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पुष्पम प्रिया चौधरी का वोट मांगने का नया अंदाज, बांकीपुर के नौजवानों से की ये अपील

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सिटी पोस्ट लाइव : खुद को बिहार का सीएम उम्मीदवार घोषित करके सभी को चौंकाने वाली पुष्पम प्रिया दस साल में बिहार को बदलने की बात कहती हैं। उनका कहना है कि बिहार को यहां मौजूद सभी राजनेताओं से छुटकारा चाहिए।पुष्पम प्रिया कहती है कि जो असली बिहारी हैं, वे बिहार को चलाएं। यहां कभी भी, कोई भी, किसी के साथ हो लेता है। सब एक ही हैं, सभी को पता है कि अगर एक शिक्षित मुख्यमंत्री बन गया तो ये फिर कभी वापस नहीं आ पाएंगे।कुछ इस अंदाज में बिहार की राजनीति करने वाली प्यूरल्स अध्यक्ष का वोट मांगने का नया अंदाज सामने आया है।

पुष्पम प्रिया चौधरी ने एक अपनी साइकिल चलाती एक तस्वीर शेयर करते हुए ट्वीट कर लिखा है कि नौजवानों को बांकीपुर और पटना में पॉल्यूशन फ़्री सड़कें, रेंटल साइकिल और अलग साइकल ट्रेक कौन देगा? मैं? नहीं, आपका वोट! इस बार रिकॉर्ड तोड़ वोटिंग कीजिये, इतना कि ईवीएम भी गदगद हो जाए और नक़ली नेताओं की गिल्ली सहित विकेट उड़ जाए! #ChooseProgress

पुष्पम प्रिया चौधरी इन दिनों अपने पार्टी के उम्मीदवारों के लिए ताबड़तोड़ प्रचार कर रही हैं। वे खुद भी पटना के बांकीपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रही हैं। शिवहर और बेलसंड की तस्वीरों को ट्वीट करते हुए उन्होंने लिखा है कि जब शिवहर प्लुरल्समय हो गया, हमारे शानदार प्रत्याशी रंजीव झा जी के शानदार रोड शो में। लोगों के चेहरे पर की ख़ुशी अद्भुत थी।वही बेलसंड प्रत्याशी के लिए उन्होंने लिखा कि बेलसंड से हमारे अद्भुत प्रत्याशी हैं ‘राइडर’ राकेश कुमार सिंह! ग्रासरूट लीडरशिप और देशभक्ति क्या होती है, यह कोई उनमें देखे। समाजसेवी राकेश राइडर मुद्दे आधारित संघर्षों के लिये जाने जाते हैं।

पुष्पम प्रिया चौधरी बदहाली के लिए यहां की राजनीति को जिम्मेदार मानते हुए पुष्पम कहती हैं, यहां कोई भी काम नहीं हुआ है, हर तरफ दिक्कतें हैं। संस्थागत ढांचा बहुत कमजोर है। वे कहती हैं मैं विदेश में रही हूं, वहां का लोकतंत्र देखा है, ऐसे नहीं चलता, जैसे यहां। यहां लोगों का महत्व नहीं है। सरकारी तंत्र ऐसे पेश आता है, जैसे वह हमारे लिए नहीं, हम उनके लिए काम करते हैं। यह तभी सुधरेगा जब सत्ता में बैठे मठाधीश हटेंगे।

लंदन से पढ़कर सीधे बिहार को बदलने के लिए मैदान में उतरीं पुष्पम अपनी प्लुरल्स पार्टी को बिहार का भविष्य मानती हैं। वह अपने साथ युवाओं और पढ़े-लिख वर्ग को जोड़ रही हैं। उनकी पार्टी से ऐसे ज्यादा जुड़ रहे हैं जिनका कोई राजनीतिक बैकग्राउंड नहीं है। पुष्पम प्रिया के परिवार का जदयू से जुड़ाव रहा है, लेकिन अलग पार्टी बनाकर राजनीति में कूदने पर कहती हैं, हमें यहां राजनीति के लिए नहीं आना था।

बिहार में रोजगार, शिक्षा और विकास के मुद्दे हावी होने पर पुष्पम प्रिया कहती हैं, रोजगार की बात हमने करनी शुरू की, जात-पात की बात नहीं हो, यह भी हमने कहना शुरू किया था। सभी पार्टियां हमें ही कापी करने लगीं, अगर हमें ही कॉपी करना है तो हमें ही सरकार चलाने दीजिए। लोगों की समस्याओं को मैं उन्हें नहीं भूलने दूंगी। लोग जागरूक हैं और इन्हीं सारे मुद्दों पर वोट करेंगे। भारत की मौजूदा राजनीति में बदलाव की बात करते हुए पुष्पम प्रिया पार्टी पर हमलावर रही हैं। वह कहती हैं, राजनीतिक दलों ने 30 साल में बहुत पैसा और पावर इकट्ठा कर लिया। ये जो बड़े-बड़े होर्डिंग्स लगते हैं वो आखिर कहां से लगते हैं, ये पैसे कहां से आते हैं, इन्हीं पैसों के बल पे वे चुनाव लड़ते हैं, और जीतते हैं।

 

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