City Post Live
NEWS 24x7

शिलान्यास के दस साल बाद भी, डालमियानगर विकास से आज तक है वंचित

-sponsored-

-sponsored-

- Sponsored -

शिलान्यास के दस साल बाद भी, डालमियानगर विकास से आज तक है वंचित

सिटी पोस्ट लाइव -जहाँ एक तरफ देश के मुखिया प्रधानमंत्री नरेन्द्र दास मोदी देश मे ही नहीं विदेशों में भी अपने विकास के रॉल मॉडल के लिये प्रख्यात हैं तो वही दुसरी तरफ विकास पुरुष के नाम से जाने जाने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं |फिर भी रोहतास जिले में स्थित देश के प्राचीनतम औधोगिक नगरी से प्रसिद्ध काराकाट लोकसभा क्षेत्र में स्तिथ डालमियानगर इन लोगों के  विकास से वंचित है । विकास कि किरण अभी तक इस औधोगिक नगरी डालमियानगर तक नहीं पहुँच पाई है ।यूपीए प्रथम एंव द्वितीय में लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार भी इसी जिले के संसदीय क्षेत्र सासाराम से आती हैं लेकिन उनके द्वारा भी इस औधोगिक नगरी को पुर्नजिवित करने के लिये कोई कारगर पहल नही किया गया ।

क्योंकि डालमियानगर तो रोहतास जिले में आता है और इसका लोकसभा क्षेत्र 2004 तक बिक्रमगंज एंव 2009 से काराकट लोकसभा क्षेत्र में है । लोकसभा स्पीकर रहते मीरा कुमार ने तत्कालीन विधायक इलियास के प्रयास से लालू प्रसाद द्वारा उद्घाटित डेहरी- पटना इंटरसिटी को अपने संसदीय क्षेत्र भभुआ तक विस्तार कराने एंव कई ट्रेनों का ठहराव सासाराम तक कराने में सफल रहें हो लेकिन इनकी नजर इस फैक्टी की ओर नही गई ।यहाँ लोगो का कहना है कि उन्होने सिर्फ क्षेत्रवाद ही किया । अगर उन्होने थोड़ा प्रयास किया होता तो यह नगरी फिर से चमन हो जाती और हजारों लोगों को रोजगार भी मिलता

2014 में मोदी सरकार में केंद्रिय राज्यमंत्री रहे काराकाट से निर्वतमान सांसद उपेंद्र कुशवाहा ने भी कोई खास योगदान नही दिया । चुनाव आते ही लंबे चौड़े भाषण सुरु हो जाता था लेकिन बाद में मामला शांत हो जाता है । और इस बार चुनाव में तो मुद्दा ही गौण रहा जो इस क्षेत्र का कभी सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा होता था। डालमियानगर औधोगिक नगरी आज भी अपने खुलने की उम्मीद देख रहा है । 240 एकड़ में फैले यह उधोग पुंज 9 जुलाई 1984 से पुणतः बंद है । यह एशिया का सबसे बड़ा औधोगिक नगरी था जिसमें दो र्दजन से ज्यादा समानों का उत्पादन होता था । जिसमे मुख्यतः चीनी, कागज ,स्टील, एस्बेस्टस एंव वनस्पति तेल(डालडा) था । राष्ट्रीय राज मार्ग -2 एंव भारतीए रेल के ग्रेंड कार्ड लाईन पर स्थित होने के कारण समानों की आवाजाही भी काफी सुगम थी । कंपनी का अपना लाईन रेलवे भी था जिससे कच्चे माल की ढुलाई भी होती थी । लेकिन मालिकों के असहयोग एंव युनियनबाजी के कारण ये उधोग पुंज पुनःत बंद हो गया ।

इस उधोग नगरी में तारीबन 20 हजार से ज्यादा मजदूर कार्य करते थे । जो कर्मचारी सक्षम थे उन्होने अन्य जगह नौकरी ढुंढने मे कामयाब रहे तो कईयों ने सपरिवार आत्महत्या तक कर डाली । कुछ ऐसे कर्मचारी या उनके परिजन मिल जायेंगें जो आज भी अपना और अपने परिवार का पेट पालने के लिये मजदूरी या रिक्शा चला कर जीवन यापन कर रहे हैं । उधोग को बंद हुये 34 साल हो गये लेकिन डालमियानगर उद्योग पुंज सिर्फ चुनावी मुददा बन कर रह गया है ।युपीए प्रथम में रेल मंत्री  बने लालू प्रसाद यादव ने इस तरफ पहल की और उनके अथक प्रयास से रेलवे ने इस उधोग को 2007 में 140 करोड़ में खरीदा । 22 नवंबर 2008 को यहां रेलवे का हाइ्र एक्सल लोड वैगन-कपलर व अन्य कल पूर्जे निर्माण का कारखाना खोलने का शिलान्यास किया गया । तब यहां के लोगों के आंखों में उम्मीद की एक नई किरण जगी ।

2009-2010 के रेल बजट में कारखाना निर्माण के लिये 5000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया । उसके तुरंत बाद 15 वी लोकसभा का चुनाव हुआ और युपीए दो मे रेल मंत्रालय टीएमसी के खाते चली गई रेल मंत्री ममता बनर्जी रेल मंत्री बन गई और ये मामला ठंडे बस्ते में चला गया । 2014 में मोदी सरकार बनते ही यहाँ के लोगों को काफी उम्मीद जगी की इनकी सरकार में कारखाने का निर्माण जरुर होगा । हालांकि अधिकरियों की टीम कई बार यहां का दौरा कर चुकी है लेकिन धारातल पर कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा है । शिलान्यास के दस साल बीत जाने के बाद अभी तक एक ईंट की भी जुड़ाई नहीं हो सकी है तो आप जरा सोच सकतें है कि विकास की गति क्या है ?

रोहतास से विकाश चन्दन की रिपोर्ट

-sponsored-

- Sponsored -

Subscribe to our newsletter
Sign up here to get the latest news, updates and special offers delivered directly to your inbox.
You can unsubscribe at any time

-sponsored-

Comments are closed.