City Post Live
NEWS 24x7

बसंत बताएं की कंपनी पर अवैध माइनिंग के कारण लगाए गए फाइन की अद्यतन स्थिति क्या है: भाजपा

- Sponsored -

-sponsored-

- Sponsored -

सिटी पोस्ट लाइव, रांची: भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) एक तरफ तथाकथित रूप से झारखंड के प्राकृतिक संसाधनों के दोहन का विरोध करती है। दूसरी ओर दुमका से झामुमो के उम्मीदवार बसंत सोरेन की साझेदारी वाली फर्म ग्रैंड माइनिंग पर अवैध खनन के मुद्दे पर 14.05 करोड़ रुपये का फाइन लगाया गया था। प्रतुल  ने शुक्रवार को प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि यह फाइन अवैध खनन कर ज्यादा मूल्य के चालान बेचने की बात को आधार मानकर लगाया गया था। तत्कालीन खान आयुक्त के आदेश पर तत्कालीन उपायुक्त ने पूरे मामले की रिपोर्ट दी थी जिसके बाद यह फाइन लगाया गया। यह मामला पाकुड़ जिला अंतर्गत पाकुरिया अंचल के गोलपुर मौजा के प्लॉट 566 में दिए गए लीज से संबंधित है। बसंत सोरेन को स्पष्ट करना चाहिए कि इस माइनिंग विभाग द्वारा लगाए गए इस फाइन की अद्यतन स्थिति क्या है। क्या इस मामले में न्यायालय के आदेश के अनुसार उन्होंने  सेटल कर फाइन को जमा किया है या फिर बिना इस मामले को सेटल किए अभी भी  यहां माइनिंग जारी है। क्या उन्होंने फाइन की किसी क़िस्त का भुगतान किया है। फिर बड़े भाई की सरकार आते ही मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।

प्रतुल ने कहा कि एक ओर झामुमो झारखंड के प्राकृतिक संसाधनों के दोहन के विरोध की झूठी बात करती है। वहीं सोरेन परिवार के एक सदस्य के ऊपर अवैध खनन के मुद्दे पर फाइन लगता है। सत्ताधारी दल की विधायिका सीता सोरेन खुद स्वीकार करती है कि दुमका में 700 अवैध क्रशर और  माइंस प्रशासनिक संरक्षण में चल रहे हैं। यही झामुमो का असली चेहरा है। प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए भाजपा चुनाव आयोग सम्पर्क विभाग के सह संयोजक सुधीर श्रीवास्तव ने कहा कि दुमका उपचुनाव में बसंत सोरेन को स्पष्ट करना चाहिये कि बोकारो की ग्रांड माइनिंग कंपनी ने क्या 14 करोड़ का जुर्माना भर दिया है। क्योंकि उनके नामांकन पत्र का दस्तावेज यह स्पष्ट करता है कि उपर्युक्त कंपनी ने उन्हें संपत्ति खरीदने के लिये एक करोड़ 20 लाख 47 हजार 319 रुपये कर्ज दिए हैं।

सुधीर ने कहा कि कोरोना संकट में लोग भोजन के लिये परेशान थे। मजदूर को काम नही मिल रहा था, कामगारों की नौकरी चली गई, सरकार ने ट्रेजरी बंद कर भुगतान रोक दिये  थे। ऐसे काल खंड में बसंत सोरेन करोड़ों की संपत्ति खरीद रहे थे। ऐसे समय में पांच कंपनियों सहित 10 ने इन्हें कर्ज भी उपलब्ध कराए। ऐसे में भाजपा यह जानना चाहती है कि इन कंपनियों के निदेशक कौन हैं। यदि स्वयं बसंत सोरेन ही हैं तो फिर वे कंपनी एक्ट के अनुसार निदेशक कर्ज नही ले सकता। फिर निदेशक कोई और है तो किस आधार पर बसंत सोरेन को कर्ज दिए। क्या मुख्यमंत्री को संतुष्ट करने के लिये तो कर्ज नही दिए गए। क्या ये कंपनियां वास्तव में हैं भी या नही,यह जांच का विषय है।

-sponsored-

- Sponsored -

Subscribe to our newsletter
Sign up here to get the latest news, updates and special offers delivered directly to your inbox.
You can unsubscribe at any time

- Sponsored -

Comments are closed.