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महिलाओं को चुनावी समर में उतारने से कतराते रहे हैं कुछ दलों के नेता

इसबार भाजपा-7, झामुमो-5, कांग्रेस-5, आजसू-6, झाविमो-9, जदयू-3 महिला उम्मीदवार

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महिलाओं को चुनावी समर में उतारने से कतराते रहे हैं कुछ दलों के नेता

सिटी पोस्ट लाइव, पाकुड़: झारखंड विधानसभा चुनाव में हर दल के नेता महिला अधिकारों की जोरदार वकालत कर रहे हैं, लेकिन कुछ दलों को छोड़कर महिलाओं को चुनावी समर में उतारने से कतराते रहे हैं। हालांकि इसबार राजद को छोड़कर सभी प्रमुख दलों ने आधी आबादी पर भरोसा जताया है।

सत्ताधारी दल भाजपा ने सात महिलाओं को टिकट दिया गया है। इनमें तीन विधायक फिर से चुनाव लड़ रही हैं। इनमें मंत्री डॉ. लुइस मरांडी,  मंत्री डॉ. नीरा यादव व मेनका सरदार शामिल हैं। वहीं झारिया से संजीव सिंह की पत्नी रागिनी सिंह को चुनाव मैदान में उतारा गया है। छत्तरपुर से पुष्पा देवी, निरसा से अर्पणा सेनगुप्ता और तमाड़ से रीता देवी मुंडा पर भरोसा जताया है। झारखंड मुक्ति मोर्चा ने पांच महिलाओं को टिकट दिया है। इनमें तीन महिला विधायक फिर से चुनाव मैदान में हैं। इनमें मनोहरपुर से जोबा मांझी, गोमिया से बबिता महतो, सिल्ली से सीमा महतो, ईचागढ़ से सबिता महतो और रांची से महुआ माजी शामिल हैं। वहीं कांग्रेस ने पांच महिलाओं को चुनाव मैदान में उतारा है। महगामा से दीपिका पाण्डेय सिंह, बड़कागांव से अंबिका प्रसाद साहू, जमुआ से डॉ. मंजू कुमारी, झरिया से पूर्णिमा नीरज सिंह और रामगढ़ से ममता देवी पर भरोसा किया है। आजसू ने छह महिलाओं पर दांव चला है। मांडर से हेमलता उरांव, पोटका से बुलू रानी सिंह, रामगढ़ से सुनीता चौधरी, लोहरदगा से नीरू शांति भगत, रांची से वर्षा गाड़ी और कोडरमा से शालिनी गुप्ता को मैदान में उतारा है। झाविमो ने नौ महिलाओं पर भरोसा जताया है, जिसमें खूंटी से दयामनी बारला, घाटशिला से डॉ. सुनीता, चाईबासा से चांदमुनी बलमुचू, मनोहरपुर से सुशीला टोप्पो, हटिया से शोभा यादव, बगोदर से रजनी कौर, दुमका से अंजुला मुर्मू, गोड्डा से फुल कुमारी और विश्रामपुर से अंजु सिंह चुनाव लड़ रही हैं। जदयू ने तीन महिलाओं को टिकट दिया है। इसमें छत्तरपुर से पूर्व मंत्री सुधा चौधरी, बिशुनपुर से कृपालता सिंह और भवनाथपुर से शकुंतला जायसवाल शामिल हैं। रांची जिले की पांच विधानसभा सीट से कुल  62 पुरुष उम्मीदार चुनाव मैदान में है। इनके खिलाफ 13 महिलाएं चुनाव लड़ रही हैं। इनमें गृहिणी से लेकर पीएचडीधारक तक हैं। दो महिला उम्मीदवार निर्दलीय चुनाव लड़ रही हैं। इनमें एक नाम हटिया सीट से चुनाव लड़ रही वासवी किडो हैं तो दूसरा नाम खिजरी से सरिता तिर्की का है।

