सिटी पोस्ट लाइव :बिहार में कोरोना महामारी को कुछ लोगों ने मुनाफे का कारोबार बना लिया है.पैसे के लालच में लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ हो रहा है.खबर के अनुसार रेमडेसिविर की बढती मांग को देखते हुए कुछ लोगों ने नकली रेमडेसिविर बेचना शुरू कर दिया है.इस नकली रेमडेसिविर की पहचान करना मेडिकल स्टाफ के लिए भी मुश्किल हो रहा है.असली और नकली इंजेक्शन में तत्काल पहचान करना मुश्किल है. पर बहुत ध्यान देने और रैपर पर अंकित लिखावट को देखने पर नकली और असली में फर्क किया जा सकता है.
नकली इंजेक्शन के रैपर पर अंग्रेजी के कुछ शब्दों की स्पेलिंग गलत अंकित है. नकली इंजेक्शन के रैपर पर अंग्रेजी के कुछ शब्दों की स्पेलिंग गलत अंकित है.ये खुलासा तब हुआ जब कंकड़बाग स्थित पुष्पांजल अस्पताल में भर्ती डॉक्टर को ही नकली इंजेक्शन लगा दिया गया. इंजेक्शन लगाने के बाद उसके रैपर पर नजर गई तो अस्पताल के कर्मियों को शक हुआ.दूसरे रैपर से तुलना करने पर इंजेक्शन के नकली होने का पता चला. मरीज के परिजनों ने बताया कि डॉक्टरों द्वारा इंजेक्शन प्रेस्क्राइब करने पर तलाश में जुटे थे. इसी बीच किसी ने बताया कि इंजेक्शन मिल जाएगा पर ब्लैक में. कोई चारा नहीं होने पर उस व्यक्ति से इंजेक्शन मंगाने को कहा और कीमत के रूप में 25 हजार रुपए दिए थे.
गौरतलब है कि कई अस्पताल मरीजों के परिजनों से ही रेमडेसिविर की मांग कर रहे हैं.परिजन 25-30 हजार में इंजेक्शन लाकर अपने मरीजों के लिए दे रहे हैं. रैपर को देखने से इंजेक्शन के नकली होने की शंका उत्पन्न हुई पर तब तक मरीजों को वही इंजेक्शन लगाया जा चुका था. डॉक्टरों ने किसी भी अनधिकृत व्यक्ति से रेमडेसिविर इंजेक्शन नहीं लेने की अपील की है. बिना बिल के किसी भी एजेंसी से इंजेक्शन नहीं खरीदें. नकली इंजेक्शन की शिकायत की औषधि नियंत्रक जांच करें. रेमडेसिविर फिलहाल सिर्फ ड्रग कंट्रोलर के माध्यम से ही जरूरत वाले मरीजों के लिए संबंधित अस्पतालों को दी जा रही है.
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