सिटी पोस्ट लाइव :बिहार (Bihar) के मुजफ्फरपुर (Muzaffarpur) शहर के मेयर सुरेश कुमार सफाई वाली भारी भरकम मशीन, ऑटो और टिपर के ऐसे चक्कर में फंसे हैं कि उनकी कुर्सी ही साफ़ होएवाली है.मेयर गंभीर कानूनी पचड़े में पड़ गए हैं.उनकी कुर्सी छीन जाने का बड़ा खतरा मंडरा रहा है. मेयर (Mayor) सुरेश कुमार के खिलाफ भ्रष्टाचार की धाराओं के साथ गबन और साजिश की कई धाराओं में निगरानी कोर्ट में चार्जशीट दायर हो गया है. मेयर समेत कई अभियुक्तों को साढ़े तीन करोड़ की गड़बड़ी का अभियुक्त बताया गया है. नगर निगम के दो इंजीनियर भरत लाल और प्रमोद कुमार पर चार्जशीट दाखिल हो गया है.
साल 2017 में मुजफ्फरपुर नगर निगम में मेयर के आदेश पर 50 ऑटो और टिपर खरीदे गए थे. करीब साढ़े तीन करोड़ की इस खरीद में पटना की कंपनी मौर्या मोटर से ज्यादा कीमत पर खरीद की गई. जबकि मुजफ्फरपुर के एक बीडर के कम रेट के टेंडर को खारिज कर दिया गया था. इस मामले में 12 दिसम्बर 2018 को सरकार के आदेश के बाद निगरानी थाना पटना में मेयर सुरेश कुमार, दो नगर आयुक्त रमेश रंजन और रंगनाथ चौधरी समेत दस आरोपियों के खिलाफ कांड संख्या 56/2018 दर्ज किया गया था. कई स्तर के जांच और सियासी उठापटक के बाद सरकार ने मेयर के खिलाफ अभियोग चलाने का आदेश दिया था. उसके बाद निगरानी ब्यूरो ने मेयर को दोषी पाते हुए चार्जशीट दायर कर दिया है.
मुजफ्फरपुर के लोक अभियोजक एडवोकेट पीके शाही ने बताया कि मेयर के खिलाफभ्रष्टाचार विरोधी अधिनियम 1988 की धाराओं के साथ-साथ आईपीसी की धारा- 409, 467, 468, 471 और 120 बी के तहत चार्जशीट दायर किया गया जिसमें आरोप सत्य पाय जाने पर चार साल से दस साल तक की सजा हो सकती है. चार्जशीट के बाद उनकी कुर्सी पर खतरा उत्पन्न हो गई है.लेकिन मेयर सुरेश कुमार अपने पद से त्याग पत्र देने को तैयार नहीं हैं.उन्होंने इस मामले को साजिश करार देते हुए कहा है कि उन्हें न्यायालय पर पूरा भरोसा है. मेयर फिलहाल सुप्रीम कोर्ट से जमानत पर हैं. मेयर पर चार्जशीट की चर्चा जोरों पर है क्योंकि सूबे के नगर विकास मंत्री सुरेश शर्मा मुजफ्फरपुर के ही हैं. उनके आदेश के बाद ही मेयर पर अभियोग दायर किया गया है.
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