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खजूरबानी जहरीली शराबकांड में DGP ने किया 13 पुलिसकर्मियों को बर्खास्त.

4 साल बाद हुई बड़ी कारवाई, 8 अधिकारी भी बर्खास्त, पुलिस महकमे में मच गया है हडकंप.

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सिटी पोस्ट लाइव : बिहार के गोपालगंज  (Gopalganj) के खजूरबनी में जहरीली शराब (Poisonous liquor) पीने से हुई मौत के मामले में राज्य के डीजीपी ने  बड़ी कार्रवाई कर दी है. डीजीपी गुप्तेश्वर पाण्डेय ने इस मामले में 21 पुलिस पदाधिकारियों और पुलिस जवानों को बर्खास्त  (DISMISS ) कर दिया है. गौरतलब है कि गोपालगंज में 16 अगस्त 2016 को जहरीली शराबकांड हुई थी. यहां खाजुरबानी मोहल्ले में जहरीली शराब पीने से एक-एक कर के 19 लोगों की मौत हो गई थी. इसमें 06 लोगों के आंखों की रौशनी भी चली गई .

बर्खास्त किये गए पदाधिकारियों में आठ पुलिस अधिकारी और 13 जवान शामिल हैं. जिन अधिकारिओं पर बर्खास्तगी की कारवाई हुई है उसमें सब इंस्पेक्टर दिलकश कुमार सिंह सारण, सब इंस्पेक्टर अमित कुमार मोतिहारी, सब इंस्पेक्टर अमरेंद्र कुमार सिंह सीवान , सब इंस्पेक्टर चंद्रिका राम सीवान ,एएसआई मिथिलेश्वर सीवान, विनोद कुमार पांडेय सीवान, गुलाम मोहम्मद सारण , राज भरत प्रसाद सिंह मुजफ्फरपुर का नाम शामिल है.

नवल कुमार सिंह सीवान, पीटीसी सिपाही 416 पुष्पेंद्र ओझा गोपालगंज, पीटीसी 18 दिनेश्वर यादव गोपालगंज, पीटीसी सिपाही 620 मोहन प्रसाद सिंह बांका, सिपाही 147 धीरज कुमार राय गोपालगंज, सिपाही 480 शैलेंद्र कुमार अरवल,  सिपाही 267 मनोज कुमार जहानाबाद, सिपाही 508 अनंजय कुमार सिंह बक्सर, सिपाही 70 नितेश कुमार सिंह पटना,  सिपाही 383 विश्वजीत कुमार सारण, सिपाही 455 मुरली यादव गोपालगंज, सिपाही 579 मनीष कुमार सारण, 572 राकेश कुमार सिंह सारण, सिपाही 468 राहुल कुमार गोपालगंज को भी बर्खास्त कर दिया गया है.

16 अगस्त 2016 को हुई इस जहरीली शराबकांड के तत्काल बाद तत्कालीन पुलिस अधीक्षक रवि रंजन कुमार ने कड़ा एक्शन लेते हुए नगर थाने के सभी पुलिस पदाधिकारियों को निलंबित कर दिया था. एसपी ने जिन अधिकारिओं को निलंबित किया था उसमें नगर थाने के इंस्पेक्टर बीपी आलोक, सब इंस्पेकटर अमित कुमार समेत 15 पुलिस अफसर शामिल थे.इसके अलावा नगर थाना में तैनात 10 पुलिसकर्मियों को भी निलंबित किया गया था. जिन अधिकारिओं के खिलाफ आज बड़ी कारवाई हुई है सबके खिलाफ कारवाई की अनुशंसा सारण डीआईजी विजय कुमार ने भी की थी. लेकिन बड़ा सवाल है की इस मामले में तत्कालीन एसडीपीओ और इंस्पेक्टर स्तर के किसी भी पदाधिकारी पर कोई बड़ी करवाई नहीं हुई है.

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