सिटी पोस्ट लाइव (सोमनाथ) : बिहार के जेडीयू के दलित नेता गुजरात के जिग्नेश की राह पर हैं. उन्होंने पार्टी लाइन से अलग राह अपनाते हुए मोदी सरकार और उसके दलित मंत्री पासवान पर जोरदार हमला बोल दिया है.श्याम रजक ने कहा कि दलितों के मुद्दे पर उनकी पार्टी का चाहे जो भी स्टैंड हो, वो चुप नहीं बैठने वाले .उन्होंने बगावत का सूर तेज करते हुए कहा कि दलित हित उनके लिए पार्टी और राजनीति से ऊपर है.उन्होंने केंद्र सरकार को 8 अगस्त का अल्टीमेटम पासवान द्वारा दिए जाने को बानर भभकी करार देते हुए उनसे दलितों के मुद्दे पर मोदी कैबिनेट से इस्तीफा देने की मांग कर दी है.
एक तरफ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और रामविलास पासवान करीब आ रहे हैं दूसरी तरफ जेडीयू के दलित नेता श्याम रजक ने रामविलास पासवान के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.श्याम रजक दलितों के मुद्दे पर रामविलास पासवान पर जोरदार हमला बोल दिया है.उन्होंने कहा कि रामविलास पासवान दलित हितैषी होने का दिखावा बंद करें. न माया मिली – न राम वाली स्थिति में न फंसें . दलित कानून को शिथिल करने वाले सुप्रीम कोर्ट के निर्देश को रोकने को नरेंद्र मोदी सरकार आर्डिनेंस लाए . जस्टिस ए के गोयल को एनजीटी के चेयरमैन पद से डिसमिस करे . दोनों काम नहीं होते हैं, तो रामविलास पासवान को इस्तीफा देकर कैबिनेट से बाहर आ जाना चाहिए . पूरे देश का दलित साथ होगा, नहीं तो भुगतेंगे .
श्याम रजक ने कहा कि रामविलास पासवान की अब तक की चाल दलितों को दिग्भ्रमित करने वाली रही है . 22 दिनों तक चुप रहे . जब 2 अप्रैल को पूरे देश में दलित सड़कों पर थे,अभूतपूर्व भारत बंद था,तब रामविलास पासवान क्या कर रहे थे? श्याम रजक ने कहा कि अब दलितों को गुमराह करना संभव नहीं. अब दलित जग गए हैं और अपने हक़ के लिए मरने-मारने को तैयार हैं.
श्याम रजक ने कहा कि उनके लिए दलितों का मुद्दा सर्वोपरि है . बाबा साहब सब कुछ हैं . इसके लिए सब कुछ कुर्बान . उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी का आखिरी स्टैंड क्या होगा,वे नहीं जानते,पर दलितों की हर लड़ाई में वे सबसे आगे होंगे . देश में दलितों की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है . सुप्रीम कोर्ट के तुगलकी आदेश के बाद थानों में दलितों को परेशान किया जा रहा है . शिकायत पर भी कार्रवाई नहीं हो रही है.श्याम रजक ने कहा कि बेशक रामविलास पासवान दलितों के बड़े नेता हैं . पर, बड़े नेता होने-कहलाने मात्र से कुछ नहीं होगा .समाज के लिए कुर्बानी देनी होगी . देश के दलित कुर्बानी मांग रहे हैं. पासवान को या तो दलितों के लिए अपने मंत्री पद की क़ुरबानी देनी होगी या फिर दलित राग अलापना छोड़ना होगा.
श्याम रजक ने कहा कि 8 अगस्त की रामविलास पासवान की डेडलाइन केवल दिखावा भर है. इस बानर भभकी से काम नहीं चलनेवाला .पासवान 8 अगस्त की रात को फैसला करें और 9 अगस्त की तारीख से मंत्री पद की कुर्सी छोड़ें .श्याम रजक ने कहा कि रामविलास पासवान को उस कैबिनेट में बिलकुल नहीं बैठना चाहिए, जिसने सुप्रीम कोर्ट में लगातार दलितों के खिलाफ फैसला देने वाले जज ए के गोयल को रिटायरमेंट के तुरंत बाद एनजीटी का चेयरमैन बनाकर देश के दलितों को अपमानित और छोटा दिखाने का काम किया है.
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