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लालू यादव के सामने है पार्टी और परिवार दोनों को बचाने की बड़ी चुनौती

जगदानंद और तेज प्रताप के बीच जारी है घमाशान, तेजप्रताप के लगातार हमले से परेशान हैं जगदा बाबू.

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सिटी पोस्ट लाइव : RJD सुप्रीमो लालू यादव के सामने परिवार और पार्टी दोनों बचाने की बड़ी चुनौती है. लालू यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव का अंडाक लालू वाला है. वो चुपचाप शांत कभी नहीं बैठते.समय समय पर पटाखे छोड़ते रहते हैं. उनके निशाने पर शुरू से ही RJD के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह रहे हैं.लालू यादव के लाख समझाने के वावजूद वो जगदानंद पर हमले का कोई मौका नहीं गंवाते.पार्टी के स्थापना दिवस के मौके पर भी उन्होंने उनकी क्लास लगा दी. अपने सख्त अनुशासन की वजह से कभी पार्टी के बड़े नेता रघुवंश प्रसाद के निशाने पर रहनेवाले जगदानंद अब तेजप्रताप यादव से परेशान हैं.

तेज प्रताप यादव के साथ असहज रिश्‍तों की वजह से जगदनद सिंह की मुश्किल बढ़ गई है.उन्हें हमेशा अपमान का घूंट पीकर रहना पड़ता है.RJD के 25वें स्‍थापना दिवस समारोह में भी हमेशा की तरह तेज प्रताप ने जगदानंद की सार्वजनिक रूप से फजीहत करा दी. ऐसी हालत में उनके इस्‍तीफे की चर्चाएं सामने आईं, हालांकि राजद ने इससे इंकार किया. सवाल यह है कि अगर ऐसी स्थिति बन रही है या बनती है तो लालू अपने बेटे तेज प्रताप और जगदा में किसे चुनेंगे.लालू यादव के लिए निर्णय लेना आसान नहीं है.RJD के पटना स्थित प्रदेश कार्यालय में तेज प्रताप यादव ने एक मसले पर दल के नेताओं को हाथ उठाने को कहा. उनकी इस अपील पर मंच पर बैठे कई नेताओं ने हाथ नहीं उठाया, लेकिन तेज ने खास तौर पर जगदा पर निशाना साधते हुए कहा- लगता है अंकल अभी भी नाराज हैं… उनके इस बयान के बाद बगल में बैठे श्‍याम रजक ने जगदा का हाथ जबर्दस्‍ती उठवा दिया.

तेज प्रताप ने बिना किसी का नाम लिये मंच से ही प्रदेश नेतृत्‍व को खूब खरी-खोटी सुनाई. उन्‍होंने कहा कि कुछ लोग उन्‍हें आगे बढ़ता नहीं देखना चाहते हैं. उन्‍होंने खुद की उपेक्षा किए जाने और पीछे धकेलने का आरोप लगाया. दरअसल तेज प्रताप को मलाल रहता है कि उन्‍हें उनके पिता की पार्टी में छोटे भाई तेजस्‍वी की तरह सम्‍मान नहीं मिलता. अपनी इस पीड़ा का वो पहले भी कईबार जाहिर कर चुके हैं.कुछ महीने पहले तेज प्रताप ने अपने पिता लालू प्रसाद यादव की जेल से रिहाई के लिए पोस्‍टकार्ड अभियान शुरू किया था. इस दौरान भी उन्‍होंने एक दिन प्रदेश कार्यालय में जमकर जगदानंद पर हमला किया था. उन्‍होंने कहा था कि जगदा उनके अभियान में रुचि नहीं ले रहे.उनके प्रदेश दफ्तर में आने पर अपने चैंबर से बाहर तक नहीं निकले तब भी उन्‍होंने उन्हें खूब खरी खोटी सूना दी थी.

जगदानंद का तेजस्‍वी के साथ बेहतर तालमेल है.जगदानंद सिंह को ये बखूबी पता है कि अगर उन्होंने तेजप्रताप यादव को ज्यादा भाव दिया तो तेजस्वी यादव के निशाने पर आ जायेगें.लेकिन तेजप्रताप की उपेक्षा करना उन्हें महंगा पड़ रहा है.लगातार उनका तेजप्रताप अपमान कर रहे हैं. पिछली बार जब तेज प्रताप की सार्वजनिक बयानबाजी से जगदा आहत हुए तो तेजस्‍वी ने उनसे बंद कमरे में मुलाकात कर डैमेज कंट्रोल की कोशिश की थी. इस बार भी कुछ ऐसा ही हो रहा है. तेज प्रताप भले साफ तौर पर कभी न कहें, लेकिन उन्‍होंने बार-बार यह जताने की कोशिश की है कि उनके छोटे भाई के सामने उनको कम आंका जा रहा है. वे कई बार खुद को लालू का असली वारिस होने का दावा भी कर चुके हैं और खुद में लालू से जुड़ी कई समानताएं गिनाते रहते हैं.अब देखना ये है कि राजनीति के माहिर खिलाड़ी अपने पार्टी और परिवार दोनों को कैसे बचाते हैं.

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