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‘बिहार नहीं खरीदेगा कोविड वैक्सीन’, कैसे लगेगा 18 साल वालों को टिका.

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सिटी पोस्ट लाइव :कोरोनावायरस (Coronavirus) महामारी की दूसरी लहर के बीच जब 8 से 44 आयु वर्ग के लिए वैक्सीन की खुराकें कम पड़ गई हैं. कई राज्यों ने टीकों के लिए वैश्विक निविदाएं मंगाई हैं, लेकिन बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने इसके खिलाफ फैसला लिया है. बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे (Mangal Pandey) ने संकेत दिया कि राज्य द्वारा टीकों की खरीदारी किए जाने की संभावना नहीं है. जब मंगल पांडे से पूछा गया कि बिहार ने सीधे टीके खरीदने के लिए कोई वैश्विक निविदा क्यों नहीं जारी की तो उन्होंने कहा, “देख लीजिए, अन्य राज्यों ने वैश्विक निविदाएं कैसे जारी कीं और उसके क्या परिणाम निकले?” उन्होंने कहा, “हमें 1 करोड़ 1 लाख टीके मिले हैं. रविवार तक 98 लाख लोगों को टीका लगाया जा चुका है.”

सूत्रों के अनुसार, बीजेपी शासित मध्य प्रदेश ने भी कथित तौर पर उस मार्ग (टीका खरीदने) को नहीं अपनाने का फैसला किया है.1 मई से सभी वयस्कों के लिए खोले गए टीकाकरण अभियान के बाद वैक्सीन की खुराक की कमी के बाद कई राज्यों ने घोषणा की कि वे अंतरराष्ट्रीय निर्माताओं से सीधे टीके खरीदने की कोशिश करेंगे. हालांकि, अभी तक इस प्रक्रिया का कोई नतीजा नहीं निकल सका है.वैक्सीन बनाने वाली फाइजर और मॉडर्ना ने कहा है कि यह पॉलिसी का मामला है, इसलिए  राज्यों के बजाय केंद्र से ही इस मामले में डील करेंगे. मॉडर्ना ने पंजाब सरकार को बताया कि उनकी नीति भारत सरकार को टीका सप्लाई करने की है न कि किसी राज्य सरकार या निजी पार्टियों के साथ.

पंजाब सरकार ने स्पुतनिक वी, फाइजर, मॉडर्न और जॉनसन एंड जॉनसन से वैक्सीन के लिए संपर्क किया था, लेकिन केवल मॉडर्न ने जवाब दिया है, वह भी नकारात्मक.तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश ने भी निविदाएं जारी की हैं, लेकिन पंजाब के प्रयासों की प्रतिक्रिया से संकेत मिलता है कि यह काफी हद तक एक प्रतीकात्मक और निष्फल कदम है. उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और तेलंगाना जैसे अन्य राज्यों ने भी वैश्विक निविदाओं का विकल्प चुना है.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा कि केंद्र को इसे राज्यों पर छोड़ने के बजाय राष्ट्रीय स्तर पर COVID-19 के टीके आयात करने चाहिए.गौरतलब है कि केंद्र की नई नीति राज्यों और निजी अस्पतालों को सीधे निर्माताओं से टीके खरीदने की अनुमति देती है. हालांकि, कंपनियों का कहना है कि वे केंद्र सरकार को प्राथमिकता देंगे और उनके पास मौजूदा राष्ट्रव्यापी मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं.

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