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सीएम रघुवर दास को भाजपा के बागी सरयू राय ने 15 हजार 725 वोट से हराया

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सीएम रघुवर दास को भाजपा के बागी सरयू राय ने 15 हजार 725 वोट से हराया

सिटी पोस्ट लाइव, रांची: सरयू की उफान में रघुवर का अजेय दूर्ग डूब गया। इसमें तड़का लगा रूखे व्यवहार का। कार्यकर्ताओं की अनदेखी का। भाई-भतीजों की मनमानी का। सरकार चलाने वाली पोटरी के खास लोगों का। लेकिन, सरयू राय का भाजपा से टिकट कटवाने के लिए एड़ी-चोटी एक करने वाले मुख्यमंत्री रघुवर दास को अपना पाशा ही उल्टा पड़ गया। ईमानदार छवि और भ्रष्टाचार के खिलाफ लगातार लड़ने वाले सरयू राय को जनता का साथ मिला और 25 साल पुरानी सल्तनत ढह गयी। इसके साथ ही जमशेदपुर पूर्वी के मतदाताओँ ने 5 साल के लिए रघुवर दास को क्षेत्र से तड़ीपार कर दिया। झाऱखंड विधानसभा चुनाव में जमशेदपुर पूर्वी सबसे हॉट सीट रही। इस सीट पर मुख्यमंत्री रघुवर दास को उनकी ही कैबिनेट के पूर्व मंत्री और भाजपा के बागी सरयू राय ने कड़ी चुनौती दी और हराया भी। शुरू के दो राउंड में मुख्यमंत्री रघुवर दास आगे चल रहे थे, लेकिन उसके बाद तीसरे राउंड में दोनों के बीच का अंतर मात्र 127 रह गया। इसके बाद चौथे राउंड से जो बढ़त सरयू राय ने बनायी वह अंत तक बरकरार रही और 20वें राउंड में सरयू राय ने मुख्यमंत्री रघुवर दास को 15, 725 वोट से हरा दिया। मुख्यमंत्री रघुवर दास के दबाव में जमशेदपुर पश्चिम विधानसभा सीट से भाजपा का टिकट कटने से सरयू राय बागी हो गये और मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ जमशेदपुर पूर्वी सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया था। प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उन्होंने कहा था कि पार्टी नेतृत्व से सीट की भीख मांगना मेरे लिए उपयुक्त नहीं है। इसलिए मैंने उनसे अपने नाम पर विचार नहीं करने को कहा है। इसके बाद उन्होंने विधायक पद के साथ ही मंत्री पद से भी त्यागपत्र दे दिया। पूर्व मुख्यमंत्री और झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने इस मौके को तुरंत लपक लिया और सरयू राय के इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में वे सरयू राय के साथ खड़े हैं। हेमंत ने सरयू राय को नैतिक समर्थन देने की घोषणा करते हुए विपक्षी महागठबंधन से भी साथ देने की अपील की थी, पर कांग्रेस ने वहां से गौरव बल्लभ को उतार दिया था।

रघुवर दास से कैसे शुरू हुआ सरयू राय का विवाद

वर्ष 2005-06 में सरयू राय और रघुवर दास के बीच मनमुटाव शुरू हो गया था। 2005 में रघुवर दास नगर विकास मंत्री थे। इस दौरान रांची में सीवरेज के काम के लिए सिंगापुर की कंपनी मेनहार्ट की नियुक्ति की गई थी। मामला विधानसभा में सरयू राय की समिति के सामने आया। सरयू राय ने जांच की और कंपनी की नियुक्ति को गलत पाया। उन्होंने अपनी रिपोर्ट अर्जुन मुंडा सरकार और विधानसभा को दी। साथ ही भाजपा संगठन को भी उसकी एक प्रति भेज दी। इसके बाद से ही सरयू राय और रघुवर दास के बीच मनमुटाव शुरू हो गया। मंत्री बनने के बाद भी सरयू राय लगातार मुख्यमंत्री रघुवर दास पर भ्रष्टाचार के मामले को लेकर हमलावर रहे।

मुख्यमंत्री के खिलाफ ही क्यों लड़े

रघुवर सरकार बनने के बाद उन्हें खाद्य आपूर्ति मंत्री बनाया गया। शुरुआती दिनों से ही रघुवर और सरयू राय के विचारों में समानता नहीं थी। सरयू राय ने एक इंटरव्यू में कहा था कि टिकट के लिए अगर उन्हें साफ तौर पर मना कर दिया जाता तो वे चुपचाप बैठ जाते। लेकिन, ऐसा नहीं हुआ। उन्हें अंधेरे में रखा गया और आश्वासन दिया गया कि उन्हें चुनाव लड़ना है और पार्टी से टिकट दिया जाएगा। सरयू ने कहा था कि संसदीय बोर्ड की पहली से लेकर चौथी बैठक में उनके टिकट को होल्ड पर रखा गया था। तब उन्हें लगा कि उनके सम्मान को नुकसान हो रहा है, उन्हें जान-बूझकर अपमानित किया जा रहा है। सरयू ने कहा था कि उन्हें लगने लगा था कि उनके टिकट का मामला आखिर तक लटकाने का षड्यंत्र रचा गया था ताकी नमांकन की आखिरी डेट खत्म हो जाए और वे चुनाव न लड़ पाए। इस सभी बातों के लिए सरयू ने मुख्यमंत्री रघुवर दास को जिम्मेदार माना और फिर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप चुनाव में जाने का फैसला किया। उन्होंने फैसला लिया कि वे भाजपा प्रत्याशी और मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे।

