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ललन पेंच पड़ गया ढीला, अशोक चौधरी बनेगें जेडीयू के नए प्रदेश अध्यक्ष

जेडीयू के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, सिंचाई मंत्री ललन सिंह के कारण अशोक के ताजपोशी पर लगा था ब्रेक

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सिटी पोस्ट लाईव : लम्बे इंतज़ार के बाद कांग्रेस छोड़ नीतीश कुमार के साथ आये ,अशोक चौधरी को जेडीयू में महत्वपूर्ण जिम्मेवारी मिलने  जा रही है. खबर है कि अशोक चौधरी को जेडीयू का प्रदेश अध्यक्ष बनाने की तैयारी चल रही है. सूत्रों के अनुसार अभीतक अशोक चौधरी प्रदेश अध्यक्ष बन गए होते लेकिन जेडीयू के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष वर्तमान में बिहार के सिंचाई मंत्री ललन सिंह के कारण ब्रेक लग गया था. अब खबर आ रही है कि अशोक चौधरी ने मंत्री पद की जगह प्रदेश अध्यक्ष बनने की इच्छा जाहिर की है, जिसे नीतीश कुमार ने स्वीकार कर लिया है. गौरतलब है कि अशोक चौधरी जेडीयू में आने के पहले कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष थे .उन्होंने अपनी मेहनत से कांग्रेस पार्टी को एकबार फिर से बिहार में खड़ा किया था .

वर्तमान जेडीयू अध्यक्ष  वशिष्ठ नारायण सिंह  उम्र अधिक हो जाने और तबीयत ठीक नहीं रहने से वे इस पद को खुद छोड़ने की इच्छा व्यक्त कर चुके हैं. पार्टी जोरशोर से संगठन की तैयारी में जुटी है, ऐसे में उसे एक उर्जावान नेता की जरुरत है. अगर वह नेता दलित है तो सोने पर सुहागा जैसा  है. अशोक चौधरी दोनों शर्त पूरा करते हैं. उर्जावान हैं और दलित भी हैं. ऐसे में कांग्रेस से जेडीयू  में आये  पूर्व मंत्री अशोक चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दिए जाने की संभावना प्रबल हो गई है. वैसे भी बीजेपी के साथ जेडीयू की खींचतान जारी है. ऐसे में पहलीबार जेडीयू का ज्यादा जोर संगठन को मजबूत करने और कैडर तैयार करने पर है. नीतीश कुमार के पास लालू यादव और रामविलास पासवान की तरह जाति का ज्यादा वोट तो है नहीं ,ऐसे में दलित राजनीति ही उनकी नैया पार लगा सकता है. दलितों और पिछड़ों को पार्टी से जोड़ने के लिए खुद आरसीपी सिंह ऐड़ी -चोटी  का जोर लगाए हुए हैं. ऐसे में अगर एक दलित उर्जावान नेता अध्यक्ष पद की जिम्मेवारी संभाल  ले तो काम थोडा आसान जरुर हो जाएगा.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जेडीयू  को किस कदर मजबूत करना चाहते हैं, इसके संकेत पिछले माह से ही मिलने लगे हैं. नीतीश कुमार का जोर युवा वर्ग को जोड़ने और दलितों पिछड़ों के साथ साथ अल्पसंख्यकों को अपने साथ करने पर है. मना जा रहा है कि पार्टी से युवाओं को जड़ने के लिए और अपने दलित वोटरों को गोलबंद करने के लिए उन्हें एक युवा और ऊर्जावान साथी की तलाश थी जो अब अशोक चौधरी पूरी कर सकते हैं.पार्टी सूत्रों के अनुसार ललन पेंच और थोडा ढीला पड़ा है, ऐसे में अशोक चौधरी के प्रदेश अध्यक्ष बनने की संभावना बहुत प्रबल हो गई है.सूत्रों के अनुसार इसी वजह से अशोक चौधरी को मंत्री नहीं बनाया गया है.

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