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उपेंद्र कुशवाहा की ‘खीर’ और नीतीश कुमार के ‘साग-रोटी’ फ़ॉर्मूला के निहितार्थ समझिए

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उपेंद्र कुशवाहा की ‘खीर’ और नीतीश कुमार के ‘साग-रोटी’ फ़ॉर्मूला के निहितार्थ समझिए

सिटी पोस्ट लाइव ( कनक प्रत्यूष ) : घटक दल विपक्ष के वोट बैंक में सेंधमारी करने की बजाय एक दूसरे के वोट बैंक झपटने में जुटे हैं. रालोसपा ने तो जेडीयू का जीना हराम कर दिया है. उपेन्द्र कुशवाहा से लेकर उनकी पार्टी के तमाम बड़े नेता नीतीश कुमार पर लगातार हमला कर रहे हैं. उपेन्द्र कुशवाहा नीतीश कुमार के वोट बैंक “ लव-कुश’ पर अपनी दावेदारी कर बीजेपी से ज्यादा से ज्यादा सीटें लेना चाहते हैं. इसको लेकर वो गठबंधन धर्म की सारी मर्यादा तोड़कर नीतीश कुमार पर हमला कर रहे हैं. लेकिन हैरानी की बात ये है कि बीजेपी इस मसले पर चुप्पी साधे हुई है. अब नीतीश कुमार ये समझ चुके हैं कि उन्हें खुद इस मसले को निबटाना पड़ेगा.

लेकिन हैरानी की बात ये है कि बीजेपी इस मसले  पर चुप्पी साधे हुई है. अब नीतीश कुमार ये समझ चुके हैं कि उन्हें खुद इस मसले को निबटाना पड़ेगा.नीतीश कुमार ने खुद जातीय गोलबंदी पर उतरने की बजाय कुशवाहा समाज को साधने की जिम्मेवारी अपनी पार्टी के एकलौते सांसद संतोष कुशवाहा को सौंपीं. उनके निर्देश पर ही आठ जुलाई को अपने घर पर कुशवाहा नेताओं के लिए भोज का आयोजन किया था. इस भोज के बाद अगस्त में ही नीतीश कुमार के साथ बैठक निर्धारित थी. लेकिन इस बैठक में बात नहीं बनी. इस बैठक में जब
उपेंद्र कुशवाहा के बारे में राय जानने की कोशिश हुई तो पता चला कि अधिकतर कुशवाहा नेता उपेंद्र कुशवाहा के पक्ष में हैं. इस वजह से अगस्त  में नीतीश कुमार के साथ कुशवाहा नेताओं की होनेवाली बैठक रद्द हो गई.

लेकिन जब पानी सर के ऊपर से गुजरने लगा तो नीतीश कुमार को रालोसपा सुप्रीमो उपेन्द्र कुशवाहा के खिलाफ खुद मोर्चा संभालने के लिए मैदान में उतरना पड़ा. नीतीश कुमार जो हमेशा जातीय राजनीति करने से बचते रहे हैं ,जिन्होंने हमेशा जातीय रैलियों से हमेशा दुरी बनाए रखी ,उन्हें उपेन्द्र कुशवाहा को जबाब देने के लिए पहलीबार अपने घर पर कुशवाहा नेताओं की बैठक बुलानी पडी. रविवार को नीतीश कुमार के सरकारी आवास पर पार्टी के 800 से ज्यादा कुशवाहा समाज के नेताओं और कार्यकर्ताओं का जुटान हुआ. लव-कुश
(कुर्मी-कोईरी) वोट बैंक पर उपेंद्र कुशवाहा की सेंधमारी से परेशान नीतीश कुमार ने कुशवाहा समाज के लिए कई बड़े एलान कर दिए .मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बैठक में नीतीश ने पारंपरिक तौर पर सब्जी उगाने वाले कुशवाहा समुदाय के लिए अनुमंडल स्तर पर सब्जी मंडी खोले जाने और किसानों से सब्जियां खरीद कर उसकी मार्केटिंग करने का ऐलान कर दिया. नीतीश कुमार ने कुशवाहा समुदाय को भरोसा दिलाया कि उन्हें पर्याप्त राजनीतिक प्रतिनिधित्व दिया जाएगा.

उपेन्द्र कुशवाहा के ‘लव-कुश वोट बैंक ‘ की खीर पॉलिटिक्स के फ़ॉर्मूला की हवा निकालने के लिए ‘साग-रोटी ‘ फ़ॉर्मूला सामने लाया.अपने आवास पर पार्टी के कुशवाहा नेताओं के साथ पूरे छह घंटे तक मैराथन बैठक करने के बाद नीतीश कुमार ने उपेन्द्र कुशवाहा के खीर पॉलिटिक्स फ़ॉर्मूला की काट के लिए एक नया फार्मूला ‘साग-रोटी ‘ का न्य फ़ॉर्मूला सामने लाया. अब उपेन्द्र कुशवाहा की खीर का मुकाबला नीतीश कुमार की यह  ‘साग-रोटी’ करेगी. इस फ़ॉर्मूला को प्रभावशाली बनाने के लिए नीतीश कुमार ने 16 कुशवाहा नेताओं
की एक कमिटी बनाई. यह कमिटी अब कुशवाहा समाज के बीच जाकर सरकार द्वारा उनके लिए किये जा रहे कार्यों की जानकारी देकर जेडीयू के पक्ष में अपनी विरादरी के लोगों को गोलबंद करेगी.

नीतीश कुमार उपेन्द्र कुशवाहा एक जमाने में गहरे दोस्त हुआ करते थे. आज वहीँ उपेन्द्र कुशवाहा उनके लिए सबसे बड़े सर दर्द बन चुके हैं. नीतीश कुमार का ये दर्द कुशवाहा समाज के नेताओं की बैठक में भी छलका. नीतीश कुमार ने कुशवाहा पर तंज कसते हुए कहा कि जिन नेताओं को उन्होंने उंगली पकड़ कर आगे बढ़ाया, वही आज बहुत कुछ बोलते रहते हैं. जाहिर है अब ये जानी-दोस्ती-जानी दुश्मनी में बदल चुकी है. दो दोस्तों की ये जानी दुश्मनी एनडीए के लिए कितनी घातक और महागठबंधन के लिए कितनी संजीवनी साबित होती है, वक्त बतायेगा.

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