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आज कर्नाटक सरकार के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में अंतिम सुनवाई , जानिये -क्या हो सकता है फैसला

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श्रीकांत प्रत्यूष :कर्नाटक में जो राजनीतिक नाटक चल रहा है उसका साफ़ असर बिहार की राजनीति पर दिख रहा है.गुरुवार को कांग्रेस के नेताओं ने पटना में प्रदर्शन किया वहीँ आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कर्नाटक की तर्ज पर बिहार में अपनी पार्टी को सरकार बनाने का मौका देने की मांग राष्ट्रपति से कर दी है.तेजस्वी शुक्रवार को जब बिहार के राज्यपाल को यह समझा रहे होंगें कि जिस तरह सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते कर्नाटक  के राज्यपाल ने बीजेपी को सरकार  बनाने का मौका दिया उसी तरह से बिहार में सबसे ज्यादा विधयाकों की पार्टी का नेता होने के कारण उन्हें सरकार बनाने का मौका मिलना चाहिए .

सुप्रीम कोर्ट में कर्नाटक के राज्यपाल का फैसला पहुँच चूका है.गुरुवार की रात भर सुनवाई हुई लेकिन कोई फैसला नहीं आया .आज शुक्रवार को यदुरप्पा का सरकार बनाने सम्बन्धी दावे और राज्यपाल के आदेश वाला पत्र देखेगा फिर बहस होगी .यानी जिस समय तेजस्वी बिहार के राज्यपाल के साथ बहस कर रहे होंगें उसी समय कर्णाटक मामले पर सुप्रीम कोर्ट में भी बहस हो रही होगी .कर्नाटक का मामला  सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा है तो स्वाभाविकरूप से मुझे याद झारखण्ड की आ रही है.ऐसा ही झारखण्ड में 2005 में हुआ था.शिबू सोरेन को वहां भी सरकार बनाने और 5 दिनों में बहुमत करने का आदेश राज्यपाल ने देकर हॉर्स-ट्रेडिंग का रास्ता साफ़ कर दिया था.तब सुप्रीम कोर्ट ने अर्जुन मुंडा के पास बहुमत है या शिबू सोरेन के पास जानने के लिए सदन के भीतर कंपोज़िट परीक्षण कराने का आदेश दे दिया था .कोर्ट ने कहा था कि अगर याचिकाकर्ता का दावा सही है तब राज्यपाल द्वारा शिबू सोरेने को मुख्यमंत्री बनाना एक फ्रॉड है .आगे ऐसा फ्रॉड संविधान के साथ ना हो राज्यपाल सिब्ते रज़ी द्वारा  बहुमत साबित करने के लिए शिबू सोरेन को दिए गए पांच दिन के समय को घटा कर 2 दिन कर दिया था. एक दिन विधायकों की शपथ विधि हो और उसके अगले दिन बहुमत परीक्षण.सुप्रीम कोर्ट ने  सदन की कार्यवाही में  किसी तरह की गड़बड़ी या हंगामा ना हो भरपूर सुरक्षा व्यवस्था और कैमरे की निगरानी में सदन की कार्यवाही सुनिश्चित करने का निर्देश  जिला प्रशासन को दिया था .कोर्ट ने कार्यवाही का क्या नतीजा निकला, उसका वीडियो रिकॉर्डिंग सबकुछ कोर्ट में जमा करने को कहा था.

सबसे ख़ास बात-उस समय जो अर्जुन मुंडा और शिबू सोरेन के वकील थे वहीं  वकील इसबार कर्नाटक में भी हैं.लेकिन अंतर बस इतना है कि उस समय अर्जुन मुंडा की वकालत कर रहे वकील मुकुल रोहतगी इसबार कर्नाटक मामले में कांग्रेस की वकालत कर रहे हैं.झारखण्ड के मामले में उन्होंने राज्यपाल सिब्ते रज़ी पर मुख्यमंत्री शिबू सोरेन को बहुमत साबित करने के लिए काफी लंबा समय देकर ख़रीद फरोख़्त को बढ़ावा देने का आरोप लगाया था .उन्होंने सुप्रीम supreme courtकोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि राज्यपाल ने सबसे बड़ी पार्टी या चुनाव पूर्व गठबंधन को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित कर संवैधानिक मर्यादाओं की हत्या की है. जबकि एनडीए यानी अर्जुन मुंडा के पास 36 सीट है. बहुमत है. कांग्रेस जेएमएम के पास 26 सीट है..

जाहिर है अब आप समझ गए होंगें कि शुक्रवार को इसी तरह के कर्नाटक के राज्यपाल के फैसले पर जब सुनवाई होगी तो सुप्रीम कोर्ट का फिसला किस तरह का हो सकता है.पर सुप्रीम कोर्ट का क्या आदेश हो सकता है. मामला बिलकुल झारखण्ड जैसा ही है इसलिए उम्म्मीद भी वैसा ही फैसला आने की है.सुप्रीम कोर्ट बहुमत साबित करने के लिए बीजेपी की सरकार को राज्यपाल द्वारा दिए गए 15 दिन के समय को घटाकर 36 घंटे कर सकती है. हॉर्स ट्रेडिंग ना हो इस बात को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट विधायकों की शपथ की प्रक्रिया के तुरत बाद कंपोज़िट बहुमत परीक्षण का आदेश दे सकता है .

  • श्रीकांतप्रत्यूष 

 

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