झारखण्ड में विपक्षी दलों का प्लान बी तैयार, प्रेशर पॉलटिक्स का दौर जारी
झारखण्ड में विपक्षी दलों का प्लान बी तैयार, प्रेशर पॉलटिक्स का दौर जारी
सिटी पोस्ट लाइव, रांची : लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर विपक्षी गठबंधन के बनते-बिगड़ते समीकरणों के बीच प्लान बी की जुगत भी लगानी शुरू हो गई है। यह प्लान अपेक्षाकृत संवेदनशील परिस्थितियों के मद्देनजर प्रमुख विपक्षी दलों द्वारा तैयार किया जा रहा है। लोकसभा की कुछ सीटों को लेकर विपक्षी खेमे में अभी से जिच की स्थिति देखी जा रही है। हालांकि, मुख्य विपक्षी दल झामुमो और कांग्रेस ने अभी तक खुले तौर पर अपने पत्ते नहीं खोले हैं। लेकिन झारखंड में विपक्षी दलों का जो सियासी सीन दिखाई दे रहा है, उससे कुछ ऐसे ही कयास लगाए जा रहे हैं। झारखंड में लोकसभा की 14 सीटों के बंटवारे को लेकर कांग्रेस द्वारा जो फार्मूला फौरी तौर पर तैयार किया गया है, उस फार्मूले में सभी दल अपने पूरे सम्मान के साथ फिट होते नहीं दिख रहे हैं। ऐसे में आपात स्थिति के लिए प्लान बी की तैयारी की जा रही है। बताया जा रहा है कि झामुमो के छिटकने के कयास मात्र से ही कांग्रेस अलर्ट हो गई है। कांग्रेस, बाबूलाल मरांडी की झाविमो और राजद के साथ-साथ वामदलों को साधने में जुटी है और आपात स्थिति में झामुमो को छोड़ इन दलों को साथ ले लोकसभा चुनाव में उतर सकती है। इधर, झामुमो खेमे में भी एक सुर्रा उड़ा है कि पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन, ममता बनर्जी और मायावती के संपर्क में हैं। भले ही इन दलों का वजूद झारखंड में न के बराबर हो लेकिन इसका संदेश खासा बड़ा होगा। ममता बनर्जी से जुड़कर झामुमो गैर भाजपाई बांग्लाभाषी मतदाताओं को रिझाना चाहता है। इसी प्रकार मायावती से रिश्ते जोड़ मोर्चा की नजर अनुसूचित जाति के मतदाताओं पर है।
पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की विधायक पत्नी गीता कोड़ा को कांग्रेस में शामिल कराकर पार्टी ने लंबी पारी की शुरुआत की है। पार्टी की नजर भाजपा से नाराज कुछ और नेताओं पर भी है जिसे चुनाव के पूर्व शामिल कराकर झामुमो और गठबंधन दलों को दबाव में लेने की तैयारी है। कोड़ा को शामिल कराकर कांग्रेस प्रेशर पॉलटिक्स में कुछ आगे दिख रही है। हालांकि मधु कोड़ा अभी भी कांग्रेस से दूर हैं।
प्रेशर पॉलटिक्स का दौर जारी है
महागठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर प्रेशर पॉलटिक्स का दौर जारी है। राष्ट्रीय दल कांग्रेस राज्य की आधी लोकसभा सीटों पर दावेदारी को आतुर है, बदले में अगले साल ही होने वाले विधानसभा चुनाव में झुकने को तैयार है। लेकिन झारखंड में मुख्य विपक्षी दल का तमगा रखने वाले झामुमो को यह नागवार गुजर रहा है। वर्तमान में दो लोकसभा और 19 विधानसभा सीटों पर काबिज झामुमो यदि सीटों के बंटवारे को लेकर बैकफुट पर आती है तो इसका मैसेज अच्छा नहीं जाएगा। यही वजह है कि कुछ खास सीटों को लेकर वह दबाव बनाने में जुटी है। हालांकि दोनों ही दल मौके की नजाकत को भी भांप रहे हैं। संभव है कि आने वाले समय में गाड़ी पटरी पर आ जाए।
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