सिटी पोस्ट लाइव, पाकुड: सत्ता से बाहर हुए बौखलाए दल व दलों के लोग सीएए व कृषि बिल जैसे मुद्दों की आड़ में लोकतंत्र को हाईजैक करने में लगे हुए हैं। इनकी गतिविधियां लोकतांत्रिक पद्धति के बिल्कुल खिलाफ हैं। ये बातें सोमवार को राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री सह भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने संवाददाताओं से कहीं। उन्होंने कहा कि उनको लगता है कि वर्तमान केंद्र सरकार गलत कर रही है तो वे अगले चुनाव में दोबारा सत्ता में वापस आएँ और इन बिलों को निरस्त कर दें।लेकिन इसकी आड़ में सिर्फ विरोध के लिए विरोध कर लोकतंत्र का हनन न करें।
उन्होंने पिछले दिनों कोलकाता में आयोजित पराक्रम दिवस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री की मौजूदगी में लगाये गए जय श्रीराम के नारे से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भड़कने को लेकर कहा कि यह सही है कि कार्यक्रम सरकारी था लेकिन वहाँ मौजूद श्रोता या जनता तो सरकारी नही थी? फिर राम और कृष्ण इस देश के महापुरुष ठहरे। उनके नाम पर भड़कना क्या लोकतन्त्र का हनन नहीं है।लेकिन ऐसे लोग अपनी संभावित हार को देखकर आमजनता के लोकतांत्रिक अधिकारों को कुचलने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं।संभवतः इसी बौखलाहट के चलते पश्चिम बंगाल में अबतक भाजपा के डेढ़ सौ से भी ज्यादा कार्यकर्ताओं एवं नेताओं की हत्या हो चुकी है। साथ ही जय श्रीराम के नारे की आड़ में भाजपा द्वारा वोटों का ध्रुवीकरण करने के आरोपों के मद्देनजर उन्होंने कहा इसका विरोध करना क्या है?इसका जवाब भाजपा विरोधियों को देना चाहिए।वहीं उन्होंने गोड्डा की मेडिकल छात्रा की संदिगध हत्या/आत्महत्या पर संबंधित डीआईजी के बयान को उन्होंने सरकार के दबाव में दिया गया बयान बताया।
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साथ ही कहा कि मैं अपने स्तर से इस मामले की जांच करवाऊँगा। इसके अलावा उन्होंने सांसद निशिकांत दूबे के सर्टिफिकेट विवाद व उनकी पत्नी की जमीन खरीद के मद्देनजर की जा रही जिला प्रशासन और पुलिस की कारवाई को सरकार के दबाव का परिणाम बताया और कहा कि इसकी जांच का अधिकार सिर्फ चुनाव आयोग तथा इनकम टैक्स विभाग को है न कि स्थानीय प्रशासन को।इसके अलावा उन्होंने कई उदाहरणों के हवाले से हेमंत सरकार पर विरोधियों के प्रति निरंकुश व पूर्वाग्रह से ग्रस्त हो कारवाई करने का आरोप लगाया।
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