सिटी पोस्ट लाइव :नालंदा जिले में जहरीली शराब के सेवन से 10 लोगों की मौत को लेकर बिहार की राजनीति गरमा गई है.विपक्ष के निशाने पर तो सरकार है ही साथ ही बिहार के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने भी शराबबंदी कानून को वापस लेने की मांग शुरू कर दी है.पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने कहा कि सीएम नीतीश कुमार को इस पर समझना, सोचना और विचार करना चाहिए, जब पीएम कृषि कानून को वापस ले सकते हैं तो सीएम को भी इस पर विचार करना चाहिए.शराबबंदी को वापस लेना चाहिए.
बिहार के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने नालंदा में जहरीली शराब से 8 की मौत पर कहा कि शराब पर इतनी बार बोल चुके हैं. अब इस पर बोलना बेईमानी लगता है. नांलदा हीं नहीं और भी जगह पहले मौत हुई है. बोलेंगे तो इसे भाजपा या कुछ और लोग कुछ और समझ जाते हैं. लेकिन, बिहार सीएम नीतीश कुमार पता नहीं क्यों नही समझ पा रहे हैं, उन्होंने इसे प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया है. सेना के हजारों जवान हैं जो शराब पीते है. एक ढंग से पीते हैं. इसलिए सीएम को इस पर विचार करना चाहिए.जीतन राम मांझी ने कहा कि कृषि कानून को जब पीएम नरेंद्र मोदी वापस ले सकते हैं तो शराब की नीति पर समीक्षा न करना यह कहां की बात है. मांझी ने कहा कि शराबबंदी कानून पर समीक्षा करना ही उचित होगा. मांझी यहीं नहीं रुके, उन्होंने कहा कि जहरीली शराब से मौत गोपालगंज में हुई और अब नालंदा में मामला सामने आया है.
अब सवाल यह है कि बिहार में कहां नहीं जहरीली शराब से मौत हई है.पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि शराब बनाने के लिए तस्कर केमिकल यूज करते हैं और जो कमजोर वर्ग के हैं वो इसका अधिक शिकार होते हैं. मांझी ने कहा कि गुजरात में तो बिहार से पहले शराबबंदी लागू है जो महात्मा गांधी का जन्मस्थली है. उसी प्रकार से गुजरात मॉडल भी सरकार अपना ले तो उचित होगा. जीतनराम मांझी ने कहा कि शराब बंद करना यह सिर्फ कह सकते हैं प्रैक्टिकल रूप से कर नहीं सकते हैं. हजारों सेना के जवान हैं जो शराब पीते है. एक ढंग से पीते हैं.
मांझी ने कहा कि हमने पहले भी कहा कि रात 10 बजे के बाद बड़े-बड़े लोग सोने के समय शराब का सेवन कर रहे हैं. लेकिन, उनके खिलाफ कारवाई नहीं होती है, पुलिस गरीब लोगों को ही पकड़ लेती है. 1991 शराब नीति में प्रावधान है कि कोई भी व्यक्ति शराब पीकर सार्वजनिक स्थान पर नहीं जा सकता हैं, न किसी से झगड़ा कर सकता है. मांझी ने कहा कि अब तो सुप्रीम कोर्ट की ओर से भी कहा जा रहा है कि कि जमानत का नम्बर आने में ही समय लग जा रहा है. इस पर नीतीश कुमार को सोचना, समझना और विचार करना चाहिए.
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