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उप-चुनाव: दांव पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की साख

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उप-चुनाव: दांव पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की साख

सिटी पोस्ट लाइव : बिहार की पांच विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव (By Polls) को लेकर राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है.RJD ने सभी विधान सभा सीटों पर चुनाव लड़ने का मन बना लिया है जबकि कांग्रेस पार्टी तीन और जीतन राम मांझी एक सीट की मांग पर अड़ी है. जाहिर महागठबंधन के बेच घमशान मचा हुआ है. लेकिन NDA के अंदर सबकुछ तय हो गया है. जेडीयू 4 और बीजेपी 1 सीट पर चुनाव लडेगी और ल्लोक सभा की एक सीट पासवान की पार्टी के खाते में गई है.

इस उप-चुनाव में JDU सीटों पर चुनाव लड़ रही है. इस चुनाव परिणाम का असर 2020 के चुनाव पर भी पड़ना तय है.यह चुनाव सेमी फाइनल माना जा रहा है और इसके अनुकूल परिणाम से बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की साख मजबूत होगी या फिर प्रतिकूल परिणाम से उनकी साख कमजोर पड़ेगी.राजनीतिक पंडितों का मानना है कि साल 2020 में होने वाले विधानसभा चुनाव (Assembly Election) से पहले बिहार में होने वाले पांच विधान सभा सीटों के उपचुनाव का परिणाम राज्य की सियासत को एक नया आयाम देगा.

इस उप-चुनाव के परिणाम से ही ही यह भी साफ हो जाएगा कि क्या बिहार में नीतीश मॉडल का जादूयह तय होगा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का जादू  बरकरार है या फिर नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के चेहरे के सहारे ही NDA बिहार में 2020 का चुनाव लडेगा.पांच में से चार सीट पर जेडीयू चुनाव लड़ रही है. चारों सीट जेडीयू की सिटिंग सीट हैं. जाहिर है ज्यादातर उपचुनाव स्थानीय मुद्दे पर लड़े जाते हैं और इस वजह से जिसकी सरकार राज्य में रहती है, वोट उसी के नाम पर मिलता है. यही वजह है कि जब सरकार नीतीश चला रहे हैं तो हार-जीत का क्रेडिट से लेकर जिम्मेदारी भी नीतीश कुमार पर ही जाएगी. इसी वजह से इसका परिणाम सेमीफाइनल भी माना जा रहा है.

लेकिन जेडीयू के नेता इस उप-चुनाव को सेमीफाइनल मानने को तैयार नहीं है. जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता संजय सिंह का कहना है कि नीतीश कुमार का मुकाबला करने वाला नेता न तो NDA में है और ना हे विपक्ष के पास है. उप-चुनाव हो या मुख्य चुनाव नीतीश कुमार के चहरे पर ही NDA चुनाव लडेगा.उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार की ओर से किए गए विकास के नाम पर वोट मिलेगा.

गौरतलब है कि हाल के दिनों में जेडीयू और बीजेपी के बीच कई मुद्दों पर खींचतान जारी है. अनुच्छेद-370, तीन तलाक और एनआरसी जैसे मुद्दों के बहाने लगातार दोनों दलों के नेताओं के बीच नोंकझोक जारी है. ऐसे में इस उप-चुनाव में यह साफ़ हो जाएगा कि बीजीपी का पूरा सहयोग- समर्थन जेडीयू को मिलता है या नहीं. दोनों दलों के नेता और कार्यकर्ता अगर मिलकर चुनाव लड़ते हैं तो नीतीश कुमार की स्थिति और मजबूत होगी और अगर नीतीश कुमार को सबक सिखाने की कोशिश बीजेपी के नेता-कार्यकर्त्ता करते हैं तो स्थिति बदल जायेगी.

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार NDA के साथ चुनाव लड़कर 200 से ज्यादा सीटें जीतने का दावा तो कर चुके हैं लेकिन इस दावे में कितना दम है इस उप-चुनाव के परिणाम से साफ़ हो जाएगा.इस चुनाव का परिणाम बीजेपी-जेडीयू के लिए बहुत मायने रखता है क्योंकि इसका असर 220 के विधान सभा चुनाव के सीटों के बटवारे पर भी पड़ेगा.

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