झारखंड में अबतक 20 महिलाएं बनीं विधायक

बिहार में साल 2000 में हुए विधानसभा चुनाव के कुछ महीने बाद झारखंड नया राज्य बना था। 2005, 2009, 2014 में यहां हुए विधानसभा चुनावों में 18 महिलाओं को विधानसभा जाने का मौका मिला। इनमें से कुछ अपने पिता या पति की विरासत संभाल रही हैं तो कई संघर्ष के रास्ते विधानसभा तक पहुंची हैं। इनमें से छह महिला विधायक ही मंत्री बन सकीं। इनमें अन्नपूर्णा देवी, गीताश्री उरांव, जोबा मांझी, डॉ नीरा यादव, लुइस मरांडी और विमला प्रधान शामिल हैं। भाजपा ने मेनका सरदार को 2000 के बिहार विधानसभा चुनाव में पोटका सीट से टिकट दिया। इसमें वह जीत गईं। 2004 में वह मामूली मतों से हार गईं। फिर 2009 और 2014 में लगातार जीतीं। इसबार भी भाजपा ने उनपर भरोसा किया है। जोबा मांझी दो बार झारखंड सरकार में 2000 से 2003 तक बाबूलाल मरांडी और 2003 से 2005 तक अर्जुन मुंडा की सरकार में मंत्री रही थीं। जोबा अभी मनेाहरपुर की विधायक हैं। उनके पति देवेंद्र मांझी भी मनोहरपुर से विधायक रहे थे। उनकी हत्या के बाद जोबा विरासत संभाल रही हैं। मांडर सीट से विधायक गंगोत्री कुजूर ने 1990 के दौरान भाजपा से राजनीति शुरू की थी। वह महानगर अध्यक्ष, प्रदेश महिला मोर्चा में उपाध्यक्ष, 2006 में राज्य सूचना आयोग, झारखंड में सूचना आयुक्त बनीं। 2014 में मांडर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ीं और विधायक बनीं।

सिमडेगा की भाजपा विमला प्रधान 2009 में अर्जुन मुंडा की सरकार में समाज कल्याण मंत्री रहीं। उन्हें 2017 में उत्कृष्ट विधायक का सम्मान दिया गया था। 2004 में भाजपा प्रदेश मंत्री और 2007 में भाजपा की महिला मोर्चा की प्रदेश महामंत्री बनीं। 2009 में सिमडेगा सीट से विधानसभा चुनाव जीतीं और समाज कल्याण व पर्यटन मंत्री बनीं। 2010 में जिला परिषद् की उपाध्यक्ष बनीं नीरा यादव, 2014 विधानसभा चुनाव में पहली बार भाजपा के टिकट से विधानसभा पहुंचीं और राज्य की शिक्षा मंत्री बनीं। इसबार फिर से मैदान में डटी हैं। लुईस मरांडी मंत्री बनने से पहले भाजपा के महिला मोर्चा की अध्यक्ष रह चुकी हैं। इसके अलावा वे झारखंड महिला आयोग की सदस्य रह चुकी हैं। 2014 में तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को हराकर दुमका में 37 साल बाद गैर-झामुमो पार्टी का झंडा लहराया।

सीता सोरेन झामुमो के केंद्रीय अध्यक्ष शिबू सोरेन की बहू हैं। उनकी शादी शिबू सोरेन के बड़े बेटे दुर्गा सोरेन से हुई थी। पति की मौत के बाद उन्हें जामा से विधायक चुना गया था। निर्मला देवी कांग्रेस नेता योगेंद्र साव की पत्नी हैं। 2009 में चुनाव जीतकर योगेंद्र हेमंत सोरेन की सरकार में मंत्री बने थे। उनपर नक्सली संगठन चलाने का आरोप लगा, जिसके बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। 2014 में उनकी पत्नी निर्मला देवी कांग्रेस के टिकट पर बड़कागांव से चुनाव जीतकर विधायक बनीं। सीमा महतो, सिल्ली विधानसभा सीट से 2014 में चुनाव जीते अमित महतो की पत्नी हैं। अमित पर मारपीट का आरोप साबित हुआ था, जिसके बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था। सिल्ली में हुए उपचुनाव में सीमा महतो ने जीत दर्ज की थी। कोयला चोरी मामले में गोमिया से झामुमो विधायक योगेंद्र महतो को 2018 फरवरी में कोर्ट ने पांच साल की सजा सुनाई। इसके बाद गोमिया सीट पर हुए उपचुनाव में उनकी पत्नी बबीता देवी ने जीत दर्ज की। अपर्णा सेन गुप्ता 2005 में निरसा से विधायक बनी थीं। उनके पति सुशांतो सेनगुप्ता फॉरवर्ड ब्लॉक के बड़े नेता थे। इसबार भाजपा ने उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया है।

कुंती देवी के पति सूर्यदेव सिंह झरिया से तीन बार विधायक रहे। उनके बाद कुंती देवी के देवर बच्चा सिंह एक बार विधायक रहे। कुंती सिंह दो बार यहां की विधायक रहीं। अब उनके बेटे संजीव यहां के विधायक हैं। इस बार संजीव सिंह की पत्नी रागिनी सिंह को भाजपा ने टिकट दिया है। संजीव अपने चचेरे भाई नीरज सिंह की हत्या के मामले में जेल में बंद हैं।

