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जिस महिला की हत्या के आरोप में सज़ा काट रहे थे दो लोग, बच्चे के साथ हुई बरामद

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सिटी पोस्ट लाइव : वैसे तो फिल्मों में आपने बहुत देखा होगा कि कैसे किसी की हत्या होती है. और उसके आरोपी को सजा हो जाती है. लेकिन पता चलता है कि उसकी हत्या तो हुई ही नहीं, बल्कि वो जिन्दा है. कुछ ऐसा ही मामला सारण जिले से सामने आया है.  जहां पुलिस ने हत्या के जुर्म में सजा काट रहे दो लोगों की वजह बनी एक महिला की करतूत को उजागर किया है. 2019 के मई माह में डेरनी थाने के ककरहट गांव से एक महिला अपने पुत्र के साथ गायब हो गई थी. घटना के दो दिनों बाद भेल्दी थाने के हकमा डाबरा नदी के किनारे पुलिस ने एक महिला के शव को बरामद किया था जिसकी शिनाख्त नहीं होने पर चौकीदार के बयान पर पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर ली थी.

अगले दिन अखबार में खबर छपने के बाद परिजन भेल्दी थाने पर पहुंचे जहां शव की पहचान गायब महिला के पिता परसा थाने के बाजितपुर गांव निवासी विजय सिंह ने अपनी पुत्री स्वीटी देवी के रूप में की. पहचान होने के बाद विजय सिंह द्वारा स्वीटी के पांच ससुराल वाले को नामजद अभियुक्त बनाया था, जिसमें पुलिस ने एक महिला समेत दो लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. काफी जांच पड़ताल के बाद पुलिस को जब शक हुआ तब तकनीकी साक्ष्य के आधार पर मुजफ्फरपुर से महिला को उसके बच्चे समेत पकड़ कर व्यवहार न्यायालय में सुपुर्द किया गया.

बता दें 15 मई 2019 को स्वीटी 7 वर्षीय अपने छोटे पुत्र पवन को टैंपू में बैठाकर अपने ससुराल से निकल गई जिसके बाद ससुराल वालों ने घर से जाने की सूचना  उसके पिता विजय सिंह को दी देर शाम तक अपने मायके नहीं पहुंची तब परिजन चिंतित होकर खोजबीन में जुट गए. 17 मई को भेल्दी के हकमा के समीप डबरा नदी से भेल्दी पुलिस ने एक महिला के शव को बरामद किया. जिसकी पहचान परिजनों ने अपनी बेटी के रूप में कर लिया. लेकिन पुलिस की जांच जब मढ़ौरा डीएसपी इंद्रजीत बैठा के पास पहुंची तब उन्होंने पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए पहले इस बात का पता लगाना चाहा कि आखिर महिला के साथ गायब बच्चे कहां है?

जांच के दौरान डीएसपी के आदेश पर अनुसंधान कर रहे अधिकारी को बदलकर भेल्दी थानाध्यक्ष विकास कुमार को अनुसंधानक बनाया गया. इस दौरान काफी जांच पड़ताल के बाद पता चला कि महिला घर से निकलने के बाद सीधे मुम्बई अपने छोटे पुत्र के साथ चली गई, जहां से वो मुज़फ़्फ़रपुर पवन एक्सप्रेस से आई थी. इस बीच पुलिस को भनक लगी और उसे बरामद किया गया. जाहिर है ये केस उन अन्य पुलिस अधिकारीयों के लिए सबक है जो आरोपी को जेल में डाल फ़ाइल बंद कर देते हैं और असलियत की तह तक पहुंचना नहीं चाहते हैं.

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