City Post Live
NEWS 24x7

सहरसा : बहुचर्चित गोपाल यादव हत्या मामले में बड़े व्यवसायी उमेश दहलान को मिली रिहाई

- Sponsored -

-sponsored-

- Sponsored -

सहरसा : बहुचर्चित गोपाल यादव हत्या मामले में बड़े व्यवसायी उमेश दहलान को मिली रिहाई

सिटी पोस्ट लाइव : व्यवहार न्यायालय सहरसा के फास्ट ट्रैक न्यायालय के विद्वान न्यायविद श्री हरदयाल पटेल ने आज 27 मार्च 2019 बुधवार को पटुआहा के पूर्व मुखिया चर्चित गोपाल यादव हत्याकांड में आरोपित उमेश दहलान सहित कई अन्य ग्रामीणों को अपने फैसले में पूरी तरह से दोष मुक्त कर दिया। न्यायालय के इस फैसले से उमेश दहलान और उनके परिवार के सभी सदस्यों एवं शुभेच्छुओं ने न्यायालय के फैसले का सम्मान करते हुए कहा कि सत्य परेशान हो सकता है लेकिन कभी पराजित नहीं हो सकता है।
इस फैसले से उत्साहित उमेश दहलान ने बताया कि 10 जनवरी 2015 को राज्यरानी ट्रेन से वे सहरसा से पटना जा रहे थे कि अचानक रास्ते में उनके सीने में दर्द उठा। दर्द की परेशानी को लेकर उनके सगे-संबंधी एवं मित्र जनों ने केयर नर्सिंग होम पटना में भर्ती करवा कर उनका ईलाज ईलाज करवाया। ईलाज के बाद 14 जनवरी 2015 को उन्हें नर्सिंग होम से डिस्चार्ज किया गया। इसके बाद भी क्षेत्रीय बाहुबली नेताओं के इशारे पर इस हत्याकांड में उन्हें फंसा दिया गया। उनके बिल्कुल निर्दोष होने के बाद भी पुलिस अधिकारियों ने उनका कुछ भी नहीं सुना और ना ही कोई अनुसंधान ही किया। पुलिस के इस घिनौनी कार्रवाई से न केवल भ्रष्ट पुलिस बदनाम होती है बल्कि ईमानदार पुलिस का चेहरा भी समाज में दागदार हो जाता है।

इसमें कोई शक नहीं है कि निर्दोष लोगों को फंसाने के लिए पुलिस की भी कुछ मजबूरी होती है। इससे समाज के बीच पुलिस के प्रति विश्वास घटता है। हमारे परिवार के सदस्यों के बार-बार निर्दोष कहने और जांच-पड़ताल करने के सभी अनुरोध को पुलिस-प्रशासन ने नकार कर उन्हें मुदालह बना दिया गया। बड़े नेताओं को खुश रखना पुलिस की मजबूरी होती है, नहीं तो असमय उनके ट्रांसफर का भी खतरा बना रहता है। हमें पुलिस,  अपराधी एवं नेता के गठजोड़ के कारण लगातार फंसाया जाता रहा है। उमेश दहलान ने कहा आगे कहा कि वे हृदय रोग एवं कैंसर रोग से पीड़ित व्यक्ति हैं। उनका हरियाणा के गुड़गांव स्थित मेदांता हॉस्पिटल में डा. प्रवीण चंद्रा के द्वारा हर्ट का इन्जोलास्टिक किया गया है।

मुम्बई प्रिंस अली खान हॉस्पिटल एवं रहेजा हॉस्पिटल में कैंसर का तीन बार ऑपरेशन हुआ है। सीम्स हॉस्पिटल अहमदाबाद रेडियेशन एवं कीमो हुआ है और हरेक दो से तीन महीने में सभी जगह जाकर जांच करवाना पड़ता है। आरोप से मुक्त हुए उमेश दहलान ने कहा कि गोपाल यादव हत्याकांड का असली हत्यारा खुलेआम सड़क पर हथियार लेकर घूमता है। लेकिन सहरसा पुलिस अधिकारी वैसे अपराधियों को जानते हुए भी पैसे के बल पर नहीं पकड़ रही है। लेकिन निर्दोष लोगों को केस में फंसा कर अपनी मुछों पर ताव जरूर दे रहे हैं। वैसे अफसर एवं नेता को शायद ऊपर वाले के ताकत का अंदाजा नहीं है। यदि उनके साथ ऐसा होता तो उनका दिमाग ठिकाने लग जाता। खैर,भगवान यदि हैं तो वैसे लोग उनकी लाठी का इंतजार करें।