झारखण्ड के सिसई विधानसभा की पूर्व विधायक व मंत्री गीताश्री के पिता स्व. कार्तिक उरांव लोहरदगा के सांसद थे, जबकि मां सुमति उरांव भी सांसद और केंद्र सरकार में 1990 के दौरान वन एवं पर्यावरण मंत्री रह चुकी हैं। गीताश्री का विवाह डॉ. अरुण उरांव से हुआ जो भारतीय पुलिस सेवा में थे। अब वीआरएस लेने के बाद जिंदल पॉवर में महत्वपूर्ण पद पर हैं। गीता 2009 में सिसई सीट से कांग्रेस के टिकट पर जीतीं। हेमंत सोरन की सरकार में शिक्षा मंत्री भी रहीं। सुधा चौधरी पहली बार 2009 में जनता दल यूनाइटेड के टिकट से विधायक बनीं। इस बार भी जेडीयू के टिकट पर छतरपुर से उम्मीदवार हैं। अन्नपूर्णा के पति स्वर्गीय रमेश प्रसाद यादव 1998 में बिहार की राबड़ी देवी की सरकार में मंत्री रह चुके हैं। पति के निधन के बाद अन्नपूर्णा देवी राजनीति में आईं। 1998 के उपचुनाव, 2000 के विधानसभा चुनाव में तत्कालीन बिहार और झारखंड बनने के बाद 2005 और 2009 में वह विधानसभा पहुंचीं। 2013 में बनी हेमंत सोरेन की सरकार में मंत्री बनीं। 2014 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।

2009 में पहली बार विधायक बनीं गीता कोड़ा झारखंड के पूर्व सीएम मधु कोड़ा की पत्नी हैं। वे उस वक्त 25 वर्ष की थीं। झारखंड की सबसे कम उम्र की विधायक बनने का रिकॉर्ड गीता के नाम है। 2018 में गीता कोड़ा कांग्रेस में शामिल हुईं थीं। मधु कोड़ा से शादी के बाद काफी समय तक वह गृहणी ही रहीं। 2009 में जब मधु कोड़ा को भ्रष्टाचार के मामले में जेल जाना पड़ा तब गीता कोड़ा ने राजनीति में कदम रखा।

2005 में तीन महिला विधायक पहुंची विधानसभा

2005 में हुए विधानसभा चुनाव में मात्र तीन महिलाएं ही विधानसभा पहुंचीं थीं। इनमें लिट्टीपाड़ा से सुशीला हांसदा, कोडरमा से अन्नपूर्णा देवी व निरसा से अर्पणा सेनगुप्ता शामिल थीं। 2005 के चुनाव में 94 महिलाएं चुनावी मैदान में थीं। इसमें से 85 महिलाओं की जमानत जब्त हो गई थी।

2009 में आठ जीतीं महिलाएं

2009 के विधानसभा चुनाव में आठ महिला उम्मीदवार विधानसभा पहुंची थीं। इसमें कोडरमा से अन्नपूर्णा देवी, जामा से सीता सोरेन, झरिया से कुंती देवी, पोटका से मेनका सरदार, जगन्नाथपुर से गीता कोड़ा, सिसई से गीताश्री उरांव, सिमडेगा से विमला प्रधान और छतरपुर से सुधा चौधरी शामिल थीं।

2014 में नौ महिला जीतीं

2014 के विधानसभा चुनाव में कुल 109 महिला उम्मीदवारों में से सिर्फ नौ को जीत हासिल हुई थी। इन महिला उम्मीदवारों में लुईस मरांडी, गंगोत्री कुजूर, निर्मला देवी, नीरा यादव, सीता सोरेन, विमला प्रधान, गीता कोड़ा (अब सांसद), मेनका सरदार, जोबा मांझी शामिल हैं। इन महिला विधायकों में लुईस मरांडी, गंगोत्री कुजूर, निर्मला देवी, नीरा यादव और उपचुनाव में विजयी सीमा और बबीता देवी पहली बार विधानसभा पहुंचीं हैं। 2014 चुनाव में पोटका से भाजपा उम्मीदवार मेनका सरदार, जगन्नाथपुर से जय भारत समानता पार्टी की उम्मीदवार गीता कोड़ा, मनोहरपुर से झामुमो उम्मीदवार जोबा मांझी, मांडर से भाजपा उम्मीदवार गंगोत्री कुजूर, सिमडेगा की भाजपा उम्मीदवार विमला प्रधान, कोडरमा से भाजपा उम्मीदवार नीरा यादव, दुमका से भाजपा उम्मीदवार लुइस मरांडी, जामा से झामुमो उम्मीदवार सीता सोरेन तथा बड़कागांव में कांग्रेस उम्मीदवार निर्मला देवी ने जीत हासिल की थी। इनमें से गीता कोड़ा और अन्नपूर्णा देवी इसी साल लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर सांसद बन चुकी हैं। कुल मिलाकर चुनावी कुरूक्षेत्र में लड़ाई अब निर्णायक दौर में पहुंच गयी है। 23 दिसंबर को पता चलेगा कि इस बार कितनी महिलाएं निर्वाचित होकर विधानसभा पहुंचती हैं।

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