सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में हुये सैकड़ों करोड़ रूपये के राईस मिल घोटाला मामले की जांच ED ने शुरू कर दी है. आरोपी कंपनियों और उसके मालिकों के खिलाफ कार्रवाई केन्द्रीय जांच एजेंसी ईडी की जांच शुरू हो गई है. इस मामले में अपराधिक साजिश रचने और करोड़ों रूपये अवैध तौर पर कमाने वाले कई ब्यूरोक्रेट के खिलाफ ईडी की कार्रवाई होनी है. ईडी आरोपी अधिकारियों के बारे में जानकारी जुटा रही है.
केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ED ) की टीम ने बड़ी कार्रवाई को अंजाम देते हुए मेसर्स जगदंबा फूड सेंटर नाम की कंपनी की करीब दो करोड़ रुपये से अधिक की चल और अचल संपत्तियों को अटैच कर लिया है. इसके साथ ही इस कंपनी के खिलाफ पटना स्थित ईडी की विशेष कोर्ट में आरोपपत्र दायर कर दिया गया है. इस कंपनी का मालिक है देवेश , जो मूल रूप से दरभंगा का रहने वाला है. इसी साल 30 जून को ईडी ने देवेश को गिरफ्तार भी किया था .
बिहार में हुए धान घोटाला उर्फ राइस मिल घोटाला मामला बहुत बड़ा मामला होता दिख रहा है. इस मामले में अबतक करीब एक हजार से ज्यादा FIR दर्ज हो चुके हैं. बिहार में इस घोटाले को ‘बिहार का दूसरा चारा घोटाला’ के तौर पर भी देखा जा रहा है, क्योंकि इस घोटाले को भी उसी अंदाज और तर्ज पर उस घोटाले की वारदात को अंजाम दिया गया है. जिस तरह से देश के काफी प्रसिद्ध चारा घोटाले में स्कूटर/बाइक/ साइकिल का प्रयोग दिखाया गया था. उसी तरह से कई आरोपियों ने इस राइस घोटाले को अंजाम देने के फर्जी राइस मिल और नकली ट्रांसपोर्टर बनकर कई लोगों ने करीब 600 करोड़ से ज्यादा के फर्जीवाड़े को अंजाम दिया है.
पिछले कुछ समय से इस घोटाला के खिलाफ राजनीतिक गलियारों से लेकर विधानसभा के अंदर तक कई बार आवाजें उठ चुकी है. बिहार सरकार भी इस मामले पर ठोस कार्रवाई करने का आदेश दे चुकी है. राज्य स्तरीय आर्थिक अपराध शाखा और सतर्कता विभाग को भी निर्देश दे चुकी है.केंद्रीय जांच एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक इस घोटाले में काफी दलालों सहित कई बड़े नौकरशाहों यानी ब्यूरोक्रेट की भी भूमिका संदिग्ध है.अधिकारियों के आदेश और उनके देखरेख होने के वावजूद इतना बड़ा फर्जीवाड़े को अंजाम दिया गया था. इस मामले की जड़ की शुरुआत होती है मुजफ्फरपुर से जहां के अधिकारियों ने सबसे पहले बिहार सरकार को ये सूचित किया था कि उस वक्त होने वाली बारिश से काफी धान की फसल बर्बाद हो जाएगा. इसके साथ ही ये भी सलाह दिया गया था कि इस धान को पश्चिम बंगाल भेजकर वहां उसको ‘उसना चावल’ में तब्दील करवाया जा सकता है. इससे काफी धान बीज को बारिश में सड़ने से बचाया जा सकता है.
मामले की नजाकत को देखते हुए उस वक्त सरकार ने तत्काल उससे संबंधित आदेश पारित कर दिया गया था, इसी के आड़ में दरभंगा, कटिहार, अररिया, सुपौल, पूर्णिया, मधेपुरा, सहरसा सहित करीब 10 जिलों के ब्यूरोक्रेट को इस मामले में लिखित निर्देश दिया गया था कि उस बारिश में भीगें हुए धान को पश्चिम बंगाल भेजा जाए , लेकिन इसी निर्देश के बाद घोटाले की नींव रखी गई और उसके काफी समय के बाद इस मामले की जानकारी राज्य सरकार को हुई कि करीब 17 लाख मीट्रिक टन के उस धान को न तो पश्चिम बंगाल भेजा गया ,लेकिन उसके बदले में मनचाहा करोड़ों रुपये का ट्रांसपोर्ट और ट्रांसपोर्टर को भुकतान किया गया ।।
ED के रडार पर दर्जनों राइस मिल और उसके मालिक भी हैं जिसके खिलाफ इस मामले में तफ्तीश चल रही है. लेकिन अगर कुछ प्रमुख राइस मिल की अगर बात करें तो शीतग्राम पानीशाला रायगंज, अनिकेत मनीष राइस मिल करन दिग्ग्घी, उतर दिनाजपुर, मेसर्स रायगंज फूड ग्रेन , रायगंज फूडग्रेन प्राइवेट लिमिटेड , बाबा राइस मिल, मां जगदंबा फूड , सहित दर्जनों कंपनियां हैं. इस मामले में करीब एक दर्जन से ज्यादा ऐसी कंपनियां है जिसके खिलाफ ईडी जल्द ही बड़ी कार्रवाई को अंजाम देने वाली है क्योंकि उन आरोपी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश सुप्रीम कोर्ट भी दे चुकी है. ईडी की टीम ने इस मामले में काफी महत्वपूर्ण जानकारियां और सबूतों को इकट्ठा कर लिया है अब उन तमाम मामलों में जल्द ही एक्शन को अंजाम दिया जाएगा .
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