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GDP में आजादी के बाद की सबसे बड़ी गिरावट संभव : नारायणमूर्ति.

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सिटी पोस्ट लाइव : कोरोना महामारी के कारण भारत की जीडीपी में 3-9 फीसदी तक की गिरावट आएगी. हाल ही में रिजर्व बैंक की मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक के बाद गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि इस साल विकास दर में गिरावट की पूरी संभावना है. इस बीच इन्फोसिस के संस्थापक एन आर नारायणमूर्ति ने मंगलवार को आशंका जताई की कोरोना वायरस के चलते इस वित्त वर्ष में देश की आर्थिक गति आजादी के बाद सबसे खराब स्थिति में होगी.

एन आर नारायणमूर्ति ने आशंका जताई कि इस बार सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में आजादी के बाद के सबसे बड़ी गिरावट दिख सकती है. नारायण मूर्ति ने ऐसी एक नई प्रणाली विकसित करने पर भी जोर दिया जिसमें देश की अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र में प्रत्येक कारोबारी को पूरी क्षमता के साथ काम करने की अनुमति हो. मूर्ति ने कहा, ‘भारत की GDP में कम से कम पांच प्रतिशत संकुचन का अनुमान लगाया जा रहा है. ऐसी आशंका है कि हम 1947 की आजादी के बाद की बससे बुरी GDP वृद्धि (संकुचन) देख सकते हैं.’

नारायण मूर्ति ने कहा, ‘वैश्विक GDP नीचे गई है. वैश्विक व्यापार डूब रहा है, वैश्विक यात्रा करीब करीब नदारद हो चुकी है. ऐसे में वैश्विक GDP में पांच से 10 प्रतिशत तक संकुचन होने का अनुमान है.’ मूर्ति ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर लॉकडाउन लगने के पहले दिन से ही उनका यही विचार रहा है कि लोगों को कोरोना वायरस के साथ ही जीवन जीने के लिये तैयार होना होगा. इसके लिये तीन वजह हैं — इसकी कोई दवा नहीं है, कोरोना वायरस का कोई इलाज नहीं है और अर्थव्यवस्था को रोका नहीं जा सकता है. इस महामारी का सबसे पहले संभावित टीका ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से आने की उम्मीद है. यह टीका देश में छह से नौ माह के भीतर ही उपलब्ध हो पायेगा.

मूर्ति ने कहा, ‘यदि हम प्रतिदिन एक करोड़ लोगों को भी टीका लगाते हैं तब भी सभी भारतीयों को टीका लगाने में 140 दिन लग जायेंगे. यह इस बीमारों को फैलने से रोकने में लंबी अवधि है.’ प्रौद्योगिकी क्षेत्र की इस हस्ती ने कहा, ‘ऐसी स्थिति में हम अर्थव्यवस्था को बंद नहीं कर सकते हैं. कुल मिलाकर 14 करोड़ कर्मचारी इस वायरस से प्रभावित हो चुके हैं. इसलिये समझदारी इसी में है कि एक नई सामान्य स्थिति को परिभाषित किया जाये. यह स्थिति पृथ्वी पर आगे बढ़ते हुये और वायरस से लड़ते हुये अर्थव्यवस्था को वृद्धि के रास्ते पर आगे बढ़ाने वाली होनी चाहिये. ‘

नारायण मूर्ति ने मौजूदा स्थिति से निपटने के लिये एक नई प्रणाली विकसित करने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि टीका तैयार हो जाने की स्थिति में हर व्यक्ति को टीका लगाने के लिये स्वास्थ्य ढांचा खड़ा किया जाना चाहिये. इसके साथ ही नये वायरस की इलाज की दिशा में भी काम होना चाहिये.

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