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विधानसभा उपचुनाव : नीतीश कुमार और तेजस्वी के लिए अग्नि परीक्षा

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सिटी पोस्ट लाइव : बिहार विधान सभा की दो सीटों तारापुर और कुशेश्वरस्थान के लिए आज वोटिंग हो रही है.विधानसभा उपचुनाव का परिणाम 2 नवंबर को आना है. इस चुनाव के लिए राष्‍ट्रीय जनता दल (RJD), कांग्रेस (Congress)और जनता दल यूनाइटेड (JDU)ने पूरी ताकत झोंक दी है. यह चुनाव तो महज दो सीटों के लिए है, लेकिन सूबे की सियासत के लिए इतना अहम है .ये चुनाव परिणाम बिहार की सियासत में तूफ़ान ला सकते हैं.

इस उपचुनाव के कारण ही कांग्रेस महागठबंधन (Mahagathbandhan) छोड़कर आरजेडी से अलग हो गई है. आरजेडी इस चुनाव में जीत दर्ज कर तेजस्‍वी यादव (Tejashwi Yadav) के नेतृत्‍व को मजबूती देने के साथ-साथ सत्ता का समीकरण बनाने में लगे हैं. कांग्रेस का संदेश साफ है कि वह आरजेडी की पिछलग्गू नहीं है. कन्‍हैया कुंमार (Kanhaiya Kumar) का कद भी इस चुनाव से आंका जाएगा. राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए लिए भी यह चुनाव महत्‍वपूर्ण है. इन सीटों पर जीत-हार से मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) का भी वजन तौला जाना तय है.

इस उपचनाव में सबसे बड़ी परीक्षा तेजस्वी यादव की होनी है.इस इलेक्शन में तेजस्वी की कांग्रेस से अलग होकर चुनाव लड़ने की रणनीति की भी परीक्षा है. तेजस्‍वी के साथ फिलहाल लालू प्रसाद यादव तो दिख रहे हैं, लेकिन उनके स्वास्थ्य को देखते हुए साफ है कि अब वह बहुत दिनों तक सक्रिय राजनीति में नहीं रह पाएंगे. सबसे खास बात यह है कि कांग्रेस के अलग चुनाव लड़ने के बाद यह देखना दिलचस्प रहेगा कि क्या राजद में मुस्लिम और यादव वोट बैंक इंटैक्ट रह पाता है.

कन्हैया कुमार- कांग्रेस के लिए यह उपचुनाव इसलिए बेहद अहम है क्योंकि हाल में ही कन्हैया कुमार ने कांग्रेस पार्टी जॉइन की है और वह बिहार भी आए. उन्होंने हल्के अंदाज में ही सही, लेकिन राजद को भी निशाने पर लिया. हालांकि चुनाव प्रचार के दौरान इसका बहुत प्रभाव नहीं दिखा, लेकिन अगर कांग्रेस अच्छा प्रदर्शन कर पाती है तो कन्हैया कुमार के बिहार की राजनीति में आगे बढ़ने का मंच तो जरूर तैयार हो जाएगा. ऐसे भी पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष अनिल शर्मा और शकील अहमद खान जैसे कद्दावर कांग्रेस राजद से कांग्रेस को छुटकारा दिलाने की जुगत में लगे हुए हैं.

बिहार में सत्ता का गणित ऐसा उलझा हुआ है कि बिहार के मुख्यमंत्री भी इन दो सीटों के उपचुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंके हुए हैं. ये दोनों ही सीटें एनडीए जीत लेती है तो एनडीए के विधायकों की संख्या 128 हो जाएगी. फिलहाल 243 सदस्यीय विधानसभा में उसके 126 विधायक हैं. यानी बहुमत की 122 संख्या से महज 4 अधिक. ऐसे में जेडीयू को इन दोनों सीटों पर जीत नहीं मिली तो विपक्ष का महागठबंधन मजबूत होकर 112 सीटों पर पहुंच जाएगा. ऐसे में एनडीए के अंदर भी मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार पर दबाव बढ़ जाएगा.

जीतन राम माझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा और मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी के विधायकों की संख्‍या 4-4 है. यानी अगर महागठबंधन के 112 के साथ ये 8 चले जाएंगे तो सत्ता की बाजी पलटते देर नहीं लगेगी. ऐसे भी लालू प्रसाद यादव पटना में हैं और वह दावा भी कर रहे हैं कि नीतीश सरकार गिराने का फॉर्मूला भी उन्होंने तैयार कर लिया है. दूसरी ओर यह भी है कि अगर जदयू को जीत मिलती है तो सीएम नीतीश कुमार का वजन एनडीए के सहयोगियों के बीच जरूर बढ़ जाएगा और सरकार पर संकट का खतरा भी कम होगा.

यह उपचुनाव chirag पासवान के लिए भी बहुत अहम् है. आरजेडी के तेजस्वी यादव तथा कांग्रेस के कन्हैया कुमार के साथ लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के चिराग पासवान जैसे युवा नेताओं की राजनीतिक हैसियत की भी जांच हो जाएगी. दरअसल चिराग पासवान ने तारापुर और कुशेश्वरस्थान, दोनों जगहों से अपने उम्मीदवार उतारे हैं. उनका मकसद साफ है कि वह जदयू को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं. अगर उन्हें इसमें थोड़ी भी कामयाबी मिलती है तो राजद की जीत की राह आसान हो जाएगी. ऐसे में चिराग का भाव भी महागठबंधन के लिए बढ़ जाएगा.

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