जविपा अध्यक्ष अनिल कुमार ने गरीबों के बीच किया राशन सामग्री का वितरण
सिटी पोस्ट लाइवः जनतांत्रिक विकास पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल कुमार ने आज पटना स्थित एग्जीवीशन रोड में गरीबों के बीच राशन सामग्री का वितरण किया। इस दौरान उन्होंने दिहाड़ी मजदूर, रिक्शा चालक व अन्य जरूरतमंत लोगों को राहत सामग्री वितरित करते हुए उन्हों कोरोना से बचने के लिए जागरूक भी भी किया। राहत सामग्री वितरण के बाद अनिल कुमार ने कहा कि कोरोना एक वैश्विक महामारी है, जिससे हमारा देश भी जूझ रहा है। लेकिन हमारे देश का स्वास्थ्य सेक्टर इतना कमजोर है कि हम कोरोना जैसी महामारी से लड़ने में सक्षम नहीं हैं। क्योंकि आजादी के बाद से हमारी सरकारों ने अस्पताल और मेडिकल सुविधाओं पर ज्यादा ध्यान ही नहीं दिया, इसलिए इस संकट में कोरोना से बचने का एकमात्र विकल्प लॉकडाउन ही था।
अनिल कुमार ने कहा कि लॉकडाउन का फैसला सरकार ने ले तो लिया, मगर इसके जो परिणाम गरीब लोग, दिहाड़ी मजदूर व मध्यम वर्ग के लोग झेल रहे हैं। उसके लिए न तो राज्य की सरकारों ने कुछ सोचा और न ही केंद्र की। तभी आज लाखों की संख्या में लोग भूखमरी की ओर बढ़ रहे हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कहते हैं कि उन्होंने एक लाख लोगों के खाते में 1 हजार पैसे दिये। लेकिन सवाल उठता है कि फिर भी लोग त्राहीमाम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए चिंता का विषय है कि 12 करोड़ की आबादी वाले हमारे राज्य का सबसे बड़े अस्पताल च्डब्भ् को 4 जिलों के कोरोना संक्रमण के जांच का जिम्मा है और वहां एक दिन में महज 45 सैंपल ही जांचे जा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह फेल है और स्वास्थ्य मंत्री नदारद हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है और सरकार के कार्यों की पोल भी खोलती है। लॉकडाउन के अब 21 दिन पूरे होंगे, मगर आज भी बिहार में जांच प्रक्रिया लचर हालत में हैं। जबकि हम पहले से मांग करते रहे हैं कि इन कोरोना से लड़ाई में जितना जल्द हो स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को दुरूस्त किया जाये।
उन्होंने कहा कि हमारे मुख्यमंत्री जी आराम से घर में कैद हैं। जब मन होता है, चेहरा चमकाने के लिए तमाम चीजों को नजरअंदाज कर फरमान भी जारी तो कर देते हैं। सच कहें तो उनकी मंशा कभी प्रदेश के लोगों के लिए जिम्मेवारी वाला रहा ही नहीं। डबल इंजन की सरकार रटते उनको थकान तक नहीं होती, लेकिन आज जब मुश्किल वक्त में उन्होंने केंद्र सरकार से मदद मांगी तो उसमें भी कटौती कर दी गई। उसमें भी मुख्यमंत्री जी कह रहे हैं कि केन्द्र से पीपीई किट मिला नहीं और स्वास्थ्य मंत्री कह रहे हैं किट आ गया। अब कौन सही है, ये तो भगवान जाने।तो खैर, आज एक बार फिर से मांग करते हैं सूबे के अस्पतालों में जांच की सुविधाओं में वृद्धि की जाये, ताकि वक्त रहते स्थितियों से निपटा जा सके।
Comments are closed.