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“विशेष” : कांग्रेस ने अपने बंकर से दागा आखिरी “प्रियंका मिशाईल”

कांग्रेस को हो सकता है फायदा लेकिन देश हित में यह होगा फुस्स

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“विशेष” : कांग्रेस ने अपने बंकर से दागा आखिरी “प्रियंका मिशाईल”,कांग्रेस को हो सकता है फायदा लेकिन देश हित में यह होगा फुस्स

सिटी पोस्ट लाइव “विशेष” : यह सही है कि कांग्रेस अपने अवसान के दौर से गुजर रहा है लेकिन तीन राज्यों छत्तीसगढ़,मध्यप्रदेश और राजस्थान में मिली जीत कांग्रेस के लिए संजीवनी की तरह है. कांग्रेस इस जीत के दम से आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटी हुई है ।लेकिन देशभर के सर्वे में कांग्रेस कहीं से भी मजबूत नहीं दिख रही है ।ऐसे नाजुक समय में जब नरेंद्र मोदी का चेहरा देश की पहली पसंद है तो,जितने भी विरोधी खेमे और विपरीत धरा के नेता हैं वे सभी एक मंच पर आकर मोदी से टक्कर लेने की कोशिश कर रहे हैं ।इसी उतार-चढ़ाव और उहापोह से भरी राजनीतिक माहौल के बीच कांग्रेस ने अपने बंकर से प्रियंका रूपी आखिरी मिशाईल दागा है ।प्रियंका बाड्रा को राष्ट्रीय महासचिव और पूर्वी यूपी का चुनाव प्रभारी बनाया गया है.

राष्ट्र को प्रियंका वाड्रा(गांधी) के रूप में एक नेत्री मिली है जिसमें लोग इंदिरा गांधी की सूरत और छवि तलाशने लगे हैं ।हांलांकि यह बहुत देरी से लिया गया फैसला है लेकिन दम तोड़ती कांग्रेस को प्रियंका के बूते मजबूत ऊर्जा मिलने की अपार संभावनाएं हैं ।वैसे प्रियंका के दो बच्चों का भी इस देश को कृतज्ञ होना चाहिए,क्योंकि आने वाले कुछ वर्षों के बाद इन्ही में से कोई देश की सबसे पुरानी पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष होगा,कोई महासचिव और कोई प्रधानमंत्री पद का दावेदार ।बुजुर्ग कांग्रेसी भी इन्हीं को सर आंखों पर लेंगे और इनकी तीमारदारी सहित जी हजूरी करेंगे ।कयास तो यह भी लगाया जा रहा है कि इनका भी गोत्र दत्रात्रेय होगा और ये दोनों भी कौल ब्राह्मण ही होंगे ।इस बात की प्रबल संभावना है कि फिरोज गांधी की तरह ही रॉबर्ट वाड्रा का नाम भी रॉबर्ट गांधी हो जाये और वह भी फिरोज की तरह कांग्रेस के इतिहास में दफन कर दिए जाएं ।वैसे भी कांग्रेस की वर्तमान राजमाता अधिक उम्र और अस्वस्थता के कारण उतना सक्रिय नहीं रह पाती हैं और ऐसे में रायबरेली की सीट किसी गैर राजवंशी या किसी कटप्पा को देना,उनकी वंशीय परम्परा के खिलाफ होता ।प्रियंका का आना एक स्वाभाविक कांग्रेसी परंपरा का हिस्सा भर है ।खैर जो भी हो, लेकिन अभी इतना तो तय है कि कांग्रेस ने आगामी 2019 चुनाव के लिए अपने तरकश का सबसे मारक हथियार को निकाल कर जनता-जनार्दन और विरोधियों पर तान तो जरूर दिया है.

