सिटी पोस्ट लाइव :सरकारी अस्पतालों से कोरोना के ईलाज में कोताही बरते जाने और कोरोना मरीज की मौत हो जाने के बाद उसे छोड़कर अस्पताल से भाग जाने का एक सनसनीखेज मामला आरा से आ रही है.आरा के सदर अस्पताल के इमरजेंसी विभाग में कोरोना संक्रमित मरीज की मौत होने के बाद डॉक्टर सहित तमाम स्वास्थ्यकर्मी मौके से फरार हो गए. हालात ये हो गए कि इमरजेंसी को ओपीडी में शिफ्ट करना पड़ा. इन सबके बीच कोरोना संक्रमित मरीज का शव करीब छह घंटे तक इमरजेंसी में पड़ा रहा और परिजन इधर-उधर की दौड़ लगाते रहे, लेकिन उनकी सुननेवाला कोई नही था.
मरीज की मौत के कई घंटों के बाद अस्पताल प्रशासन ने शव को एम्बुलेंस में डालकर अंत्येष्टि के लिए परिजनों के हवाले किया.मृतक मरीज बिहिया के सुंदरपुर बरजा का निवासी था.उसके पुत्र धनजी तिवारी के मुताबिक उसके पिता को दो दिन पहले तबीयत बिगड़ने के बाद आरा के कृष्णा नगर से सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां जांच के बाद उसके पिता को कोरोना पॉजिटिव होने की जानकारी मिली. इस दौरान बुजुर्ग मरीज को आइसोलेशन वार्ड भी नहीं भेजा गया और सोमवार की सुबह उन्होंने दम तोड़ दिया.
कोरोना मरीज की मौत की सूचना मिलते ही इमरजेंसी में तैनात स्वास्थ्यकर्मी विभाग छोड़कर फरार हो गए.अस्पताल प्रबंधन ने इमरजेंसी विभाग को ओपीडी के हड्डी रोग विभाग के बाहर शिफ्ट कर दिया. कोरोना संक्रमित पिता की मौत के बाद बेटे ने सदर अस्पताल प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाया है.उसका आरोप है कि सुबह से ही शव ले जाने के लिए वह अस्पताल का चक्कर लगाता रहा लेकिन कोई उसको शव सौंपने को तैयार नहीं था. भोजपुर सिविल सर्जन का भी खाना है कि डर से शव को कोई कर्मचारी हाथ लगाने को तैयार नहीं था.अब सवाल ये उठता है कि जब बुजुर्ग की रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो उन्हें सदर अस्पताल प्रबंधन द्वारा रेफर किये जाने के बावजूद आइसोलेशन सेंटर क्यों नही भेजा गया? सवाल ये भी है कि जब बुजुर्ग की कोरोना से मौत हो गई तो उसके शव को घंटों क्यों इमरजेंसी वार्ड में पड़ा रहने दिया गया. परिजनों के लाख मिन्नतों के बावजूद शव को हटाने की कार्रवाई समय से क्यों नहीं हुई.
Comments are closed.