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पटना पुलिस का बड़ा घोटाला, प्रकाश पर्व के नाम पर लाखों की लूट, जांच के घेरे में कई IPS

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पटना पुलिस का बड़ा घोटाला, प्रकाश पर्व के नाम पर लाखों की लूट, जांच के घेरे में कई IPS

सिटी पोस्ट लाइव : हमाम में सब नंगे हैं. मौका मिले तो सरकारी खजाना लोटने से कोई नहीं चुकता. अब पटना पुलिस का एक बड़ा घोटाला सामने आ गया है. इस घोटाले में कई बड़े पुलिस अधिकारी फंसते नजर आ रहे हैं. सूत्रों के अनुसार प्रकाश पर्व के नाम पर पटना पुलिस विभाग में करीब 67 लाख का बड़ा घोटाला सामने आया है.पुलिस सूत्रों के अनुसार पिछले साल संपन्न हुए प्रकाश पर्व के दौरान खान-पान और साज सज्जा के मद में यह घोटाला हुआ है. इस मामले में आईजी के निर्देश पर डीआईजी राजेश कुमार ने तीन कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है. साथ ही पटना के तत्कालीन ग्रामीण एसपी ललित मोहन प्रसाद से भी स्पष्टीकरण मांगा है. दुसरे कई आईपीएस अधिकारी भी जांच के घेरे में आ गए है.

डीआईजी राजेश कुमार ने लेखा शाखा के प्रधान लिपिक इंदू भूषण तिवारी, मुख्य लेखापाल सुरेश सिंह और तत्कालीन लेखापाल गुंजन विशाल को निलंबित कर दिया है. डीआईजी पद में प्रोन्नत पटना के तत्कालीन ग्रामीण एसपी से भी स्पष्टीकरण मांगा गया है.दरअसल,यह घोटाले त्कालीन एसएसपी मनु महराज के कार्यकाल के दौरान ही सामने आ गया था. एसएसपी मनु महाराज ने बीते 20 दिसम्बर को तत्कालीन प्रभारी आईजी बच्चू सिंह मीणा को एक गोपनीय पत्र लिखा था. एसएसपी के पत्र के आलोक में तत्कालीन आईजी ने इस मामले को गंभीरता से लिया अगले ही दिन यानि 21 दिसम्बर को अपने पत्रांक-2721/ दिनांक- 2018 को सेंट्रल रेंज के डीआईजी राजेश के कुमार को पत्र लिखकर दोषी लोगों पर कड़ी कार्रर्रवाई करने का निर्देश जारी कर दिया.

आईजी ने अपने आदेश में यह लिखा था कि पटना के तत्कालीन ग्रामीण एसपी से भी यह स्पष्टीकरण मांगा जाए कि ‘जब उन्हें 5 हजार रुपये की राशि की खरीद के लिए अधिकृत किया गया था तो किस परिस्थिति में अधिक की राशि का खरीद आदेश दिया गया.’गौरतलब है कि बीते वर्ष संम्पन्न हुए प्रकाश पर्व के दौरान पुलिस विभाग ने साज-सज्जा और रोशनी के लिए पटना के दो फर्मों सिमोंस इलेक्ट्रानिक इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और  मेसर्स शभूं आर्ट से एकरारनामा किया था.उनके सारे बिल का भुगतान भी कर दिया गया था. पर दोबारा सिमोंस इलेक्ट्रानिक इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को वित्तीय वर्ष 2018-19 में बिल संख्या 708/18-19 में IIV नंबर 153 से 157 तक में 24 लाख 18 हजार 528 रुपये एवं बिल संख्या 707/18-19 में OIV नंबर 49 एवं 50 में मेसर्स शंभू आर्ट के नाम पर 21 लाख 5 हजार 162 रुपये के बिल की पुन: निकासी कर ली गई.

लेकिन जब जांच शुरू हुई तो बिलों के साथ मूल वाऊचर नहीं मिले. आईजी ने यह भी आदेश दिया है कि दोनों फर्मों को काली सूची में शामिल किया जाए.  पटना के डीआईजी राजेश कुमार ने इस घोटाले और फर्जीवाड़े की पुष्टि करते हुए बताया कि तीनों निलंबित लेखाकर्मियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई चलेगी और जरूरत पड़ने पर इन तीनों के खिलाफ केस भी दर्ज किया जा सकता है.इस घोटाले में डीआइजी की इस कारवाई से हडकंप मचा हुआ है.

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