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हड़िया बनाने का नेचुरल तरीका अलग, व्यवसायिक तरीके काफी हानिकारक: मुख्यमंत्री

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हड़िया बनाने का नेचुरल तरीका अलग, व्यवसायिक तरीके काफी हानिकारक: मुख्यमंत्री

सिटी पोस्ट लाइव, रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि राज्य सरकार प्राकृतिक संसाधनों के अनुकूल तरीके से दोहन को लेकर प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि अभी उन्हें जिम्मेवारी मिली है, बजट सत्र के बाद पूरी गति से सरकार इस प्रदेश के प्राकृतिक संसाधनों े संरक्षण के साथ अधिक से अधिक लोगों को लाभ उपलब्ध कराने की कोशिश करेगी। उन्होंने कहा कि झारखंड में हड़िया से सभी परिचित है, हड़िया बनाने का नेचुरल तरीका अलग है, लेकिन आज व्यवसायिक तरीके से बन रहा हड़िया स्वासथ्य के लिए काफी हानिकारण है और इसका असर गांव में दिख रहा है। उन्होंने कहा कि  जंगल के उपज का वैल्यू एडिशन कैसे हो, इसे आय का साधन कैसे बनाया जाए, इस पर बहुत विलंब से चर्चा हो रही है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से पूरी दुनिया में जलवायु परिवर्त्तन हो रहा है, ग्लोबल वार्मिंग का संकट उत्पन्न हो रहा है। मुख्यमंत्री शुक्रवार को रांची में आजीविका वृद्धि एवं सतत विकास के लिए वन अधिकार अधिनियम 2006 के प्रभावी क्रियान्वयन से संबंधित कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस भौतिकवादी युग में प्रकृति और पर्यावरण संतुलन बनाये रखने पर समुचित ध्यान नहीं दिया गया, जिसके कारण यह संकट उत्पन्न हुई है। उन्होंने कहा कि 1980 के दशक में रांची में गर्मी के मौसम में भी ठंडक महसूस होती थी, लेकिन आज एसी का प्रयोग बढ़ावा मिला है। उन्होंने कहा कि आज देश के कई ऐसे राज्य भी है, जिन्होंने वन उत्पादों के समुचित उपयोग कर अपने प्रदेश का समुचित किया गया है, गोवा, केरल और जम्मू-कश्मीर के लोगों ने वन उपज का बेहतर उपयोग किया गया है। उन्होंने झारखंड में बंसकरिल और महुआ की प्रचुरता है, लेकिन जब महुआ बेचने पर पुलिस लोगों को पकड़ने लगी, तो लोगों ने पेड़ काटने शुरू कर दिये गये, बाद में इस कानून में ढील दी गयी। उन्होंने कहा कि झारखंड के जंगल में रहने वाले लोग वर्षां से मशरूम का सेवन करते है और यह भी जानकारी मिली है कि प्रधानमंत्री भी मशरूम खाते है और उनके स्वास्थ्य का राज यही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह जानकारी मिली है कि ओड़िया राज्य ने सभी सरकारी कार्यक्रमों में खाना और नाश्ता में पत्तल का उपयोग करने का निर्णय लिया है, इससे व्यवसाय को भी बढ़ावा मिलेगा और पर्यावरण संबंधी समस्या का समाधान भी सरल तरीके से हो सकेगा।  उन्होंने कहा कि आज एक ही कार्यक्रम कई विभागों द्वारा चलाया जा रहा है, लेकिन परिणाम शून्य है, आने वाले समय में बेहतर परिणाम की उम्मीद है।

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