रदेश में ज्यादा ही टेंशन है. अभी से कई जिलों में 144 लागू किया जा रहा है. दूसरी ओर बंद समर्थक भी गोलबंद हो रहे हैं.
सवर्णों के भारत बंद के कॉल से बीजेपी से लेकर सरकार की बेचैनी बढ़ गई है. सवर्ण तबके की नाराजगी बीजेपी को टेंशन दे रही है. यह वर्ग बीजेपी का पुराना और पारंपरिक वोटर रहा है. अभी राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ समेत अन्य राज्यों में चुनाव होने हैं. ऐसे में, यह नाराजगी पार्टी को भारी पड़ सकती है.
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