प्रियंका वाड्रा के कांग्रेस की सक्रिय राजनीति में आने को कुछ लोग इतने अतिरेक और करिश्माई नजरिए से देख रहे हैं, जैसे अब कायाकल्प हो जाएगा ।यह वक्ती तौर पर कांग्रेस की जायज जरूरत थी ।इसे सामान्य और व्यवहारिक तौर पर लिया जाना चाहिए ।जाहिर तौर पर गांधी-नेहरु परिवार का एक ऐसा सदस्य मैदान में उतर रहा है जिसमें अपार संभावनाएं हैं ।प्रियंका एक नारी हैं जिनका जनता के बीच आकर्षण है और जिसके जरिए कांग्रेस को फायदा होने की उम्मीद है ।मौजूदा माहौल में प्रियंका गांधी हर लिहाज से विरोधियों के लिेये एक मजबूत चुनौती साबित होंगी ।गौरतलब है कि आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर, प्रियंका गांधी कई तरह की राजनीतिक उठा-पटक का कारण बन सकती हैं. अभी तक प्रियंका कांग्रेस की रणनीति और प्रचार का काम संभाल रही थीं ।खासकर रायबरेली और अमेठी में उनकी धमक थी ।लेकिन अब ये माना जा रहा है कि उनके मैदान में उतरने से कांग्रेस की सुस्त और रणछोड़ फौज में मजबूती आएगी ।प्रियंका वाड्रा को पूर्वी उत्तर प्रदेश की कमान मिली है,जहां लोकसभा की 26 सीटें हैं ।पिछले लोकसभा चुनाव में,आजमगढ में मुलायम सिंह की सीट को छोड़कर बांकि सारी सीटें बीजेपी ने उड़ा ली थीं ।वैसे इसबार की फजां कुछ बदली-बदली सी है । एसपी-बीएसपी का गठजोड़ इस इलाके में सभी की चूलें हिलाकर रखेगा ।सनद रहे कि यहाँ दोनों दलों के परंपरागत वोट बड़ी संख्यां में रहे हैं ।अब गठबंधन के चलते बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए बेहद बड़ी चुनौती है ।ऐसे में प्रियंका वाड्रा के आने से कांग्रेस को क्या और कितने फायदे होंगे ?अमेठी और रायबरेली को छोड़कर कांग्रेस आगामी लोकसभा चुनाव में और कितनी सीटें निकल पाएंगी ?सारे सवाल कांग्रेस के प्रदर्शन पर सिमट कर रह गए हैं.

