City Post Live
NEWS 24x7

जनता का तेल निकालते निकालते कहीं खुद का तेल न निकल जाए

- Sponsored -

- Sponsored -

-sponsored-

एकबार फिर लोग सवाल करने लगे हैं.आखिर क्यों जब चुनाव होता है डीजल पेट्रोल की कीमत घाट जाती है और चुनाव बाद बढ़ जाती है ? इस सवाल का जबाब सत्ता के शीर्ष पर बैठे हुक्मरान ही दे सकते हैं .लेकिन जबाब देने की बजाय वो इसके लिए राज्य सरकारों को जिम्मेवार थार देते हैं.राज्य सरकारों से केंद्र तेल पर वैट करने की गुजारिश तो करता है लेकिन खुद इसे जीएसटी के अन्दर लाने में आनाकानी क्यों कर रहा है ?

कर्नाटक चुनाव के बाद पिछले 9 दिनों से हर दिन पेट्रोल और डीजल के दाम लगातार बढ़ते जा रहे हैं.कहने के लिए तो तेल कीमतों को सरकार के नियंत्रण से बाहर कर दिया गया है. अब तेल कंपनियां हर रोज तेल के दाम तय करती हैं. लेकिन चुनावों के दौरान तेल के दाम क्यों घाट जाता है या फिर स्थिर हो जाता है ?

दिल्ली में पिछले 9 दिनों में पेट्रोल के दाम 2.24 रुपये और डीजल के दाम 2.15 रुपये बढ़ा दिए गए. इस तरह 14 सितंबर 2013 का रिकॉर्ड टूट गया. जब बीजेपी विपक्ष में थी उसके नेता दिएस्सेल पेट्रोल के दाम बढ़ने पर विरोध जताने के लिए साइकिल पर सवार होकर विरोध जताते थे .लेकिन सत्ता में आते ही उन्हें तेल की महंगी क्यों नहीं खटक रही है.उनकी आमदनी सत्ता में होने कारण बढ़ गई है क्या ? दरअसल सत्ता का चरित्र  एक होता है.जो भी दल सत्ता में होता है उसकी तेल कंपनियों के साथ सांठ-गांठ हो जाती है.और ऐसे हमेशा बेरोकटोक चलता रहता है जनता का तेल निकालने का खेल.

बदलाव के नाम पर आखिर कबतक जनता अपना तेल निकलवाती रहेगी.जनता का तेल निकालते निकालते कहीं खुद का तेल न निकल जाए .अब जनता का धैर्य भी जबाब देने लगा है.विरोध मुखर होने लगा है.तब जनता की चिंता बीजेपी को भी होने लगी है.तेल की कीमतों को विपक्ष का राजनतिक अजेंडा बतानेवाले अमित शाह नेको तेल की बढ़ी कीमतों पर खुल कर बोलना पड़ा. है. उन्होंने कहा कि पेट्रोल की बढ़ी कीमतों को सरकार गंभीरता से ले रही है. कल पेट्रोलियम मंत्री बैठक करेंगे. तीन-चार दिन में सबकुछ  ठीक हो जाएगा.बुधवार को कैबिनेट की बैठक में इसपर चर्चा हो रही है,देखिये कितनी रहत जनता को मिलती है.

2014 में मोदी सरकार बनने के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम बेहद कम थे तब भी सरकार ने दाम नहीं घटाए. 9 बार एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई. कहा कि आगे कभी बढ़ेंगे तो घटाने में आसानी होगी. पर अब जब कच्चे तेल के दाम बढ़ रहे हैं, सरकार यहां भी दाम बढ़ा रही है. अब पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने दखल दिया है. वे सभी तेल कंपनियों के अध्यक्षों से मिलने जा रहे हैं.

आम जनता एक लीटर पेट्रोल की जो कीमत चुकती है उसका चालीस फीसदी हिस्सा टैक्स है जो केंद्र और राज्य सरकारों के बीच आपस में बंटता है. धर्मेन्द्र प्रधान राज्यों से वैट घटाने की मांग तो करते नजर आते हैं लेकिन सच्चाई यहीं है कि जिन राज्यों में बीजेपी की सरकार है जैसे महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, असम, राजस्थान ,वहां भी पेट्रोल पर अब भी 30 फीसदी से अधिक वैट है.जब बीजेपी शाहिर राज्यों द्वारा ज्यादा टैक्स वसूला जा रहा है फिर गैर-बीजेपी शासित राज्यों से क्या उम्मीद कर सकते हैं.ममता कम करेगीं नहीं और नीतीश कुमार  पेट्रोल-डीजल के ‘आधार मूल्य’ को घटाने के लिए पुनर्गणना की बात कर रहे हैं.

कुल मिला कर एक जमाने में पेट्रोल-डीजल की कीमतों को लेकर जमकर राजनीति करने वाली बीजेपी की सरकार आज खुद सवालों के घेरे में है. चूंकि कीमतें हर रोज बदलती हैं इसलिए इन पर ज़्यादा ध्यान नहीं जाता, लेकिन जब कीमतें सिर्फ बढ़ें और घटे न, तो सवाल उठना लाजमी है. बीजेपी को इस बात की परेशानी है कि कहीं उसे 2019 में इसकी राजनीतिक कीमत न चुकानी पड़ जाए.इसलिए अब एकबार फिर से तेल की कीमतों को लेकर पार्टी से लेकर सरकार में विचार मंथन का दौर शुरू हो गया है.

- Sponsored -

-sponsored-

Subscribe to our newsletter
Sign up here to get the latest news, updates and special offers delivered directly to your inbox.
You can unsubscribe at any time

-sponsored-

Comments are closed.