City Post Live
NEWS 24x7

तैयार है सीटों के बटवारे का फार्मूला, हर कीमत पर नीतीश को मनायेगी बीजेपी

तैयार है 15-15-10 का फार्मूला . बीजेपी –जेडीयू 15 -15 सीटों पर और उपेन्द्र, पासवान को 10 सीट

-sponsored-

- Sponsored -

-sponsored-

सिटी पोस्ट लाईव : बिहार में सीट शेयरिंग को लेकर एनडीए में मचे घमासान को शांत करने का फार्मूला निकल गया है. सूत्रों की मानें तो बीजेपी नीतीश कुमार को 15 सीटें देने को तैयार हो गई है .गौरतलब है कि जेडीयू की तरफ से पहले की तरह 25 सीटों की मांग की जा रही थी .लेकिन जेडीयू को भी पता था कि ये किसी हाल में संभव नहीं है. अभी बीजेपी के 22 सांसद हैं. एलजेपी के 6 और रालोसपा के तीन सांसद हैं.  यानी कुल 31 सिटिंग सांसद एनडीऐ के हैं. एलजेपी और रालोसपा किसी कीमत पर अपनी जीती हुई सीटें छोड़ने को तैयार नहीं है . ऐसे में बीजेपी को अपने ही पांच सिटिंग सांसदों का टिकेट काटना पड़ेगा. सूत्रों के अनुसार बीजेपी ने अपने कुछ बुजुर्ग और पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले सांसदों को इसबार बे-टिकट कर जेडीयू को 15 सीटें देने का फैसला ले लिया है. बीजेपी पासवान को भी 7 की जगह इसबार 5 सीट पर लड़ने के लिए मना रही है.

नीतीश कुमार बीजेपी से कम सीटों पर लड़ने को तैयार नहीं हैं. ऐसे में 15-15-10 सीटों के फ़ॉर्मूले पर काम चल रहा है. यानी बीजेपी –जेडीयू 15 -15 सीटों पर और उपेन्द्र कुशवाहा और पासवान की पार्टी  10 सीटों पर चुनाव लडेगी . इस फ़ॉर्मूले को लेकर किसी तरह से सहयोगी दलों को मनाने के लिए ही बीजेपी के राष्ट्रिय अध्यक्ष अमित शाह बिहार दौरे पर आ रहे हैं. लेकिन नीतीश कुमार अभी भी बीजेपी पर दबाव बनाए हुए हैं. वो अमित शाह के बिहार दौरे से पहले दिल्ली जाकर अरुण जेटली से मिलने वाले हैं. पासवान के साथ भी उनकी बैठक 7 को होनेवाली है. 8 तारीख को कार्यकारणी की बैठक भी जेडीयू का हो रहा है जिसमे कई महत्वपूर्ण राजनीतिक फैसले लिए जा सकते हैं. ऐसा माना जा रहा है कि अगर सम्मानजनक समझौता नहीं हुआ, तो नीतीश कुमार कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं .

गौरतलब है कि पहले बीजेपी अंतिम समय तक सीटों के बटवारे को टालने की रणनीति पर काम कर रही थी.लेकिन जब नीतीश कुमार ने कड़ा रुख अख्तियार कर लिया.  और सीटों के बटवारे के साथ विशेष राज्य के दर्जा के मुद्दे को फिर से उठाना शुरू कर दिया तो बीजेपी को खतरा नजर आने लगा. बीजेपी को पता है कि नीतीश कुमार के अलग हो जाने से नीतीश कुमार को फायदा हो या न हो , उसे बहुत नुकशान जरुर हो जाएगा. दरअसल, नीतीश कुमार ने पिछले एक महीने से बीजेपी को ये संकेत देना शुरू कर दिया है कि वो मजबूर नहीं है हर परिस्थिति में उसके साथ बने रहने के लिए. वैसे भी बीजेपी को पता है कि आज भी नीतीश कुमार बिहार में कांग्रेस के साथ मिलकर एक तीसरा मोर्चा राज्य में बनाने में समर्थ हैं क्योंकि उनका सेक्यूलर क्रेडेंशियल अभी कायम है ..

यह भी जरुर पढ़ें :क्या गूल खिलायेगा नीतीश कुमार और सहयोगी दलों को कमजोर दिखाने का दावं

- Sponsored -

-sponsored-

Subscribe to our newsletter
Sign up here to get the latest news, updates and special offers delivered directly to your inbox.
You can unsubscribe at any time

- Sponsored -

Comments are closed.