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पांच लाख लोगों के लिए आया राहत का सामान, कांग्रेस को नहीं मिल रही बांटने की इजाजत

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पांच लाख लोगों के लिए आया राहत का सामान, कांग्रेस को नहीं मिल रही बांटने की इजाजत

सिटी पोस्ट लाइव : कोरोना (Coronavirus) के इस संकट के बीच भी राजनीति जारी है. इस संकट काल में भी कुछ सियासत से जुड़े लोग राजनीति करने में लगे हैं. कांग्रेस ने इस महामारी में लोगों के बीच बांटने के लिए पांच लाख साबुन और राशन के पैकेट अपने प्रदेश कार्यालय सदाक़त आश्रम में मंगाए थे लेकिन ये राहत सामग्री पिछले दो सप्ताह से वहीं पड़ा हुआ है. कांग्रेस ने कई बार पत्र लिखकर सरकार और स्थानीय प्रशासन से इसे बांटने की इजाज़त मांगी है लेकिन प्रशासन ने लॉकडाउन टूटने का हवाला देकर कांग्रेस को इसकी इजाज़त देने से इनकार कर दिया है.

कांग्रेस इसे लेकर अब सरकार और प्रशासन पर भेदभाव का आरोप लगा रही है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा का आरोप है कि सरकार जरूरतमंद लोगों तक पहुँच नहीं रही है और जो मदद करना चाहते हैं, उन्हें मदद करने नहीं दे रही है.उनका कहना है कि सरकार नहीं चाहती है कि विपक्ष लोगों की सहायता करे. ये ना खुद कुछ करेंगे ना किसी को करने देंगे.कांग्रेस के नेता भले ही सरकार को कठघरे में खड़ा कर इस पर सियासत कर रहे हों लेकिन इसके पीछे की वजह कुछ और है. दरअसल लॉकडाउन ना टूटे इसे लेकर सरकार ने पहले हीं ये गाइड लाईन तय कर दिया है की अगर किसी दल या सामाजिक संगठन को राहत बांटना है तो वो इसे प्रशासन के द्वारा बांट सकते हैं. इसके लिए कई जगह भी निर्धारित हैं जहां वो अपना राहत सामग्री जमा कर सकते हैं. इतना ही नहीं इसे बांटने के समय जिन्होंने ये सामग्री दी है उनका नाम भी लोगों को बताया जाएगा.

पटना के ज़िलाधिकारी कुमार रवि का कहना है कि अगर किसी को राहत सामग्री लोगों में बांटना है तो वो ज़िला प्रशासन के द्वारा बनाए कैम्प जो कि पटना के श्री कृष्ण मेमोरियल हॉल में बनाया गया है वहां जमा कर दे और वो प्रशासन के द्वारा जरूरतमंद लोगों में बांटा जाएगा. ये पहले से ही तय किया हुआ है क्योंकि व्यक्तिगत तौर पर राहत सामग्री बांटने में लोगों की भीड़ इकट्ठा होती है और सोशल डिसटेंसिंग भी मेंटेन नहीं हो पाता है जो काफ़ी ख़तरनाक है. इस वजह से ये फ़ैसला लिया गया है.

लेकिन राजनीतिक दल रहत सामग्री तो बाँटते ही इसलिए हैं कि वो साबित कर सकें कि सरकार कुछ नहीं कर रही है. सारा काम वो कर रहे हैं. रहत सामग्री दे दी जाए और तस्वीर भी अखबार में न छपे ,भला ये कैसे संभव है.कांग्रेस के नेता खुद रहत सामग्री बांटने की जीद पर अड़े हुए हैं. जरूरतमंद गरीब लोग इंतज़ार कर रहे हैं. अपने व्यक्तिगत लाभ को छोड़कर मानवता पर आए इस संकट का एकजुट होकर सामना करना और आपदा के घड़ी में सियासी रोटियां नहीं सेंकना, इस तरह की राजनीतिक दलों से उम्मीदें बेमानी हैं.

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