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बिहार ने किया अद्भुत काम लेकिन विशेष राज्य का दर्जा देने पर नहीं कर सकते विचार

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बिहार ने किया अद्भुत काम लेकिन विशेष राज्य का दर्जा देने पर नहीं कर सकते विचार

सिटी पोस्ट लाइव :  15 वें वित्त आयोग के अध्यक्ष एन.के. सिंह बिहार के विकास से संतुष्ट हैं.बुधवार को सर्वदलीय बैठक करने के बाद उन्होंने कहा कि वो चाहते हैं कि बिहार शीघ्र विकसित राज्यों की श्रेणी में आए . इसके लिए जो  सहायता संभव होगी ,आयोग करेगा.उन्होंने कहा कि  हम चाहते है कि तेज गति से विकास कर रहा बिहार जितना जल्द हो विकसित राज्य बनने का लक्ष्य प्राप्त कर सके. लेकिन उन्होंने साथ ही उन्होंने ये भी साफ़ कर दिया कि  विशेष राज्य का दर्जा देने पर विचार करना आयोग का काम नहीं है. वे किसी राज्य को विशेष दर्जा देने पर विचार नहीं कर सकते.

एनके सिंह ने कहा कि वित् आयोग ऐसी कोई अनुशंसा नहीं कर सकता.लेकिन  बिहार को विशेष सहायता देने पर आयोग पूरी सहानुभूतिपूर्वक विचार करेगा. एन के सिंह ने कहा कि बिहार ने पिछले 10 वर्षों में अद्भुत काम किया है. कई सेक्टर ऐसे हैं, जहां उसका काम प्रभावित करता है. कई वर्षों में तो उसका विकास दर राष्ट्रीय औसत से भी अधिक रहा है. वर्ष 2011, 2012, 2016 व 2017 में उसका विकास दर 12 फीसदी रहा, जो राष्ट्रीय औसत से अधिक था. गरीबी उन्मूलन के लिए सरकार के प्रयास की सराहना की जानी चाहिए. इसमें 20.7 फीसदी की कमी आयी.

उन्होंने कहा कि पावर सेक्टर में काफी अच्छा काम हुआ है. लेकिन बिहार के मौजूदा काम को देखते हुए पावर सेक्टर में और बेहतर काम की उम्मीद है. राज्य ने मानव विकास सूचकांक के क्षेत्र में काफी प्रगति की है. बेहतर वित्तीय प्रबंधन से एफआरबीएम सीमा के अंदर ही रहा. सिंह ने कहा कि योजना आयोग खत्म होने के बाद 15 वें वित्त आयोग का गठन किया गया है. यह बड़ी चुनौति होगी कि पहली बार वित्त आयोग योजना आयोग के खत्म होने के बाद काम कर रहा है. योजना-गैर योजना जैसी चीजें खत्म हो गयी हैं. ऐसे में कई तरह की समस्याएं आएंगी. चुनौति तो ये है कि योजना आयोग के नहीं रहने के बाद उस लक्ष्य की पूर्ति सफलतापूर्वक कैसे होगी ?

एन.के. सिंह ने बताया कि आयोग की टीम 10 राज्यों का दौरा कर चुकी है. बिहार 11 वां राज्य है. आयोग का लक्ष्य इस वर्ष के अंत तक या फिर मार्च-अप्रैल तक 29 राज्यों का दौरा कर लेने का है. हर राज्य की अलग-अलग जरुरतें और  अलग-अलग चुनौतियां हैं. उन्हें अलग-अलग तरह की सहायता की दरकार है. ऐसे में सबकी जरूरतों को ध्यान में रखकर ही आयोग अपनी अनुशंसा करेगा. उन्होंने कहा कि आयोग केन्द्र-राज्यों की परिस्थितियों और उनकी जरुरतों का ध्यान रखेगा. क्षेत्रीय असंतुलन दूर करने के लिए भी काम होगा.

एन.के. सिंह ने कहा कि केन्द्र प्रायोजित योजनाओं की समीक्षा होगी. ऐसी योजनाओं का क्या स्वरुप हो? इनकी संख्या कितनी हो? ये किस रुप में काम करे? इनपर होने वाले व्यय का क्या औचित्य है? इनका क्या भविष्य है? इनसे अधिकतम लाभ के लिए क्या किया जाए?  इन सभी सवालों पर  मंथन किया जाएगा.

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