भगवान की लाठी में आवाज नहीं होती है। भगवान के घर देर है पर अंधेर नहीं है। उन्हें गोपाल यादव की हत्या से भी काफी दुख है। वे उनके परिवार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं। आज न्यायालय रूपी भगवान नहीं होता, तो ऐसे नेता व पदाधिकारी लाशों पर बैठकर ठहाका लगाते। सभी को इसका इंतजार करना चाहिए। वे सार्वजनिक रूप से यह भी कहना चाहते हैं कि शहर के किसी भी अच्छे व्यक्ति के विरूद्ध बिना किसी साक्ष्य के भू-माफिया जैसे शब्दों का प्रयोग करने वाली पुलिस और पुलिस के पदाधिकारी अपनी हरकत से बाज आएं। कनीय पुलिस से लेकर पुलिस के बड़े पदाधिकारी तक हमारे नाम के आगे बेवजह और बिना किसी साक्ष्य के भू-माफिया एवं अपराधकर्मी शब्द का प्रयोग कर हमारी सामाजिक मार्यादा व छवि को धूमिल करने की साजिश बाहुबली नेता एवं भू-माफिया के ईशारों पर लगातार करते रही हैं ।

वैसे लोगों के खिलाफ वे जल्द ही सक्षम न्यायालय में एक याचिका दायर करेंगे। वे आज कहना चाहते हैं कि क्या कोई ऐसा व्यक्ति या पुलिस पदाधिकारी हैं जो हमारे खिलाफ दो-चार गवाह कहीं से भी प्रमाण स्वरूप दे सकें। क्या ऐसा कोई प्रमाण है कि किसी की जमीन,रूपया या कोई संपत्ति हमने हड़पा लिया है। वैसे पुलिस पदाधिकारी अपने आॅफिस में बैठकर लोगों को गलत सर्टिफिकेट देना बंद करें। वे अपराधकर्मी शब्द का प्रयोग कर नेताओं के ईशारे पर अपराधकर्मी की भाषा बोलते हैं। वे दो दफे बिहार विधानसभा का चुनाव सहरसा से लड़ा और उन्हें सम्मानजनक वोट भी मिला। किसी को लालू यादव तो किसी को नीतीश कुमार ने महान बना दिया।

जो व्यक्ति जीवन भर क्राईम किया वह अपने आपको माननीय समझता है ।वैसे व्यक्ति उपर वाले की बेजुबान लाठी का इंतजार करे। शहर के तत्कालीन थानाध्यक्ष संजय सिंह थे। वे भी हमसे 3 लाख रूपए जो मेरे ईलाज के लिए बैंक एकाउंट में रखा हुआ था,अश्विनी कुमार एसपी साहब के नाम पर उधार लिया और लेकर चले गए ।इसको लेकर हमने न्यायालय में केस भी किया है। जिसपर संज्ञान के लिए जज साहब के अार्डर पर चला गया है। संजय सिंह धमकी देते हैं कि केस करके क्या कर लोगे? दूसरे जिला में किसी से केस करवा कर फंसा दूंगा नहीं तो केस उठा लो। इस हत्या मामले में बरी होने के बाद उमेश दहलान काफी खुश थे और पुलिस को बेपर्दा कर रहे थे।

पीटीएन न्यूज मीडिया ग्रुप के सीनियर एडिटर मुकेश कुमार सिंह की रिपोर्ट

-sponsored-

- Sponsored -

Subscribe to our newsletter
Sign up here to get the latest news, updates and special offers delivered directly to your inbox.
You can unsubscribe at any time

- Sponsored -

Comments are closed.