बिहार के बाहर नीतीश कुमार की राजनीतिक हैसियत है सिफर और फिसड्डी
सिटी पोस्ट लाइव “विशेष” : बिहार के मुखिया नीतीश कुमार सूबे के बाहर भी अपनी राजनीतिक जमीन बनाने की कवायद वर्षों से कर रहे हैं। लेकिन हर बार उन्हें मुंह की खानी पड़ी है। नीतीश कुमार दिल्ली सहित कई प्रदेशों में अपने दल के उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतार कर ना केवल करारी शिकस्त झेली है बल्कि अपनी भरपूर किरकिरी भी कराई है। इस बार नीतीश कुमार ने अपने रणबांकुरों को राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में बड़ी उम्मीद से उतारा था। जबकि इससे पहले कर्नाटक चुनाव में नीतीश कुमार ने अपने दल के उम्मीदवारों को उतारा था लेकिन वहां उनके उम्मीदवारों की जमानत तक जब्त हो गई थी। इस हार से नीतीश ने कोई सबक और सीख नहीं ली और फिर से जदयू को बिहार से बाहर पाँव पसारने की गरज से उम्मीदवार खड़े कर डाले। लेकिन इसे विडंबना नहीं मखौल समझिये कि नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू एक बार फिर से बिहार के बाहर अपनी ईज्जत और आबरू बचाने में नाकामयाब रही है। प्रयोग के तौर पर बिहार से बाहर चुनाव लड़ने की लगातार जेडीयू की कोशिश का इसबार भी नतीजा फिर से सुपर फ्लॉप रहा है।
बीते कल मंंगलवार को आये चुनावी नतीजों में जेडीयू को खालिश निराशा हाथ लगी है। पांच राज्यों के लिए हुए विधानसभा चुनाव में जेडीयू ने राजस्थान और छत्तीसगढ़ में अपने उम्मीदवार उतारे थे। लेकिन दोनों जगह ना केवल उन्हें करारी शिकस्त मिली है बल्कि उन्हें शर्मसार भी होना पड़ा है। हद की इंतहा देखिए कि राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पार्टी के सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई है। यूँ तो राजस्थान और छत्तीसगढ़ में जेडीयू के किसी उम्मीदवार की जीत के कयास किसी ने भी नहीं लगाए थे। और हुआ भी यही। जेडीयू को सभी जगहों पर करारी शिकस्त झेलनी पड़ी। जेडीयू ने राजस्थान में 12 प्रत्याशियों को उतारा था लेकिन सभी को हार का मुंह देखना पड़ा है। जेडीयू के राजस्थान अध्यक्ष दौलतराम पैसिया से लेकर सभी उम्मीदवार की करारी हार हुई है। पैसिया को रतनगढ़ सीट पर महज 3387 वोट मिले हैं। जेडीयू को सबसे ज्यादा वोट बांसवाड़ा विधानसभा सीट से मिले हैं जहां उसके उम्मीदवार धीरजमल डिंडोर को 5009 वोट मिले।
डेगाना सीट से रणवीर सिंह को 1737 वोट, बागीदौरा सीट से बालाराम पटेल को 1267 वोट, सुमेरपुर सीट से हेमराज माली को 1319 वोट, घाटोल सीट से नाथूलाल सारेल को 912 वोट, विद्याधर नगर से सुशील कुमार सिन्हा को 588 वोट, भीम-बालू सिंह रावत को 417 वोट, परबतसर सीट से किशनलाल को 281 वोट, मालवीय नगर से भगवान दास को 161 वोट तो झोटवाड़ा सीट से नटवरलाल शर्मा को 199 वोट और बगरू सीट से दौलत राम को 671 वोट मिले मिले हैं। सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गयी है और वे कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं रहे हैं। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में भी जेडीयू के सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई है। जेडीयू ने यहां से भी 12 उम्मीदवारों को चुनावी समर में उतारा था, जिसमें से महज 2 उम्मीदवार ही हजार का आंकड़ा छू पाए हैं।
केसकाल सीट से विन्देश राणा को 2008 वोट, बेमेतरा सीट से चुरामन साहू को 1713 वोट,खुज्जी सीट से सुरेन्द्र सिंह को 438 वोट, कसडोल सीट से सहदेव दांडेकर को 440 वोट, साजा सीट से रोहित सिन्हा को 204 वोट, जांजगीर चंपा सीट से शिवभानु सिंह को 219 वोट, पामगढ़ सीट से नन्द कुमार चौहान को 378 वोट, मनेन्द्रगढ़ सीट से फ्लोरेंस नाईटटिंगल सागर को 361 वोट, रायपुर दक्षिण सीट से जागेश्वर प्रसाद तिवारी को 80 वोट, बेलतरा सीट से रमेश कुमार साहू को 363 वोट, कुरूद सीट से रघुनंदन साहू को 347 वोट और प्रेमनगर सीट से मालती बिहारी राजवारे को 608 वोट मिले हैं।नीतीश कुमार लंबे समय से बिहार के बाहर अपनी राजनीतिक जमीन तैयार कर राष्ट्रीय नेता की कतार में खड़ा होना चाहते हैं।सबसे पहले दिल्ली में उन्होंने उम्मीदवार खड़े किए थे। कुछ समय पूर्व कर्नाटक में अपनी पार्टी के उम्मीदवार खड़े कर के वे अपनी जगहंसाई करा चुके हैं। कर्नाटक में उन्हें बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा था।
नीतीश कुमार के लिए एक बड़ी सियासी सलाह यह है कि वह अपना पूरा ध्यान बिहार की राजनीति में लगाएं। बीजेपी और एनडीए बिहार में नीतीश के चेहरे पर ही आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़ने वाली है। ऐसे में नीतीश को बिहार से बाहर मिलने वाली फजीहत पर भी बिहार की जनता की नजर टिकी है। नीतीश को एकाग्रचित्त होकर बिहार हाथ से नहीं निकले, इसके लिए सारे प्रयास करने चाहिए। बड़ी बात यह है कि राजनीति में कुछ भी सम्भव है।
पीटीएन न्यूज मीडिया ग्रुप से सीनियर एडिटर मुकेश कुमार सिंह की “विशेष” रिपोर्ट
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