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90 फीसदी लोग सरकारी निर्णय-नीतियों से परेशान : सुदेश महतो 

 स्वराज स्वाभिमान यात्रा का पहला चरण टुंडी में हुआ पूरा

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90 फीसदी लोग सरकारी निर्णय-नीतियों से परेशान : सुदेश महतो  

सिटी पोस्ट लाइव : झारखंड में सत्तारूढ एनडीए गठबंधन में शामिल आजसू पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष सुदेश कुमार महतो ने गुरुवार को पहला चरण का स्वराज स्वाभिमान यात्रा टुंडी में पूरी की। टुंडी के कई गावों में पदयत्रा तथा चौपाल में उन्होंने कहा कि लगातार दस दिनों की पदयात्रा और चौपाल में लोगों से किए साझा संवाद से इसके संकेत मिले हैं कि गांवों के नब्बे फीसदी लोग सरकार के निर्णय- नीति से नाराज हैं। सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों में आम आदमी की सहमति और भागीदारी नहीं है। अगर थोड़ी बहुत है भी है, तो लोग संतुष्ट नहीं हैं। इसलिए गांवों के वजूद बचाने के लिए लोगों को हल्ला बोलना होगा। दस दिनों की यात्रा में वे जहां भी गए, लोगों को जगाया है। टुंडी विधानसभा क्षेत्र के केसका, करमाटांड़, बेगनारिया, पर्वतपुर, खरमो, टुडी, मिनआडीह, बंगारों में पदयात्रा करते हुए उन्होंने लोगों से कहा कि स्वराज स्वाभिमान यात्रा के साथ वे राज्य के पांच हजार गांवों में जाने की तैयारी में हैं और पहले चरण में ही जिस तरह से लोगों ने उनका उत्साह बढ़ाया है, उससे लगता है कि लोक लोकमत के अनुसार शासन चले, यह आवाज अब सचिवालय और सरकार को भी हिलायेगी। स्वाभिमान के साथ छेड़छाड़ झारखंड को मंजूर नहीं है इसका आगाज कर दिया गया है । इसका अंजाम भी असरदार होगा। प्राथमिकता तय नहीं करती सरकार उन्होंने कहा कि कहां से और किस तरह से काम करें सरकार प्राथमिकता तय नहीं कर पाती। शहरों को फोरलेन सिक्स लेन चाहिए, तो गांवों को पक्की सड़क और पानी- बिजली क्यों नहीं चाहिए। बस सरकार फरमान जारी करती है और अफसर हुत्म बजाते हैं। इससे झारखंड की सामयिक और समेकित तरक्की नहीं हो सकती। शहरों और हाइवे में होर्डिग्स बैनर तथा अखबारी प्रचार- प्रसार की हकीकत से गांवों की तस्वीर उलट है। इसलिए लोकतंत्र में लोक मत के अनुसार शासन का चलना बेहद जरूरी है। किसी गांव में कौन सी योजना चलेगी या क्या काम होगा इसे गांव के लोग तय करेंगे, तभी पंचायती राज व्यवस्था और स्वराज का मकसद साकार होगा। सरकार अब तक योजना थोपती रही है और विषय भी बदलती रही है। इससे लोगों में नाराजगी है।
भवन बनाने से तरक्की नहीं होती
राज्य में शिक्षा और स्वास्थ्य के हालात पर उन्होने फिर  सवाल खड़े करते हुए कहा कि केवल स्कूल तथा स्वास्थ्य केंद्र का भवन बनने से विकास के रास्ते नहीं खुल जाते। स्कूलों को मास्टर चाहिए और अस्पतालों को डॉक्टर तथा नर्स। अधिकतर स्कूलों में बच्चे सात घंटी की पढ़ाई नहीं कर पाते। तब हम कैसा झारखंड गढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि गांवों में लोगों के बीच बैठकर जानने से पता चलता है कि किस तरह से मानव संसाधन का इस राज्य में ह््स हो रहा है। युवाओं में क्यों हताशा है। लोकतंत्र के मालिक को बस वोट का हिस्सदार बनाकर छोड़ दिया गया है।
दारोगी, बीडीओ, डीसी राज नहीं चाहिए श्री महतो ने कहा कि गांव के लोगों के लिए प्रखंड अंचल का कार्यालय महत्वपूर्ण होता है। सुरक्षा के मामलों को लेकर थाना की जिम्मेदारी तय है। जिला संभालने के जिम्मेदारी डीसी के पास है। लेकिन झारखंड में दारोगा बीडीओ अपनी जिम्मेदारियों से हटकर आम लोगों पर शासन करने के हकदार समझते हैं। अस्सी के दशक में गरीब और कमजोर वर्ग के लोगों को आवास देने की योजना की शुरुआत हुई थी। 38 सालों के कालखंड में योजना का नाम बदलता रहा, लेकिन सभी गरीबों को आवास मुहैय्या नहीं कराया जा सका। आर्थिक- सामाजिक विकास के लिए बड़े कार्यक्रमों की शुरुआत की गई है, लेकिन इससे गांव में  यह भी हक और
जमीन से उठती आवाज आजसू नेता ने कहा कि झारखंड आंदोलन के प्रणेता, सामाजिक राजनीतिक तानेबाने के म्रर्म को समझने वाले तथा पढ़ो और लड़ो का नारा देने वाले बिनोद बिहारी महतो की धरती पर आकर उन्हें यकीन है कि  वह दिन दूर नहीं जब जनता की आवाज एक बड़ी ताकत के रूप में सामने आएगी। उन्होंने जो विषय सामने लाए हैं वह बहस के केंद्र में होगा। गांव के लोग अपने बूते राजनीति और राजनेताओं के उसूल बदल कर रहेंगे। साथ ही जमीन से आवाजें उठेंगी- “ले मशाले चल पड़े हैं लोग मेर गांव के अब अंधेरा जीत लोग मेरा गांव के “..कार्यक्रम में टुंडी के विधायक राजकिशोर महतो, डॉ लंबोदर महतो, मंटू महतो, रामचंद्र राणा, कालेश्वर बास्के, संतोष महतो आदि शामिल थे। गौरतलब है कि सुदेश महतो ने दो अक्तूबर से मांडू से इस यात्रा की शुरुआत हुई थी।

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