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नालंदा : बड़गांव छठ मेले को सरकारी दर्जा मिलने के बाद भी स्थिति जैसी की तैसी

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नालंदा : बड़गांव छठ मेले को सरकारी दर्जा मिलने के बाद भी स्थिति जैसी की तैसी

सिटी पोस्ट लाइव : नालंदा का बड़गांव देश के प्रमुख सूर्य उपासना केंद्रों में से एक माना जाता है जहां देश के कोने कोने से हजारों श्रद्धालु 4 दिनों तक प्रवास कर छठ व्रत  करते हैं. इस बड़गांव छठ मेले को पिछले वर्ष बिहार सरकार ने सरकारी मेले का दर्जा दिया था, सरकारी मेले का दर्जा मिलने के बाद भी इस बड़गांव को मैं बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराई गई. जिसके कारण लोगों में सरकार के प्रति नाराजगी देखी जा रही है. लोगों का कहना है कि यहां देश के कोने कोने से लोग आकर छठ करते हैं सरकार ने इसे सरकारी मेले का दर्जा तो दे दिया है, लेकिन सरकार ने यहां कोई भी बुनियादी सुविधाएं नहीं दी है न तो यहां स्थाई शौचालय का निर्माण कराया गया न ही पेयजल और सबसे बड़ी बात है कि न तो घाटों की मारमति और न ही तालाब की उड़ाही कराई  गई है. ऐसे परिवेश में घाट के चारों तरफ नाले के पानी से गंदगी का अंबार लगा है.

2 दिन पूर्व बिहार सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री  श्रवण  कुमार ने इस घाट का निरीक्षण कर यह स्वीकार किया कि यह मेला बहुत ही बड़ा है और इसमें लाखों श्रद्धालु आते हैं और उन्होंने कहा था कि यहां जो भी बुनियादी सुविधाएं हैं सभी मुहैय्या  कराई जाएगी, सरकारी मेला के दर्जा के सवाल पर अपना पल्ला झड़ते हुए मंत्री ने कहा की सरकारी मेला का दर्जा मिलना दूसरी बात है. सुविधाएँ मिलनी अलग बात है. यह मेला सरकार नहीं लगाती है. यह बहुत पहले से लगता आ रहा है. इसके बावजूद अब तक इस दिशा में किसी भी तरह का कार्य नहीं शुरू किया गया है. केवल खानापूरी  के नाम पर सफाई की शुरुआत की गई है. सीधे तौर पर कहा जाए तो केवल दिखावा बनकर रह गया बड़गॉंव का सरकारी मेला. सबसे बड़ी बात यह है की तालाब के सामने मैदान में श्रद्धालुओं के मनोरंजन के लिए खेल तमाशे लगाए जाते थे, उस पर भी प्रतिबंध लगा दिए गए हैं.

नालंदा से प्रणय राज कि रिपोर्ट

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