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‘सन ऑफ़ मल्लाह’ का मायाजाल, सब दल के नेता उसे भेदने को लेकर परेशान

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‘सन ऑफ़ मल्लाह’ का मायाजाल, सब दल के नेता उसे भेदने को लेकर परेशान

लाइव पोस्ट लाइव : सन ऑफ़ मल्लाह क्या गुल खिलायेगा. पटना के गांधी मैदान में धमाकेदार रैली करने के बाद सन ऑफ़ मल्लाह मुकेश सहनी सभी राजनीतिक दलों की नजर पर चढ़ गया है. उपेन्द्र कुशवाहा, जीतन राम मांझी के बाद अब उनसे मिलने जेडीयू के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर पहुँच गए. दोनों के बीच मौर्या होटल में बातचीत हुई. क्या बातचीत हुई, इसको लेकर अटकलों का बाज़ार गर्म हो गया है.NDA को सबक सिखाने की ठान चुके मुकेश सहनी से JDU के चुनावी रणनीतिकार के मिलने का क्या मकसद है.इसमे शक की कोई गुंजाइश नहीं कि सन ऑफ़ मल्लाह मुकेश सहनी अपनी राजनीतिक सक्रियता और मल्लाह समाज के मिल रहे समर्थन की वजह से एक ताकतवर नेता के रूप में उभरने लगे हैं.अकेला तो पता नहीं वो क्या कर पायेगें लेकिन किसी दुसरे का साथ देकर चुनावी नतीजा जरुर प्रभावित क्र सकते हैं.

सूत्रों के अनुसार  प्रशांत किशोर और मुकेश सहनी के बीच यह मुलाक़ात मौर्या होटल में हुई .सूत्रों के अनुसार दोनों ही नेताओं ने साथ ही डिनर भी किया .लेकिन दोनों में से किसी ने न तो इस मीटिंग की तस्वीर सोशल मीडिया में शेयर की और ना ही कोई आधिकारिक बयान दिया. गुपचुप हुई इस बैठक में खिचडी पकी या खीर ,किसी को नहीं पता.वैसे मुकेश सहनी ने सिटी पोस्ट लाइव से अपनी निषाद रैली के दौरान विशेष बातचीत में कहा था कि वो बिहार में बीजेपी के लिए गुजरात के हार्दिक पटेल से बड़ी चुनौती साबित होगें. फिर उनकी JDU यानी BJP के सहयोगी दल के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के साथ बैठक का क्या मकसद और मतलब है, सब अपने अपने हिसाब से अटकल लगा रहे हैं.

गौरतलब है कि मुकेश सहनी पिछले दो साल से बिहार में अपनी बिरादरी ( मल्लाह ) को गोलबंद करने में जुटे हुए हैं. वो अपना संगठन और पार्टी कॉर्पोरेट स्टाइल में चलाते हैं. वो सबकुछ तय कार्यक्रम के अनुसार ही करते हैं. उनका लक्ष्य और उसे पाने के कार्यक्रम तय होते हैं. उनका सबसे पहला लक्ष्य अपने समाज को अपने राजनीतिक हक़ को लेकर गोलबंद करना था. दो साल लगातार कार्यक्रम कर वो अपने समाज को गोलबंद करने में काफी हदतक सफल रहे हैं.अब इस गोलबंदी के जरिये वो राजनीति में अपनी ताकत आजमाना चाहते हैं. सभी राजनीतिक दल उन्हें अपने साथ करने में जुटे हैं तो मुकेश मल्लाह उस पार्टी और गठबंधन की पहचान में जुटे हैं जो उनके समाज को उसका हक़ दिला सके.

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