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पप्पू यादव ने साधा रविशंकर प्रसाद पर निशाना, कहा-आपकी अपनी कोई हैसियत नहीं…

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पप्पू यादव ने साधा रविशंकर प्रसाद पर निशाना, कहा-आपकी अपनी कोई हैसियत नहीं…

सिटी पोस्ट लाइव : बिहार के मधेपुरा से सांसद और जन अधिकार पार्टी के संरक्षक राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने देश के कानून मंत्री पर निशाना साधा है। पप्पू यादव ने अपने ट्विटर हैंडल के माध्यम से कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को चुनौती देते हुए कहा है कि “मंत्री जी आपकी अपनी कोई राजनीतिक जमीन नहीं है तो चापलूसी के सहारे अपनी सियासी हैसियत बरकरार रखने के लिए किसानों के पीठ में झूठ का छुरा क्यों घोंप रहे हैं? 866 रु में आप एक क्विंटल गेंहू उपजा सकते हैं तो मैं आपको 866000रु देता हूं, 1000 क्विंटल गेंहू उपजाकर दीजिये”।

इस से पहले पप्पू ने अपने ट्वीट में सवाल पूछा था भूमिहीन किसान को एक कट्ठे भूमि के लिए कितना किराया(पट्टा) देना होता है मंत्री जी जानते हैं? गेंहू की बुवाई से पहले खेत की कितनी बार जुताई, कितना बीज, उर्वरक, कीटनाशक का कितना उपयोग किया जाता है पता है? बुवाई के बाद कितने बार पटवन, निकाई-गुड़ाई,यूरिया का उपयोग और कटाई का व्यय पता है? गौरतलब है कि कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने किसानों के आंदोलन के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2018-19 वर्ष के लिए गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में 105 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी कर इसे 1,840 रुपये प्रति क्विंटल करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है।

ये पहला मौका नहीं है जब पप्पू यादव किसी नेता पर सीधे तौर पर हमला किये हों। इस से पहले भी उन्होंने लालू यादव के छोटे बेटे और बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव पर निशाना साधते हुए ये खुद को लालू का असली उत्तराधिकारी भी घोषित कर दिया था। जाहिर है कि राष्ट्रीय जनता दल से अलग होने के बाद पप्पू अपनी राजनैतिक जमीन तलाशने में लगे हुए हैं। इसलिए वो खुद जनता का मसीहा साबित करने का कोई भी मौका छोरना नहीं चाहते। फ़िलहाल पप्पू यादव के इस ट्वीट पर भाजपा के रिएक्शन का इंतजार है।

गौरतलब है कि पप्पू यादव को 2014 आम चुनाव परिणाम के कुछ ही दिन बाद पार्टी विरोधी बयानबाजी और पार्टी विरोधी गतिविधि‍यों में संलिप्त होने का आरोप लगाते हुए लालू यादव ने उन्हें 6 साल के लिए पार्टी से सस्पेंड कर दिया था। हालांकि पप्पू ने उस वक्त अपने निलंबन पर कहा था कि ‘लालू प्रसाद उन्हें अपनी विरासत के लिए खतरा मान रहे थे इसलिए उनके साथ यह बर्ताव किया गया है’।अपने निलंबन के कुछ ही दिनों बाद उन्होंने ‘जन अधिकार पार्टी’ के नाम से अपनी अलग राजनैतिक दल की घोषणा कर दी थी।
रिपोर्ट: नई दिल्ली,आशुतोष झा

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