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किसानों को मोदी सरकार का बड़ा तोहफा, खाद पर बम्पर सब्सिडी.

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सिटी पोस्ट लाइव :कोरोना के संकट काल के बीच देश के किसानों के लिए मोदी सरकार ने डाइ अमोनिया फास्फेट (DAP) पर किसानों को मिलने वाली सब्सिडी में दोगुने से अधिक का इजाफा कर दिया है. अब उन्हें 500 रुपए प्रति बैग की जगह 1200 रुपए प्रति बैग सब्सिडी दी जाएगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में यह फैसला लिया गया है. डीएपी की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में वृद्धि के बावजूद किसानों को 1200 रुपये ही खाद के प्रति बैग के लिए चुकाने होंगे. केंद्र सरकार ने यह फैसला ऐसे समय पर लिया है, जब हाल ही में सरकार को कृषि कानूनों में संशोधन को लेकर नाराजगी और आंदोलन का सामना करना पड़ा है.

पीएमओ की ओर से जारी बयान में कहा गया कि  डीएपी की अंतरराष्ट्रीय बाजार कीमतों में वृद्धि के बावजूद, इसे 1200 रुपये के पुराने मूल्य पर ही बेचे जाने का निर्णय लिया गया है. पीएमओ ने कहा, ”मूल्य वृद्धि का सारा अतिभार केंद्र सरकार ने उठाने का फैसला किया है. प्रति बोरी सब्सिडी की राशि कभी भी एक बार में इतनी नहीं बढ़ाई गई है. यह फैसला लिया गया कि किसानों को डीएपी पर 500 रुपए प्रति बैग की जगह अब 1200 रुपए प्रति बैग सब्सिडी दी जाएगी.

पिछले साल डीएपी की वास्तविक कीमत 1,700 रुपये प्रति बोरी थी, जिसमें केंद्र सरकार 500 रुपये प्रति बैग की सब्सिडी दे रही थी. इसलिए कंपनियां किसानों को 1200 रुपये प्रति बोरी के हिसाब से खाद बेच रही थीं. पीएमओ ने अपने बयान में कहा, ”हाल ही में डीएपी में इस्तेमाल होने वाले फॉस्फोरिक एसिड, अमोनिया आदि की अंतरराष्ट्रीय कीमतें 60 प्रतिशत से 70 प्रतिशत तक बढ़ गई हैं. इसी कारण एक डीएपी बैग की वास्तविक कीमत अब 2400 रुपए है, जिसे खाद कंपनियों द्वारा 500 रुपये की सब्सिडी घटा कर 1900 रुपये में बेचा जाता है. आज के फैसले से किसानों को 1200 रुपये में ही डीएपी का बैग मिलता रहेगा.”

प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है और यह सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रयास करेगी कि किसानों को मूल्य वृद्धि का दुष्प्रभाव न भुगतना पड़े. केंद्र सरकार हर साल रासायनिक खादों पर सब्सिडी पर करीब 80,000 करोड़ रुपये खर्च करती है. पीएमओ ने कहा, ”डीएपी में सब्सिडी बढ़ाने के साथ ही खरीफ सीजन में भारत सरकार 14,775 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च करेगी.”

सरकार के इस फैसले को किसानों की नाराजगी को दूर करने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है. तीन कृषि कानूनों में संशोधन को लेकर पिछले साल से ही सरकार को आंदोलन का सामना करना पड़ रहा है. हाल ही में उत्तर प्रदेश में हुए स्थानीय चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को बड़ा झटका लगा है. खासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जिस तरह बीजेपी को निराशा हाथ लगी, उसे किसानों की नाराजगी से भी जोड़कर देखा गया.अब किसानों को रहत देकर उनको साथ बनाए रखने की कोशिश मोदी सरकार कर रही है.

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