सिटी पोस्ट लाइव, रांची: भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने छठी जेपीएससी की नियुक्यिों में सर्वोच्च न्यायालय के न्याय-निर्णयों की अनदेखी करने का आरोप हेमंत सरकार पर लगाया है। दास ने मंगलवार को कहा है कि हाल में प्रकाशित हुए छठी जेपीएसपी के अंतिम परिणाम में सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थियों से अधिक अंक लाने वाले ओबीसी अभ्यर्थियों को फेल घोषित कर दिया। पूर्व मुख्यमंत्री ने राज्य विधानसभा चुनावों में झारखंड मुक्ति मोर्चा द्वारा झारखंड के मूलवासी-आदिवासी और पिछड़ों के हित में काम करने का वायदा करने के प्रतिकूल राज्य सरकार द्वारा आचरण करने का आरोप लगाया है। उन्होंने जेपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा की चर्चा करते हुए कहा कि जब प्रारंभिक परीक्षा परिणाम प्रकाशित हुआ था तब भी सामान्य से अधिक अंक लाने वाले ओबीसी अभ्यर्थियों को फेल कर दिया गया था। उनसे कम अंक लाने वाले अनारक्षित सामान्य अभ्यर्थी पास घोषित कर दिये गये थे। इन विसंगतियों की जानकारी उनके नेतृत्व में गठित भाजपा सरकार को मिली तो सरकार ने न्यायोचित निर्णय लिया था। इसके बाद ओबीसी के वैसे अभ्यर्थी जिनके अंक सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थियों से अधिक थे, उन्हें उतीर्ण किया गया था और वे मुख्य परीक्षा में भाग ले सके थे।
इस संबंध में दास ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इंदिरा साहनी मामले को लेकर हाल तक के न्याय-निर्णयों की चर्चा की है। उन्होंने कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय ने साफ कहा है कि हर श्रेणी के अभ्यर्थी सबसे पहले तो सामान्य श्रेणी का भी अभ्यर्थी माना जाता है। अत: यदि आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थी के अंक सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थी से अधिक हो तो वह सामान्य श्रेणी में शामिल माना जायेगा। सर्वोच्च न्यायालय ने ऐसा नहीं किये जाने की परिस्थिति को सामान्य श्रेणी के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण दिये जाने की संज्ञा दी है अथवा इसे कम्युनल अवार्ड कहा है और अपने अनेक न्याय-निर्णय में ऐसी प्रक्रिया को गलत ठहराया है।
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पूर्व मुख्यमंत्री ने जेपीएससी के अंतिम परिणामों के लिए अभ्यर्थियों के कट-ऑफ मार्क्स निर्धारण की चर्चा करते हुए कहा है कि अंतिम परिणाम के लिए जेनरल श्रेणी के अभ्यर्थियों का कट-ऑफ मार्क्स 600 और ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए 621 निर्धारित किया गया। यानी वैसे सभी ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थी जिनको 600 से लेकर 621 अंक प्राप्त हुए। मतलब अंतिम जनरल श्रेणी के अभ्यर्थी से अधिक अंक लाने वाले उन सभी को असफल घोषित किया गया है। उन्होंने छठी जेपीएससी की नियुक्ति पर सवाल खड़ा करते हुए कहा है कि जब इस मामले में अनेक वाद उच्च न्यायालय में लंबित पड़े हैं, तो सरकार को हड़बड़ी में नियुक्तियां करने की क्या वजह थी। यह स्पष्ट तौर पर झारखंड के आदिवासियों और मूलवासियों तथा पिछड़े वर्ग के साथ अन्याय है।
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