सिटी पोस्ट लाइव, रांची: झारखंड सरकार द्वारा बनाए और लागू किए गए नियोजन नीति को चुनौती देने वाली याचिका पर झारखंड उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ ने सोमवार को महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए करीब 18 हजार शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया को रद्द कर दिया है। उच्च न्यायालय ने कुछ दिन पूर्व ही इस मामले में अंतिम सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया था । सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने राज्य की नियोजन नीति को सही ठहराते हुए अदालत में कहा गया था कि कि झारखंड की कई परिस्थितियों को ध्यान में रखकर ही यह नीति बनाई गई है। प्रार्थी सोनी कुमारी व अन्य ने राज्य की स्थानीय नीति को लेकर झारखंड उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका दायर कर नियोजन नीति को चुनौती दी गयी थी। पूर्ण पीठ में न्यायमूर्ति हरीश चंद्र मिश्रा, न्यायमूर्ति एस०चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति दीपक रोशन शामिल हैं।
बताया गया है कि पूर्ण पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए नियुक्ति प्रक्रिया को संविधान के अनुरूप नहीं मानते हुए खारिज कर दिया है। अदालत में सोनी कुमारी ने झारखंड सरकार की नियोजन नीति में 13 जिले को आरक्षित किए जाने को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। पूर्व में एकल पीठ ने मामले को डबल बेंच में भेजा था और डबल बेंच ने मामले को पूर्ण पीठ में स्थानांतरित किया था। पीठ ने सुनवाई कर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया गया था। वर्ष 2016 में 18584 शिक्षक की नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला गया था। उसी को चुनौती दी गई थी।
अदालत में सोनी कुमारी की ओर से राज्य के अनुसूचित 13 जिलों के सभी पद स्थानीय लोगों के लिए आरक्षित करने के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। पूर्व में सभी पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रखा था। सुनवाई के दौरान पूर्ण पीठ के सभी जज इस बात पर एकमत हुए कि विज्ञापन संख्या 21 के कुछ खंड को अनुसूचित जिले के लिए नए सिरे से विज्ञापन प्रकाशित करने का निर्देश दिया। राज्य के अनुसूचित जिलों में पहले से की गई नियुक्तियां भी रद्द कर दी गई हैं। इसके अलावा राज्यपाल के द्वारा जारी अधिसूचना को भी खारिज कर दिया गया। गैर अनुसूचित जिलों में नियुक्ति होती रहेगी।
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