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बुरे फंसे डीजीपी साहेब .

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प्रशांत .
पुलिसिया कारवाई को लेकर बीजेपी -जेडीयू आमने सामने .साम्प्रदायिक तनाव से संबंधित गिरफ्तारियों को लेकर बीजीपी ने उठाया सवाल.

 
सिटीपोस्टलाईवडेस्क :नीतीश कुमार के एकबार फिर से बीजेपी के साथ आकर सरकार बनाने के बाद बिहार के लोगों को लगा था कि अब सबकुछ ठीक हो जाएगा .लेकिन जब से यह गठबंधन की नयी सरकार बनी है ,अपराधिक वारदातों और सांप्रदायिक तनाव के मामले चिंताजनकरूप से बढे हैं.

नीतीश कुमार चिंतित हैं और बेहद नाराज भी .साम्प्रदायिकता से कोई समझौता नहीं करेगें, कहकर नीतीश कुमार अपने सहयोगी पार्टी बीजेपी को यह संदेश दे चुके हैं कि अपनी सत्ता बचाए रखने के लिए वो अपनी पहचान नहीं मिटने देंगे.लेकिन उनकी तमाम चेतावनियों के वावजूद रामनवमी के दौरान राज्य के कई शहरों में सांप्रदायिक तनाव और हिंसा फ़ैलाने की जी-तोड़ कोशिशें हुईं .पुलिस ने सख्ती से निबटा उपद्रवियों से और सैकड़ों लोगों को गिरफ्तार भी किया गया .लेकिन अब बीजेपी इन गिरफ्तारियों को लेकर सवाल उठाने लगी है. बीजेपी राज्य के पुलिस के मुखिया के ऊपर अपने गिरफ्तार समर्थकों की रिहाई के लिए दबाव बनाने में जुट गई है.बीजेपी नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने शुक्रवार 6 अप्रैल को बिहार के DGP के एस द्विवेदी से मुलाक़ात कर दो पेज का ज्ञापन दिया. इस मुलाक़ात में कई जिलों में की गई पुलिसिया कार्रवाई पर सवाल खड़े किये गए हैं.

आरजेडी के नेता रामचंद्र पूर्वे का कहना है कि यह बेमेल गठबंधन है .गठबंधन के अन्दर घमशान शुरू हो गया है.ऐसा पहलीबार हुआ है जब खुद सताधारी दल के नेता अपनी ही सरकार में डीजीपी से मिलकर अपने समर्थकों को पुलिस द्वारा परेशां किये जाने की शिकायत कर रहे हैं. पूर्वे का कहना है कि गठबंधन में चल रहा मतभेद अब दरार बनकर सामने आ गई है.अब यह गठबंधन और सरकार चलनेवाली नहीं.लेकिन जेडीयू प्रवक्ता प्रवक्ता संजय सिंह गठबंधन के अन्दर किसी तरह के विवाद की खबर को सिरे से खारिज कर रहे हैं. संजय सिंह ने सिटीपोस्टलाईव से कहा कि बीजेपी नेताओं ने डीजीपी से मिलकर अपनी बात रखी है.अपनी बात के समर्थन में प्रमाण भी दिए होंगें.इंतज़ार कीजिये.अब जांच चल रही है, जो भी दोषी होगा उसपर कड़ी कार्रवाई होगी.संजय सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार समझौता करनेवाले नेता नहीं हैं .हमेशा वो बेदाग़ रहे हैं और आगे भी रहेगें.

नेता तो राजनीति कर रहे हैं लेकिन परेशान हैं डीजीपी साहब. सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के लिए जहाँ उनकी पुलिस को शाबासी मिलनी चाहिए ,उनकी खिंचाई शुरू हो गई है .अगर यह खिंचाई अगर विपक्ष करता तो बात समझ में आ सकती थी .लेकिन यहाँ तो विपक्ष चुप्प है और सताधारी दल के नेता ही डंडा -फरसा लेकर सर के आगे पीछे खड़े हैं.

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