City Post Live
NEWS 24x7

कागजी दावों के उलट है बिहार सरकार के क्वारेंटाइन सेंटरों की हकीकत

- Sponsored -

-sponsored-

- Sponsored -

कागजी दावों के उलट है बिहार सरकार के क्वारेंटाइन सेंटरों की हकीकत

सिटी पोस्ट लाइव : कोरोना वायरस (coronavirus) को लेकर देश में लॉकडाउन (lockdown) के बीच बिहार में बाहर से आने वाले प्रवासी मजदूरों और अन्य लोगों को क्वारेंटाइन सेंटरों में निगरानी में रखे जाने का दावा बिहार सरकार कर रही है. लेकिन हकीकत इसके बिल्कुल उलट है. कोरोना वायरस के संक्रमण फैलने के बीच देश के विभिन्न राज्यों से डेढ़ लाख से ज्यादा मजदूर लौटकर बिहार आए. वायरस का संक्रमण रोकने के मद्देनजर प्रदेश सरकार ने प्रदेश के स्कूलों और पंचायत भवनों को क्वारेंटाइन सेंटर (quarentine center) में तब्दील कर दिया. पिछले 17 मार्च के बाद से बाहर से लौटे 27 हजार से ज्यादा प्रवासियों को 3 हजार से ज्यादा स्कूलों और पंचायत भवनों में ठहराया गया. लेकिन कागजी दावों के उलट इन सेंटरों में ठहराए गए कई प्रवासी या तो लापता हैं या फिर प्रशासन को इनकी जानकारी नहीं है.

इतना ही नहीं इन सेंटरों में लॉकडाउन के नियमों का भी सख्ती से पालन नहीं किया जा रहा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र, केरल, कर्नाटक और दिल्ली जैसे कोरोना-हॉटस्पॉट से करीब 55 हजार प्रवासी कामगार लौटकर बिहार आए हैं. इनमें से कई लोगों को जांच के बाद जहां क्वारेंटाइन सेंटर भेजा गया, वहीं बाकी लोगों को होम-क्वारेंटाइन में रहने की सलाह दी गई. चंडीगढ से लौटे 22 वर्षीय पप्पू कुमार को पटना शहर से सटे हेतनपुर पंचायत के माधोपुर मिडिल स्कूल में 14 दिनों के लिए ठहराया गया. इस क्वारेंटाइन सेंटर पर अकेला पप्पू ही है, बाकी दर्जनभर से ज्यादा बिस्तर खाली पड़े थे.

दिल्ली से प्रकाशित एक अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, दानापुर इलाके के हेतनपुर पंचायत में स्थित माधोपुर के मिडिल स्कूल में वैसे तो 20 लोगों के लिए दो कमरों का इंतजाम किया गया है, लेकिन सुबह के 11 बजे में वहां कोई नहीं था. इस बाबत जब सेंटर की देखभाल की जिम्मेदारी संभालने वाले शिक्षक अरविंद कुमार से सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सभी बाहर गए हैं. कुछ घंटों बाद सभी लोग सेंटर पर मौजूद दिखे, तो इसके बारे में एक स्थानीय ग्रामीण ने बताया कि अरविंद कुमार ने मुखिया से इस बारे में बात की, जिसके बाद क्वारेंटाइन किए गए सभी लोग लौट आए.

कुछ ऐसा ही हाल पातलपुर पंचायत में बने क्वारेंटाइन सेंटर का भी था. यहां 60 लोगों को ठहराने की व्यवस्था है, लेकिन अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक जांच करने पर उनमें से सिर्प 18 ही मौजूद थे. क्वारेंटाइन में रखे गए प्रवासी दिलीप राय और राजू राय ने बताया कि वे कोलकाता से आए हैं. लॉकडाउन के सभी नियमों का पालन भी करते हैं. अधिकतर प्रवासियों की गैरमौजूदगी पर उन्होंने कहा कि वे अपने गांव लौट गए हैं. यहां से वापसी के सवाल पर प्रवासी विजय राय ने अखबार से कहा, ‘कोलकाता में हर महीने 8 हजार रुपए कमा लेते हैं. जैसे ही डॉक्टर कहेंगे, हम वापस लौट जाएंगे, लेकिन यहां डॉक्टर आते ही नहीं. अभी तक कोई भी हमें देखने नहीं आया है.’

इस क्वारेंटाइन सेंटर के आसपास एक बाजार भी है, जहां अक्सर सेंटर में ठहराए गए प्रवासी नाश्ता करने या चाय पीने चले जाते हैं. सरकारी दावों के विपरीत लॉकडाउन के नियम का पालन होता हो, ऐसा यहां नहीं दिखा. यहां मौजूद एक प्रवासी जितेंद्र कुमार ने कोरोना संदिग्ध होने के सवाल पर कहा, ‘कोरोना? हम तो कोरोना को चबा जाएंगे. हम लोग मेहनत करने वाले आदमी हैं, शहरवालों की तरह नाजुक नहीं. हम लोगों का कोरोना कुछ नहीं बिगाड़ सकता.’

- Sponsored -

-sponsored-

Subscribe to our newsletter
Sign up here to get the latest news, updates and special offers delivered directly to your inbox.
You can unsubscribe at any time

- Sponsored -

Comments are closed.