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खादी ग्रामोद्योग के बुनकरों के लिए वर्षों पूर्व बना भवन जर्जर स्थिति में, हालात बद से बदतर

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सिटी पोस्ट लाइव : सीएम नीतीश कुमार जहां एक ओर बड़ी से बड़ी योजनाओं को पूरा करने में जुटे हैं या वायदे कर हैं, लेक़िन उसकी ज़मीनी हक़ीक़त कुछ अलग ही नज़र आ रहा है. इसका जिम्मेदार कौन ज़िला प्रशासन या स्थानीय जनप्रतिधि. जिसका खामयाजा यहां के बुनकर भुगतने को मजबूर हैं. वहीं उनके ही अधिकारियों की लापरवाही के कारण कई योजनाओं पर काम पूरा होने के बाद भी उसे इस्तेमाल में नहीं लाया जाता है.

ऐसा ही नजारा सिलाव प्रखंड के नेपुरा गांव में 30 लाख की लागत से बना बुनकर भवन का है. 10 साल पूर्व इस भवन का निर्माण इसलिए कराया गया था, कि यहां बुनकर एक साथ बैठकर सरकार द्वारा दिए गए मशीन पर कपड़ा का निर्माण कर सके. लेकिन 10 साल से अधिक बीत जाने के बाद भी बुनकरों के लिए यह भवन सौंपा नहीं गया. जिसके कारण बुनकर अभी भी अपने छोटे-छोटे कमरों में जैसे तैसे कपड़ा का निर्माण कर रहा है.

बुनकरों का कहना है कि जब इसे हमलोगों के लिए बनाया गया था तो अब तक सौंपा क्यों नहीं गया. सरकार सिर्फ दिखावे के लिए बुनकरों के उत्थान की बात कहते हैं. अगर उत्थान किया जाता तो आज खादी की हालत ऐसी नहीं होती, बुनकरों के साथ सरकार अन्याय कर रही हैं. सिर्फ दिखावे को लेकर घोषणाएं की जाती है.

लेकिन उसे मूर्त रूप नहीं दिया जाता है. 10 साल बाद यह भवन धीरे-धीरे जर्जर होना शुरू हो गया है. कहीं फर्श टूट गया है तो कहीं दीवारों में दरार आनी शुरू हो गई है. वहीं, उधोग विभाग के अधिकारी की माने तो इस भवन का निर्माण बुनकरों को प्रशिक्षण देने के लिए बनाया गया था. यहां पर पूर्व से ही दो कर्मी की नियुक्त है. जल्द ही इसे बुनकर संघ के हवाले कर दिया जाएगा.

नालंदा से मो. महमूद आलम की रिपोर्ट

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