सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में किस तरह से कागज़ पर काम हो रहे हैं और करोड़ों-करोड़ रुपये का घपला हो रहा है. इसका सबसे बड़ा प्रमाण जमुई स्टेडियम है. श्री कृष्ण सिंह स्टेडियम के ठीक सटे लगभग सवा तीन करोड़ की लागत से इंडोर स्टेडियम बनना था. पैसे का आवंटन भी हो गया और सात वर्ष पूर्व इसका निर्माण कार्य भी शुरू हो गया था. सब पैसे खर्च भी हो गए लेकिन निर्माण के नाम पर यहाँ कुछ जीर्ण शीर्ण पिलर और उसमे जंग लगे छड़ ही नजर आ रहे हैं. सवाल ये उठता है कि क्या साढ़े तीन करोड़ में केवल कुछ पिलर ही खड़े हुए जिसकी लगत मुश्किल से कुछ लाख से ज्यादा नहीं होगी.
कैबिनेट के फैसले के बाद इंडोर स्टेडियम की राशि आवंटित हो चुकी थी और इंडोर स्टेडियम का निर्माण कार्य आरंभ हो चुका था. लेकिन निर्माण कार्य आरंभ होने के बाद अचानक इसे बंद कर दिया गया. जानकारी मिल रही है कि इन्डोर स्टेडियम के मामले में तत्कालीन जिलाधिकारी ने कैबिनेट के फैसले को ही पलट डाला. कैबिनेट में जमुई में इंडोर स्टेडियम निर्माण की स्वीकृति प्रदान की थी और यहां तत्कालीन जिलाधिकारी मनीष कुमार ने उक्त राशि को आउटडोर स्टेडियम में डाइवर्ट कर दिया.
सबसे बड़ा सवाल – जब डीपीआर इंडोर स्टेडियम का बना था और राशि उसी हिसाब से आवंटित हुई थी फिर आउटडोर स्टेडियम का डीपीआर कैसे बन गया? इस इन्डोर स्टेडियम के लिए अवांटित सवा तीन करोड़ की राशि कहाँ खर्च हुई?
अब इस मामले की जांच का आदेश वर्तमान जिलाधिकारी धर्मेंद्र कुमार ने दे दिया है .उनके निर्देश पर 3 सदस्य कमेटी द्वारा की जा रही है. कमिटी में वरीय उपसमाहर्ता संतोष कुमार जिला योजना पदाधिकारी विनोद कुमार सिन्हा एवं कार्यपालक अभियंता रविशंकर प्रसाद है .इन्होने मामले की जांच शुरू कर दी है. जिलाधिकारी धर्मेंद्र कुमार का कहना है कि राशि का डायवर्शन हुआ है मामले की जांच की जा रही है तथा कल तक जांच प्रतिवेदन आ आने की संभावना है. सूत्रों के अनुसार इन्डोर स्टेडियम की राशि के डायवर्सन का मामला एक बड़े घोटाले के रूप में सामने आ सकता है और कई अधिकारी इसमे फंस सकते हैं. इस मामले में तत्कालीन जिलाधिकारी से भी पूछताछ की तैयारी चल रही है.
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