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महंत नरेंद्र गिरि मौत किसी फ़िल्मी कहानी से कम नहीं, आत्महत्या के पीछे का काला सच क्या है?

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सिटी पोस्ट लाइव : देश के जाने-माने महंत नरेंद्र गिरि की मौत किसी फ़िल्मी कहानी से कम नहीं है. आत्महत्या के पीछे का काला सच क्या है इसकी गुत्थी सुलझाने में पुलिस जुटी हुई है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी आ गई है, जिसमें ये बताया गया कि नरेंद्र गिरी की मौत दम घुटने से हुई. शारीर पर किसी तरह के कोई चोट के निशान भी  नहीं है. जो साफ़ दर्शाता है कि उन्होंने आत्महत्या की है. लेकिन इसके पीछे क्या कारण है कि इतने बड़े महंत को आत्महत्या करना पड़ा.

कुछ लोग कहते हैं कि कोई ऐसा काला राज था, जो शायद बाहर आ सकता था. इसलिए उन्होंने ये कदम उठाया. कुछ लोगों का कहना है कि वो अपनी जिन्दगी से निराश हो गए थे. या उनके साथ रहने वाले उन्हें धोखा दे रहे थे. पुलिस उन तमाम पहलुओं पर जांच कर रही है. जिसमें ब्लैकमेलिंग भी शामिल है. लेकिन बड़ा सवाल है कि आखिर वो कौन सी तस्वीर थी जिससे वो डर रहे थे. हालांकि इसको लेकर आनंद गिरी से पूछताछ की गई लेकिन उसने फोटो की बात से इनकार कर दिया है. इस मामले में पुलिस ने अब तक आनंद गिरि के अलावा लेटे हनुमान मंदिर के पुजारी आद्या तिवारी और उनके बेटे संदीप तिवारी को भी गिरफ्तार किया है.

महंत नरेंद्र गिरि फांसी लगाने से पहले 13 सितंबर को सल्फास की गोली खाकर आत्महत्या करना चाहते थे. पुलिस को कमरे से सल्फास की गोलियां मिली है जो महंत नरेंद्र गिरि ने अपने शिष्य से मंगवाईं थी. फांसी के लिए जो रस्सी थी वो भी कुछ दिन पहले शिष्य से मंगवाई थी. पुलिस ने सल्फास की गोलियां कब्जे में ले ली हैं, जिसे केमिकल जांच के लिए भेजा गया है.

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बता दें आत्महत्या से भी कहीं अधिक उनके द्वारा छोड़े गए कथित सुसाइड नोट ने कुछ अनुत्तरित सवाल पीछे छोड़ दिए हैं, जिनके उत्तर तलाशना जरूरी है. लगभग 6 पन्नों के सामने आए सुसाइड नोट से पता चलता है कि महंत बहुत परेशान थे, लेकिन यह नोट स्पष्ट रूप से उन घटनाओं का उल्लेख नहीं करता है, जिस वजह से उन्हें ऐसा कदम उठाने को मजबूर करता है.  महंत में  कहा लिखा गया है कि वह अपने अलग हुए शिष्य आनंद गिरि और हनुमान मंदिर के पुजारी आद्या तिवारी और उनके बेटे संदीप तिवारी के कारण परेशान थे, लेकिन उन्होंने विस्तार से नहीं बताया.

पुलिस मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए सुसाइड नोट का खुलासा करने में बेहद सतर्कता बरत रही है. इसके अलावा, नोट की सत्यता पर भी सवाल उठाया गया है, क्योंकि संत के करीबी लोगों ने कहा है कि वह एक या दो वाक्य से आगे लिखने में माहिर नहीं थे. यहां तक कि आरोपी आनंद गिरी ने भी कहा है कि उन्हें फंसाने के लिए सुसाइड नोट छोड़ा गया है. खैर पुलिस मामले की जांच तह से कर रही है, देखना होगा कबतक सच्चाई लोगों के सामने आती है.

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