बिहार में सीट शेयरिंग मामला : एनडीए और महागठबंधन दोनों के लिए है सर फुटौव्वल
सिटी पोस्ट लाइव “विशेष” : 2019 लोकसभा चुनाव के लिए एक तरफ अभी जहां उपेंद्र कुशवाहा एनडीए के लिए सरदर्द बने हुए हैं,वहीं अगर वे महागठबंधन में गए,तो वहां भी उनकी शर्तें खलबली मचाएगी. एनडीए में कई शीर्ष नेता सीट शेयरिंग मामले में काबिल और सक्षम हैं. लेकिन महागठबंधन में कांग्रेस की सोनिया-राहुल एंड कम्पनी,राजद के लालू और तेजस्वी,लोजद के शरद यादव,हम के जीतन राम मांझी और वामपंथी नेताओं की लंबी फेहरिस्त सीट शेयरिंग के समय तरह-तरह का उत्पात मचाएंगे.
कभी एनडीए में शामिल लोजपा सुप्रीमों रामविलास पासवान अपने बिगड़े बोल की वजह से भारतीय राजनीति में सामाजिक उफान लाने में मशहूर थे. मौसम वैज्ञानिक के रूप में अब वे एक शीर्षस्थ नेता के रूप में काबिज हैं. अब उनकी जुबान फिसलने की जगह सधी रहती है. इसका सारा श्रेय उनके बेटे चिराग पासवान को जाता है. कम उम्र में ही चिराग बेहतर राजनीतिक समझ रखते हैं और पिता सहित पार्टी पर उन्होंने एक तरह से लगाम रखा है ।हालिया दिनों में उपेंद्र कुशवाहा की राजनीतिक महत्वाकांक्षा ने कुशवाहा को बैकफुट पर ला दिया है. जिसतरह नीतीश कुमार ने एक झटके में जीतन राम मांझी को हासिये से उठाकर मुख्यमंत्री बनाकर उनकी राजनीतिक हैसियत को देश स्तर का बना डाला,ठीक उसी तर्ज पर उपेंद्र कुशवाहा को कुछ राजनेता सीएम मेटेरियल बताकर,उन्हें राजनीति में उभयनिष्ठ बनाने पर तुले हैं.
शरद यादव वर्तमान परिपेक्ष में देश के सबसे अधिक पुराने सांसद हैं ।लेकिन उनकी जुबान भी अक्सर फिसलती रहती है ।दशकों पहले उनके एक बयान की “वे घूंघट वाली और हाथों में हरी-हरी चूड़ियाँ पहनने वाली महिलाओं को खेतों में काम करते देखना चाहते हैं”,आज भी राजनीतिक समीक्षकों को उनकी मानसिकता दर्शाने के काम आता है ।बेशक शरद यादव समाजवाद की धरा से आये हैं लेकिन जातिगत अवधारणा के लिहाफ से वे कभी भी नहीं निकल सके ।सीट शेयरिंग के समय शरद यादव का भी असली चेहरा सामने आएगा ।वैसे ये सभी नेता सिर्फ बिहार की राजनीति में ही ज्यादा दखलंदाजी कर सकते हैं ।बांकि प्रदेशों में कांग्रेस पार्टी इनकी एक नहीं सुनने वाली है ।उपेंद्र कुशवाहा शरद यादव और तेजस्वी यादव से मिल चुके हैं.
इसी बीच राजनीतिक गलियारे से एक खबर आ रही है कि वामदल कन्हैया कुमार को बिहार के बेगूसराय से अपना प्रत्यासी बनाना चाहते हैं लेकिन राजद वहां अलग से अपनी दावेदारी ठोंक रहा है ।वैसे में अभी काफी किचिकिच और झिकझिक के आसार हैं ।शरद यादव का राजस्थान की निवर्तमान मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया पर दिया गया यह बयान की वह बहुत अधिक मोटी हो गयी हैं,उन्हें आराम की जरूरत है से अलग नया विवाद खड़ा हो गया है ।बिहार में सीट शेयरिंग का मसला एनडीए से ज्यादा महागठबंधन के मुश्किल भरा होगा ।बिहार में दो सूरमा पप्पू यादव और मुकेश सहनी अलग से ताल ठोंक रहे हैं ।अब इनदोनों को रिझाने और मनाने में किधर से बोली लगती है,इसपर संसय बरकरार है ।इतना तो तय है कि 2019 का लोकसभा चुनाव बिहार में बेहद दिलचस्प और उठा-पटक भरा होगा ।अभी कई तरह के कयासों का महज दौर जारी है ।आखिर में ऊंट किस करवट बैठता है और सीट शेयरिंग का मसला कैसे हल होता है,यह आगे ही देखा जा सकेगा ।आखिर में हम इतना जरूर कहेंगे कि अपने फायदे के लिए कोई भी पार्टी और कोई भी बड़े से बड़े नेता किसी हद तक गिर सकते हैं.
पीटीएन न्यूज मीडिया ग्रुप के सीनियर एडिटर मुकेश कुमार सिंह की “विशेष”रिपोर्ट
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