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विवादित मुद्दों पर नीतीश कुमार का समर्थन या समपर्ण !

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विवादित मुद्दों पर अब नीतीश का समर्थन नहीं समपर्ण है!

सिटी पोस्ट लाइवः विवादित मुद्दों पर बीजेपी के साथ रहकर भी साथ खड़े नहीं रहने वाली जेडीयू ने क्या अब समर्थन की बजाए समपर्ण कर दिया है? क्या अनुकूल परिस्थितियों को बीजेपी ने इस हद तक भुनाया है कि सहयोगी जेडीयू को सरेंडर करना पड़ा है? यह दो सवाल मौजूदा राजनीतिक परिस्थिति में बेहद वाजिब हैं क्योंकि लंबे वक्त से तीन तलाक और धारा 370 पर मुखर हो कर विरोध करने वाली जेडीयू के अंदरखाने वो आक्रमकता नजर नहीं आ रही जो पहले नजर आती थी। पहले तीन तलाक बिल पर संसद में बहस के दौरान जेडीयू ने विरोध में वोट करने की बजाय वोटिंग का बहिष्कार किया।

कल जब गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में जम्मू काश्मीर से धारा 370 हटाये जाने का एलान किया तब भी जेडीयू ने विरोध की बजाय बहिष्कार का रास्ता चुना। जाहिर है विरोध में वोटिंग की बजाय बहिष्कार कर जेडीयू ने एक तरह से बीजेपी की मदद हीं की या अपना मौन समर्थन दे दिया। जब धारा 370 जम्मू काश्मीर से हटाये जाने का एलान हुआ तब बिहार सरकार में मंत्री और जेडीयू नेता श्याम रजक ने लोकतंत्र के लिए काला दिन बताया। सवाल है कि जिन विवादित मुद्दों को लेकर जेडीयू की राय बीजेपी से अलग रही है और नीतीश कुमार बीजेपी से अलग स्टैंड लेते रहे हैं, जेडीयू के नेता श्याम रजक लोकतंत्र के लिए काला दिन बता रहे है तो क्या इतनी असहमति के बाद भी बीजेपी के साथ जेडीयू बनी रहेगी?

और जब तीन तलाक बिल पास होने, जम्मू काश्मीर से धारा 370 हटाये जाने के बाद भी बिहार में अभी तक जेडीयू-बीजेपी के बीच के रिश्ते सामान्य हीं दिख रहे हैं तो क्या यह नहीं मान लिया जाना चाहिए कि बीजेपी और केन्द्र सरकार काॅमन सिविल कोड, राम मंदिर जैसे मुद्दों पर आगे बढ़ती है तब भी जेडीयू एनडीए का हिस्सा रहेगी और बीजेपी के साथ उसके रिश्ते सामान्य हीं रहेंगे और इन परिस्थितियों में क्या यह भी नहीं माना जाना चाहिए कि यह एक प्रकार का आत्मसमपर्ण है बीजेपी के सामने।

सवाल कई हैं और फिलहाल जवाब संकेतों में जरूर मिलता नजर आ रहा है तस्वीर अब भी थोड़ी धुंधली है लेकिन उम्मीद है 2020 के बिहार विधान सभा चुनाव के आते-आते स्थिति स्पष्ट होते जाएगी। फिलहाल जम्मू काश्मीर में धारा 370 लागू किये जाने पर बिहार के सीएम सह जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। इंतजार उनकी चुप्पी टूटने का भी है।

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