रघुवर की हार और सरयू की जीत के क्या कारण बने

रघुवर दास की हार का कारण उनकी छवि को माना जा रहा है। विधानसभा क्षेत्र में काम न होना, जमशेदपुर में 86 अवैध बस्तियों के लोगों को मालिकाना हक दिए जाने के संबंध में फैसला न लेना रघुवर की हार और सरयू की जीत का कारण बना।

सरयू राय संग निशिकांत दुबे का फोटो वायरल

चुनाव के दौरान सरयू राय के बहाने मुख्यमंत्री रघुवर दास का विरोधी खेमा सक्रिय दिखा। इसी बीच गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे संग सरयू राय की एक फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हुई। हालांकि यह फोटो निशिकांत दुबे ने खुद ही 16 नवंबर को फेसबुक पर पोस्ट किया था और मनीर नियाजी का एक शेर भी लिखा… जानता हूं एक ऐसे शख्स को मैं भी मुनीर, गम से पत्थर हो गया मगर रोया नहीं।

2014 में करीब 70 हजार वोट से जीते थे रघुवर दास

जमशेदपुर पूर्वी से रघुवर दास लगातार पांच बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं। इस बार भी वे जमशेदपुर पूर्वी से भाजपा के उम्मीदवार हैं। रघुवर दास का मुकाबला उनके ही कैबिनेट के पूर्व मंत्री व निर्दलीय प्रत्याशी सरयू राय और कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ से हैं। 2014 में रघुवर दास ने जमशेदपुर पूर्व सीट से कांग्रेस के आनंद बिहारी दुबे को लगभग 70 हजार वोटों से विधानसभा चुनाव जीते थे। इसके पहले रघुवर दास ने सबसे पहले 1995 में जमशेदपुर पूर्वी से चुनाव लड़ा था। रघुवर दास साल 1995, 2000, 2004, 2009 और 2014 के चुनाव में जीत हासिल कर चुके हैं।

भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के नायक रहे हैं सरयू राय

सरयू राय रघुवर दास के लिए कैसे खतरनाक हो सकते हैं। बिहार-झारखंड में हुए चारा घोटाले को जनता के सामने लाकर उसकी अदालती जांच को अंजाम तक पहुंचाने में सरयू राय की काफी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इसके अलावा सरयू राय ने झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा को जेल भेजवाने में भी सक्रिय भूमिका निभाई थी। झारखंड में उनकी प्रतिष्ठा इससे काफी बढ़ गई। यही वजह है कि चुनावों में सरयू राय का रघुवर दास के खिलाफ आवाज उठाना जनमानस में एक अलग संदेश लेकर गया। अब राय कहते हैं कि चौथे मुख्यमंत्री को भी जेल भेजवाने का श्रेय मुझे ही जाएगा। बहुत जल्द एक और मुख्यमंत्री सलाखों के भितर होगा।

 जरूरत पड़ने पर महागठबंधन को समर्थन देने में कोई एतराज नहीः सरयू राय

भाजपा के बागी नेता सरयू राय ने दो टूक कहा, अब रघुवर दास किसी भी हाल में राज्य के मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे। झामुमो-कांग्रेस-राजद गठबंधन की ही सरकार बनने की संभावना है। मैं चाहूंगा कि राज्य में किसी भी प्रकार की अस्थिरता न हो। ऐसे में महागठबंधन की स्थिरता के लिए आवश्यकता पड़ने पर समर्थन देने में हमें कोई एतराज नहीं होगा। भाजपा को आवश्यक होने पर समर्थन देने के सवाल पर राय ने कहा कि श्भाजपा को मेरे समर्थन की आवश्यकता नहीं होगी और मेरे द्वारा उन्हें समर्थन देने की संभावना बहुत ही कम है। भाजपा नेतृत्व ने मेरे स्वाभिमान को चोट पहुंचायी और उसी से आहत होकर मैंने मुख्यमंत्री के खिलाफ चुनाव लड़ा। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम जारी रहेगी। किसी भी भ्रष्टाचारी का स्थान मधु कोड़ा की ही जगह पर है अर्थात उसे जेल जाना होगा।

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