पूर्वी यूपी में 2009 में कांग्रेस का हालिया दस वर्षों में सबसे अच्छा प्रदर्शन रहा है ।कांग्रेस पार्टी ने तब 21 सीटें जीती थीं और इनमें से 15 पूर्वी यूपी से थीं. बड़ा सवाल यह है कि कांग्रेस ने किसी वजह से अपना वोट बैंक गंवाया है. अब खंगालना यह है कि वो वजहें क्या रही हैं ?यह बेहद पेचीदा मसला है कि कांग्रेस इसे ही बारी-बारी से समझ ले ।अगर कांग्रेस प्रिंयंका वाड्रा के जरिए उनको ही संभाल ले तो बात काफी हद तक बन सकती है ।यूपी में 25 से 28 फीसदी हिस्सा अगड़ी जातियों का है और इसमें सबसे अधिक आबादी ब्राह्मण की है ।ब्राह्मण की आबादी 12 से 14 फीसदी है । बनारस,भदोही,गोरखपुर, सुल्तानपुर,कुशीनगर,संत कबीरनगर जैसे जिलों में ब्राह्मणों का काफी असर है ।दीगर बात यह है कि पिछले कुछ समय से ये वोट बैंक कांग्रेस के हाथ से निकला हुआ है ।यही नहीं प्रतापगढ़,ईलाहाबाद,मिर्जापुर, गोंडा,महाराजगंज,बहराईच,बाराबंकी जैसे जिले कांग्रेस के गढ़ रहे हैं और बिना कोई शक-शुब्बा के यहाँ कांग्रेस के परंपरागत वोट बैंक हैं ।सवाल ये है कि प्रियंका के बूते क्या इस जनाधार को वापस हासिल किया जा सकता है ?गौरतलब है कि पूर्वी यूपी में ओमप्रकाश राजभर के दल का भी खासा असर है और यह सभी को पता है कि अभी राजभर बीजेपी से खफा भी चल रहे हैं ।बलिया,गाजीपुर,मऊ,देवरिया जैसे जिलों में राजभर वोट असरदार हैं ।ओमप्रकाश राजभर के साथ तालमेल कर कांग्रेस इस इलाके में अपनी स्थिति को निसन्देह बेहतर कर सकती है ।पूर्वी यूपी में एसपी-बीएसपी सांगठनिक रुप से मजबूत हैं ।बीजेपी का ढांचा भी कमोबेश ठीक-ठाक है ।लेकिन यहां कांग्रेस लुंज-पुंज और लस्त-पस्त है ।अगर नेताओं और कार्यकर्ताओं में जोश पैदा किया जाए और कुछ नया खून भरा जाए तो थोड़ी हलचल इस इलाके में जरूर नजर आ सकती है. प्रियंका वाड्रा आजतक कांग्रेसी राजनीति में पर्दे के पीछे रही हैं. लेकिन प्रियंका वाड्रा अब मंच पर होंगी ।पार्टी नेताओं-कार्यकर्ताओं के बीच वह लगातार होंगी ।आगे भाषणों में और प्रेस के सामने वह अपने फैसलों के साथ होंगी । लिहाजा पूर्वी यूपी में कांग्रेस की स्थिति बेहतर होगी,इससे आप इंकार नहीं कर सकते हैं ।इसी इलाके में प्रधानमंत्री मोदी और यूपी के सीएम योगी के क्षेत्र भी हैं ।प्रियंका वाड्रा अब इन नेताओं से सीधे मोर्चा लेंगी,जिसका खासा असर आम लोगों पर पड़ेगा ।यहां प्रियंका वाड्रा के ग्लैमर का असर और उनको पसंद करनेवालों की तायदाद के चलते भी काफी फर्क पड़ेगा ।वह पहली बार अमेठी और रायबरेली से बाहर लोगों के बीच खुलकर दिखेंगी,जो वहां के वोटर के लिये एक नया अनुभव होगा. जाहिर तौर पर यह साफ है कि फर्क तो पड़ेगा ही.

कुल मिलाकर प्रियंका वाड्रा को इस वक्त मैदान में लाना और लगे हाथ पूर्वी यूपी की कमान भी सौंपना, राजमाता सोनिया गांधी और राहुल गांधी का सही,सटीक और समीचीन फैसला है ।वैसे प्रियंका की पूर्व में ही,यानि युवावस्था में कांग्रेस में धारदार एंट्री,कांग्रेस के लिए तुरुप का पत्ता साबित होता ।वैसे हमने तह में उतरकर आकलन किया है ।हम इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि प्रियंका वाड्रा की यह आमने-सामने की राजनीतिक एंट्री गांधी-नेहरू परिवार के राजवंशी परिवार की एक मजबूत कड़ी साबित होगी ।कांग्रेस में इस परिवार के वर्चस्व को लंबे समय तक काबिज रखने में यह एंट्री निसन्देह अग्निवाण है ।प्रियंका के दम से कांग्रेस के दिन बहुरने का कयास लगाना भी लाजिमी है ।प्रियंका कांग्रेस को मजबूत करने आई हैं ।उनका देश हित से कोई सरोकार नहीं है ।प्रियंका का ग्लैमर कांग्रेस के लिए संजीवनी साबित होगी ।प्रियंका अपने पति रॉबर्ट वाड्रा के साथ–साथ पूरे परिवार और कांग्रेस का कवच बनने जा रही हैं ।अगर प्रियंका की कांग्रेस में एंट्री 15 साल पहले होती,तो देश का मंजर कुछ और होता और कांग्रेस की इतनी फजीहत नहीं होती ।आखिर में हम यह ताल ठोंककर कहते हैं कि प्रियंका वाड्रा कांग्रेस के लिए जीवनदायनी साबित हो सकती है लेकिन देश हित में वह फुस्स ही रहेगी.

पीटीएन न्यूज मीडिया ग्रुप के सीनियर एडिटर मुकेश कुमार सिंह की “विशेष” रिपोर्ट

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